दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 28 जनवरी, 2020

  • 28 Jan 2020
  • 13 min read

दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकायों का फोरम

Forum of the Election Management Bodies of South Asia

भारत निर्वाचन आयोग (Election commission of India-ECI) ने दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकायों के फोरम (Forum of the Election Management Bodies of South Asia-FEMBoSA) की नई दिल्ली में आयोजित 10वीं वार्षिक बैठक की मेज़बानी की।

मुख्य बिंदु:

  • भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को वर्ष 2020 के लिये दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकाय के अध्यक्ष के रूप चुना गया है।
  • इस अवसर पर ‘संस्थागत क्षमता को मजबूत करना’(Strengthening Institutional Capacity) विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
    • इस सम्‍मेलन में FEMBoSA के सदस्‍य देशों के प्रतिनिधियों के अलावा कज़ाखस्तान, केन्या, किर्गिज़स्तान, मॉरीशस, ट्यूनीशिया और तीन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों– सियोल स्थित विश्‍व निर्वाचन निकाय संघ (Association of World Election Bodies), संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ इलेक्टोरल सिस्टम (IFES) तथा इंटरनेशनल आईडीईए (International Institute for Democracy and Electoral Assistance) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

FEMBoSA के बारे में:

  • इस फोरम का गठन सार्क देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों (Election Management Bodies- EMBs) की मई 2012 में आयोजित बैठक के दौरान किया गया था।
  • इस फोरम का लक्ष्य सार्क के निर्वाचन निकायों के सामान्य हितों के संबंध में आपसी सहयोग को बढ़ाना है।
  • भारत निर्वाचन आयोग के अलावा इस फोरम के अन्य सात सदस्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के चुनाव प्रबंधन निकाय हैं।

FEMBoSA का उद्देश्य: इस फोरम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • सार्क देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना।
  • एक-दूसरे के अनुभवों को साझा करना।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संचालन के लिये चुनाव प्रबंधन निकायों की क्षमता को बढ़ाने में एक- दूसरे का सहयोग करना।

ऑपरेशन अलबेरिख

Operation Alberich

प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाओं में से एक ऑपरेशन अलबेरिख (Operation Alberich) पर आधारित फिल्म ‘1917’ को भारत में रिलीज किया गया।

  • गौरतलब है कि यह फिल्म प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दो ब्रिटिश सैनिकों की कहानी पर आधारित है जिन्हें संदेश पहुँचाने के लिये खतरनाक क्षेत्र से गुज़रने का मिशन दिया जाता है।

Operation-Alberich

ऑपरेशन अलबेरिख के बारे में

  • प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में मित्र राष्ट्रों (फ्राँस, ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका) ने धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की) को हराया था।
  • ऑपरेशन अलबेरिख को वर्ष 1917 पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनी के सबसे महत्त्वपूर्ण अभियानों में से एक माना जाता है। यह ऑपरेशन फरवरी 1917 से मार्च 1917 के मध्य चलाया गया था।
  • यह अभियान झुलसती पृथ्वी नीति (Scorched Earth Policy) नामक सैन्य रणनीति के तहत चलाया गया था।
    • झुलसती पृथ्वी नीति एक सैन्य रणनीति है जिसका उद्देश्य दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर करने के लिये किसी भी चीज़ को नष्ट करना है।
    • झुलसती पृथ्वी नीति के तहत धुरी राष्ट्रों द्वारा मित्र राष्ट्रों की सभी उपयोगी चीज़ों को नष्ट करने की योजना बनाई गई थी जिनमें गाँव, सड़क, पुल और इमारतें शामिल थीं।
  • अंतर्राष्ट्रीय विश्वकोश के अनुसार, इस ऑपरेशन के तहत जर्मन सेना द्वारा एक नवनिर्मित रक्षा पंक्ति से पीछे हटने का फैसला लिये जाने के बाद फ्राँस के 1500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में व्यवस्थित तरीके से विनाश किया गया।
  • जर्मन सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि युद्ध को अस्थायी रूप से छोटा और अधिक रक्षात्मक हिंडनबर्ग लाइन की तरफ स्थानांतरित करना चाहिये।
    • उपरोक्त रणनीति के तहत लगभग 130 किलोमीटर लंबी हिंडनबर्ग लाइन (जिसे जर्मनों द्वारा सिगफ्रीड (Siegfried Line) लाइन कहा जाता है।) के निर्माण की योजना सितंबर 1916 में शुरू हुई और इसे चार महीनों में पूरा कर लिया गया। इससे फ्राँस-जर्मनी की सीमा पर जर्मनी की किलेबंदी हो गई। इसे युद्ध के दौरान की सबसे बड़ी सैन्य निर्माण परियोजना माना जाता है।
    • इस निर्माण के दौरान नागरिकों को उस क्षेत्र से विस्थापित होने पर मजबूर किया गया।

जर्मनी की आलोचना:

  • इस ऑपरेशन से जर्मनी को सामरिक सफलता हासिल हुई क्योंकि जर्मनी के इस कदम ने मित्र राष्ट्रों को आश्चर्यचकित कर दिया किंतु इस ऑपरेशन से हुए विनाश के लिये जर्मनी की काफी आलोचना हुई।

वर्साय की संधि और ऑपरेशन अलबेरिख का जिक्र:

  • जर्मनी के इस कदम का मित्र राष्ट्रों ने विश्व में खूब प्रचार प्रसार किया और इसे ‘हुन बर्बरवाद’ (Hun Barbarism) के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया।
    • युद्ध खत्म होने के बाद वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किये गए जिसमें मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर दंडात्मक क्षतिपूर्ति के लिये अपने दावों को वैध ठहराने में ऑपरेशन अलबेरिख का जिक्र किया।

ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व

Tadoba-Andhari Tiger Reserve

  • ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व मध्य भारत में महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर ज़िले में स्थित है।
    • ताडोबा वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1955 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था, इसका क्षेत्रफल 116.54 वर्ग किमी. है और अंधारी वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1986 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • ताडोबा वन्यजीव अभयारण्य और अंधारी वन्यजीव अभयारण्य को संयुक्त रूप से वर्ष 1995 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिज़र्व का दर्जा दिया गया। इस टाइगर रिज़र्व का क्षेत्रफल लगभग 625.40 वर्ग किमी. है।
  • यह महाराष्ट्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। यहाँ उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं। इनमें मुख्य रुप से सागौन, ऐन, बीजा, धौड़ा, हल्दू, सलाई, सेमल और तेंदू आदि शामिल हैं।
  • यहाँ उगने वाली एनोगेयसुस लैटीफोलिया (Anogeissus latifolia) अग्नि प्रतिरोधी पौधे की प्रजाति है।
  • यहाँ पलाश (इसका वैज्ञानिक नाम ब्यूटा मोनोसपर्मा (Butea Monosperma) है) के वृक्ष भी पाए जाते हैं। इसे ‘जंगल की आग’ भी कहते हैं।
  • यहाँ जीव-जंतुओं में भारतीय तेंदुए, स्लॉथ बीयर, गौर, नीलगाय, ढोले, धारीदार हाइना, भारतीय लघु कीच, जंगली बिल्ली, सांभर, चित्तीदार हिरण, जंगली कुत्ते आदि पाए जाते हैं।

कलर कोडेड वेदर वार्निंग

Colour Coded Weather Warning

हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने हिमाचल प्रदेश में बारिश के लिये एक पीला कोड मौसम चेतावनी (Yellow Code Weather Warning) जारी की है।

कलर कोडेड वेदर वार्निंग के बारे में

  • इसे देश की शीर्ष मौसम एजेंसी (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) द्वारा जारी किया जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • इसका उद्देश्य खतरनाक मौसम के बारे में लोगों को सतर्क करना है जिसमें व्यापक नुकसान या जीवन के लिये खतरा उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
  • हर दिन भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट पर मौसम से संबंधित चेतावनी अपलोड की जाती है। वेबसाइट पर कलर कोडेड अलर्ट के साथ ज़िलेवार बारिश का पूर्वानुमान भी अपलोड किया जाता है और इसे रोज़ाना तीन बार अपडेट किया जाता है।

चार रंग के कोड: वेबसाइट पर चेतावनी की विभिन्न श्रेणियों को इंगित करने के लिये चार रंग के कोड जारी किये जाते हैं। ये कोड निम्नलिखित हैं-

लाल रंग (Red Color):

  • खराब मौसम से बचने के लिये तुरंत कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
  • बेहद खराब मौसम की उम्मीद है।
  • लोगों को स्वयं और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिये कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
  • व्यापक क्षति, यात्रा एवं बिजली में व्यवधान और जीवन के लिये जोखिम की संभावना है। लोगों को खतरनाक क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिये तथा आपातकालीन सेवाओं एवं स्थानीय अधिकारियों की सलाह का पालन करना चाहिये।

एम्बर रंग (Amber Color):

  • मौसम के खराब होने की संभावना के लिये तैयार रहने की चेतावनी जारी की जाती है।
  • बेहद खराब मौसम की संभावना बढ़ गई है जो संभावित रूप से यात्रा में देरी, सड़क एवं रेल यातायात बंद होने और बिजली आपूर्ति में रुकावट पैदा कर सकता है।
  • एम्बर कोड का मतलब है कि लोगों को अपनी योजनाओं को बदलने तथा अपने परिवार और समुदाय को मौसम कार्यालय से जारी पूर्वानुमान के आधार पर मौसम के गंभीर प्रभावों से बचाने के लिये तैयार रहने की आवश्यकता है।
  • इसमें जान-माल का खतरा हो सकता है।

पीला रंग (Yellow Color):

  • लोगों को सतर्क करने के लिये मौसम का अध्ययन किया जा रहा है।
  • अगले कुछ दिनों में मौसम के गंभीर रूप से खराब होने की संभावना है। यात्रा में देरी हो सकती है और लोगों को दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में बाधा आने की संभावना को लेकर आगे की योजना बनाने के लिये एडवाइज़री जारी की जाती है।
  • यह बताता है कि अगले कुछ दिनों में मौसम बदल सकता है या खराब हो सकता है।

हरा रंग (Green):

  • कोई कार्रवाई आवश्यक नहीं है।
  • मौसम से संबंधित कोई गंभीर चिंता नहीं है।
  • कोई एडवाइज़री जारी नहीं की गई है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow