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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 24 दिसंबर, 2019

  • 24 Dec 2019
  • 11 min read

चिल्ले/चिल्लाई- कलां

Chillai kalan

कश्मीर घाटी के ऊपरी क्षेत्रों में कठोर शीत ऋतु के पारंपरिक 40 दिन की अवधि 'चिल्ले/चिल्लाई- कलां' (Chillai kalan) की शुरुआत हो गई है।
Chillai kalanचिल्ले/चिल्लाई- कलां के विषय में:

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार 21 दिसंबर से 30 जनवरी की अवधि को कश्मीर की स्थानीय भाषा में चिल्ले/चिल्लाई- कलां कहा जाता है।
    • 21 दिसंबर का दिन उत्तरी गोलार्द्ध में शीतकालीन संक्रांति के रुप में मनाया जाता है।
  • इन 40 दिनों में बर्फबारी की संभावना सबसे अधिक होती है और तापमान में अधिकतम गिरावट होती है अर्थात यह लगभग शून्य डिग्री के नीचे या उसके आस- पास आ जाता है।
  • इन 40 दिनों के बाद शीत लहर जारी रहती है इसलिए चिल्ले/चिल्लाई- कलां के बाद 20 दिन चिल्ले/चिल्लाई- खुर्द (Chillai Khurd) तथा उसके बाद के 10 दिन चिल्ले/चिल्लाई- बच्चा (Chillai Baccha) के नाम से जाना जाता है।

‘इकोक्लब’

Eco Club

गुजरात के केवडिया में 20-21 दिसंबर तक राष्ट्रीय हरित कोर ‘इकोक्लब’ (Eco Club) कार्यक्रम को लागू करने वाली राज्य नोडल एजेंसियों की पहली बैठक का आयोजन किया गया।
Eco Clubबैठक के विषय में:

  • इस बैठक का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of the Environment, Forest and Climate Change- MoEF&CC) के तहत कार्यरत पर्यावरण शिक्षा प्रभाग (Environment Education Division) द्वारा गुजरात पारिस्थितिक शिक्षा और अनुसंधान (Gujarat Ecological Education and Research- GEER) के सहयोग से किया गया।
  • बैठक में इकोक्लब ’कार्यक्रम को लागू करने हेतु योगदान के लिये एजेंसियों को प्रशंसा प्रमाण पत्र भी दिये गए।
    • इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ इकोक्लब पुरस्कार क्रमशः छत्तीसगढ़ (प्रथम स्थान), केरल (द्वितीय स्थान) और तेलंगाना (तृतीय स्थान) के छात्रों को दिये गए।
    • सांत्वना पुरस्कार गुजरात, सिक्किम और कर्नाटक के इकोक्लब को प्रदान किये गए।

इकोक्लब के विषय में:

  • राष्ट्रीय हरित कोर इकोक्लब ’कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2001-2002 में पर्यावरण शिक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण (Environment Education Awareness and Training- EEAT) योजना के तहत की गई थी।
    • EEAT, वर्ष 1983- 84 में स्थापित एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है इसका उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये छात्रों की भागीदारी को बढ़ाना है।
      • EEAT उद्देश्यों को चार कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है:
      • राष्ट्रीय हरित कोर (National Green Corps- NGC)
        • राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता अभियान (National Environment Awareness Campaign)
        • सेमिनार/कार्यशालाएँ (Seminars/Workshops)
        • राष्ट्रीय प्रकृति शिविर कार्यक्रम (National Nature Camping Programme)

इकोक्लब के उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों को उनके आस-पास के वातावरण के बारे में और उसके साथ पारस्परिकता बढ़ाने हेतु तथा उसमें मौजूद समस्याओं के बारे में, अनुभव के आधार पर  ज्ञान प्रदान करना है।
  • इसके अलावा इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना और पर्यावरण तथा विकास से संबंधित मुद्दों पर संवेदनशील बनाना है।
  • आगामी वर्ष 2020-21 में इकोक्लब की संख्या वर्तमान में लगभग 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी जाएगी।

66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

66th National Film Awards

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू  द्वारा नई दिल्ली में 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (66th National Film Awards) समारोह में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत वर्ष 2018 के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किये गए।

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विषय में:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1954 में हुई थी इससे पहले इन पुरस्कारों को राजकीय पुरस्कार कहा जाता था।
  • आमतौर पर वार्षिक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों की घोषणा अप्रैल के महीने में की जाती है और प्रत्येक वर्ष 3 मई को इन्हें प्रदान किया जाता है परंतु इस वर्ष 17 वीं लोकसभा चुनाव के कारण इन्हें प्रदान करने में देरी हुई।
  • वर्ष 2018 के लिये दिये जाने वाले पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है-
श्रेणी  विजेता
सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म अंधाधुंध
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (साझा) आयुष्मान खुराना (अंधाधुंध ), विक्की कौशल (उरी)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री  कीर्ति सुरेश
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक  आदित्य धर (उरी)
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर  ज्योति (घूमर, पद्मावत)
सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक संजय लीला भंसाली
सर्वश्रेष्ठ फिल्म फ्रैंडली राज्य उत्तराखंड
सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फीचर फिल्म खरवस
सर्वश्रेष्ठ फिल्म ऑन सोशल इश्यू पैडमेन
सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट्स फिल्म  स्विमिंग थ्रू द डार्कनेस
सर्वश्रेष्ठ फिल्म क्रिटिक (हिंदी) अनंत विजय
सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म  भोंगा
सर्वश्रेष्ठ राजस्थानी फिल्म टर्टल
सर्वश्रेष्ठ गारो फिल्म   अन्ना
सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म  बरम
सर्वश्रेष्ठ उर्दू फिल्म हामिद
सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म एक जे छिलो राजा
सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म सूडानी फ्रॉम नाइज़ीरिया
सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म  महांती
  • इसके अलावा मराठी फिल्म ‘नाल’ को निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिये इंदिरा गांधी पुरस्कार, मराठी फिल्म ‘पानी’ को पर्यावरण संरक्षण पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार, कन्नड़ फिल्म ओंडाला इराडाला को राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये नरगिस दत्त पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • अमिताभ बच्चन को भारतीय फिल्म उद्योग में उनके 50वें वर्ष के लिए भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के रूप में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
  • भारत सरकार ने धुंधीराज गोविन्द फाल्के की जन्म शताब्दी वर्ष 1969 के उपलक्ष्य में उन्हें सम्मान देने के लिये सिनेमा के अत्यंत विशिष्ट व्यक्तिओं को दादा साहब फाल्के सम्मान देने का निर्णय लिया।
  • वर्ष 1969 के लिये पहला फाल्के सम्मान वर्ष 1970 में अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था

कोंडा रेड्डी आदिवासी

Konda Reddy Tribe

कोंडा रेड्डी आदिवासी (Konda Reddy Tribe) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में सबसे पिछड़े  प्राचीन आदिवासी समूहों में से एक है।
Konda-Reddy-Tribe

निवास स्थान:

  • यह आदिवासी समूह गोदावरी नदी के दोनों किनारों (पूर्व और पश्चिम गोदावरी ज़िलों) पर, खम्मम (तेलंगाना) और श्रीकाकुलम (आंध्र प्रदेश) के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता है।
  • वे मुख्य रूप से आंतरिक वन क्षेत्रों में समाज की मुख्यधारा से कटे हुए रहते हैं।

मुख्य व्यवसाय:

  • हाल ही में इस समूह ने परंपरागत काश्तकारियों को स्थानांतरित करके कृषि और बागवानी व्यवसाय को अपनाया लिया है।
  • गैर लकड़ी वन उत्पादों का संग्रह और टोकरी बनाना इस आदिवासी समूह की आजीविका के अन्य स्रोत हैं।

भाषा:

  • उनकी मातृभाषा एक अद्वितीय उच्चारण के साथ तेलुगु है।
  • कोंडा रेड्डी को आदिम जनजाति समूह (अब विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह) के रूप में मान्यता दी गई है।
  • कोंडा रेड्डी को उनके पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं जैसे कि बांस, बोतल लौकी और बीज से बने घरेलू लेखों का उपयोग के लिये जाना जाता है।
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