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  • 11 Aug 2021
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मद्रास विधान परिषद के 100 वर्ष

100 Years of Madras Legislative Council

हाल ही में राष्ट्रपति ने तमिलनाडु विधानसभा के 100वें वर्ष के स्मरणोत्सव को संबोधित किया, जिसे पूर्व में ‘मद्रास विधान परिषद’ (MLC) के रूप में जाना जाता था।

प्रमुख बिंदु

इतिहास

  • मद्रास विधान परिषद की स्थापना वर्ष 1921 में भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत की गई थी।
  • परिषद का कार्यकाल तीन वर्ष का था। इसमें 132 सदस्य थे, जिनमें से 34 राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये गए थे और शेष निर्वाचित थे।
  • इसकी बैठक पहली बार 09 जनवरी, 1921 को फोर्ट सेंट जॉर्ज, मद्रास में आयोजित की गई थी।
  • परिषद का उद्घाटन 12 जनवरी, 1921 को वेलिंगटन के गवर्नर के अनुरोध पर इंग्लैंड के राजा के चाचा ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ द्वारा किया गया था।
  • इस अधिनियम के तहत दूसरी और तीसरी परिषदों का गठन क्रमशः वर्ष 1923 और वर्ष 1926 में आम चुनावों के बाद किया गया था।
  • आम चुनावों के बाद नवंबर 1930 में पहली बार चौथी विधान परिषद की बैठक हुई और इसका कार्यकाल समय-समय पर बढ़ाया गया तथा यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत प्रांतीय स्वायत्तता के लागू होने तक चली।

महत्त्व

  • यह विधायिका कई प्रगतिशील विधानों का स्रोत मानी जाती है, जिन्हें बाद में समाज के कमज़ोर वर्गों को सशक्त बनाने और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिये देश भर में गठित किया गया।
  • देवदासी प्रथा का उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह, स्कूलों में मध्याह्न भोजन और भूमिहीनों को कृषि भूमि का वितरण कुछ क्रांतिकारी विचार थे, जिन्होंने समाज को बदल दिया।
  • कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की जड़ें विधायिका प्रणाली में ही मौजूद हैं।

राज्य विधायिका

परिचय

  • केंद्रीय संसद की तरह ही राज्य विधानमंडल का प्राथमिक कार्य कानून बनाना है। राज्य विधानमंडल को राज्य सूची और समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार है।

विधायिका के प्रकार

  • जिस प्रकार संसद के दो सदन होते हैं, उसी प्रकार राज्यों में विधानसभा के अतिरिक्त एक विधान परिषद भी हो सकती है।
  • इसलिये राज्य के लिये कानूनों को लागू करने हेतु सदनों की संख्या के आधार पर दो प्रकार की विधायिकाएँ हो सकती हैं: एक सदनीय विधायिका या द्विसदनीय विधायिका।
    • एक सदनीय विधायिका: विधानसभा
    • द्विसदनीय विधायिका: विधानसभा और विधान परिषद
  • वर्तमान में विधान परिषद वाले छह राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक।

संवैधानिक प्रावधान

  • भारतीय संविधान के भाग VI में अनुच्छेद 168 से 212 राज्य विधायिका की संरचना, अवधि, अधिकारों, प्रक्रियाओं, विशेषाधिकारों, शक्तियों आदि से संबंधित हैं।
    • अनुच्छेद 168 के मुताबिक, प्रत्येक राज्य के लिये एक विधानमंडल होगा, जिसमें राज्यपाल होगा।
    • संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार, राज्यों को विधान परिषद के गठन अथवा विघटन का अधिकार है, यदि राज्य की विधानसभा इस आशय का एक प्रस्ताव पारित करती है।

स्रोत: द हिंदू

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