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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 08 सितंबर, 2020

  • 08 Sep 2020
  • 16 min read

फेफड़ों के कैंसर के लिये नैदानिक चिकित्सा

Diagnostic Therapy for Lung Cancer

हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology) के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान ‘जवाहर लाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र’ (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research- JNCASR) के शोधकर्त्ताओं ने फेफडों के कैंसर के लिये एक ‘थेरानोस्टिक्स ड्रग कैंडीडेट’ (Theranostics Drug Candidate) का विकास किया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • जीक्यू संरचनाओं (GQ Structures) की चयनात्मक पहचान एवं इमेजिंग कैंसर के लिये नैदानिक चिकित्सा के विकास में सहायक है। 

थेरानोस्टिक्स (Theranostics): 

  • ‘थेरानोस्टिक्स’ (Theranostics) शब्द चिकित्साशास्त्र (Therapeutics) एवं निदान (Diagnostics) का एक संयोजन है।
  • थेरनोस्टिक्स का उपयोग एक रेडियोधर्मी दवा (निदान करने के लिये) और दूसरी रेडियोधर्मी दवा (मुख्य ट्यूमर या किसी भी मेटास्टेटिक ट्यूमर के इलाज के लिये) के संयोजन के रूप में किया जाता है।

जी-क्वाडरुप्लेक्स या जीक्यू संरचनाएँ

(G-quadruplex or GQ Structures):

  • जी-क्वाडरप्लेक्स नान-कैनोनिकल डीएनए माध्यमिक संरचनाएँ होती हैं जो कई ऑन्कोजीन्स के अभिलक्षण सहित सेलुलर प्रक्रियाओं के एक विस्तृत रेंज को विनियमित करती हैं।
  • कैंसर कोशिकाओं में जीक्यू (GQ) के स्थिरीकरण से रेप्लीकेशन स्ट्रेस तथा डीएनए डैमेज एकुमुलेशन होता है इसलिये इन्हें आशाजनक केमोथेराप्यूटिक टार्गेट (Chemotherapeutic Target) के रूप में माना जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने बीसीएल-2 जीक्यू (BCL-2 GQ) की चयनात्मक पहचान के लिये एक अणु विकसित किया जिसमें ‘यूनिक हाइब्रिड लूप स्टैकिंग’ (Unique Hybrid Loop Stacking) और ‘ग्रूव बाइंडिंग मोड’ (Groove Binding Mode) के माध्यम से सुदूर लाल प्रतिदीप्ति प्रतिक्रिया (Far-red Fluorescence Response) और एंटीकैंसर गतिविधि को जीक्यू लक्षित (GQ-targeted) फेफड़ों के कैंसर के थेरानोस्टिक्स के रूप में प्रदर्शित किया गया।  
    • शोधकर्त्ताओं ने टीजीपी-18 (TGP-18) अणु की चिकित्सीय गतिविधि के लिये बीसीएल-2 जीक्यू (BCL-2 GQ) की प्रतिदीप्ति पहचान को ‘यूनिक हाइब्रिड बाइंडिंग मोड’ के साथ-साथ इसके एंटी-लंग कैंसर गतिविधि एवं ऊतक इमेजिंग क्षमता के माध्यम से दर्ज किया।
    • ‘यूनिक हाइब्रिड बाइंडिंग मोड’ के माध्यम से विशिष्ट टोपोलॉजी पहचान की उनकी रणनीति ने फेफड़ों की कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) एवं जीनोम अस्थिरता (Genome Instability) का प्रयोग किया।
  • JNCASR की टीम द्वारा किये गए इस अध्ययन से पता चलता है कि जी-क्वाडरुप्लेक्स  की विशिष्ट लूप संरचना से उत्पन्न चयनात्मक पहचान समग्र परस्पर क्रिया एवं बंधन संबंध को बदल देती है।
    • टीजीपी18, बीसीएल-2 जीक्यू के लिये बाध्यकारी है जो कैंसर कोशिकाओं में मृत्यु को प्रेरित करके प्रो-सर्वाइवल फंक्शन (Pro-survival Function) एवं कैंसर विरोधी गतिविधि को समाप्त करता है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2020

International Literacy Day 2020

प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2020 (International Literacy Day 2020) मनाया जाता है।

Literacy-Day

थीम:

  •  वर्ष 2020 के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम ‘COVID-19 संकट और उससे परे साक्षरता शिक्षण एवं सीखना’ (Literacy Teaching and Learning in the COVID-19 Crisis and Beyond) है।   

प्रमुख बिंदु:

  • अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की घोषणा पहली बार वर्ष 1966 में यूनेस्को (UNESCO) की आम सभा में की गई थी।  
  • यूनेस्को के अनुसार, दुनिया भर में 773 मिलियन वयस्क एवं युवा लोगों में अभी भी बुनियादी साक्षरता कौशल की कमी है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने देश में राज्यवार साक्षरता दर (वर्ष 2017-18 के लिये) जिसमें सात वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को शामिल किया गया था, के आँकड़े जारी किये।   

भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) के 75वें दौर के एक हिस्से के रूप में शिक्षा पर आधारित एक रिपोर्ट ‘घरेलू सामाजिक उपभोग’ (Household Social Consumption) के संदर्भ में प्रमुख आँकड़े निम्नलिखित हैं- 

प्रमुख आँकड़े:

  • यह रिपोर्ट जुलाई 2017 से जून 2018 तक किये गए सर्वेक्षण पर आधारित है। 
  • 96.2% साक्षरता के साथ केरल एक बार फिर देश में सबसे साक्षर राज्य के रूप में उभरा है जबकि आंध्र प्रदेश 66.4% की साक्षरता दर के साथ सबसे निचले स्थान पर है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, केरल के बाद दिल्ली की साक्षरता दर 88.7% है, इसके बाद उत्तराखंड की साक्षरता दर 87.6%, हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 86.6% और असम की साक्षरता दर 85.9% है।
  • वहीं दूसरी ओर आंध्रप्रदेश के बाद राजस्थान 69.7% साक्षरता दर के साथ दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है, इसके बाद बिहार (70.9%), तेलंगाना (72.8%), उत्तर प्रदेश (73%) एवं मध्य प्रदेश (73.7%) का स्थान है। 
  • अखिल भारतीय स्तर पर पुरुष साक्षरता दर (84.7%), महिला साक्षरता दर (70.3%) की तुलना में अधिक है।
    • सर्वेक्षण के अनुसार, पुरुष साक्षरता दर सभी राज्यों में महिला साक्षरता दर से अधिक है।    
    • केरल में पुरुष साक्षरता दर (97.4%) है जबकि महिला साक्षरता दर (95.2%) है। इसी तरह दिल्ली में पुरुष साक्षरता दर (93.7%) जबकि महिला साक्षरता दर (82.4%) है। 
  • गौरतलब है कि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में भी पुरुष एवं महिला साक्षरता दर में काफी अंतर है।
    • आंध्र प्रदेश में पुरुष साक्षरता दर (73.4%) है जो महिला साक्षरता दर (59.5%) से अधिक है।
    • राजस्थान में यह अंतर और भी व्यापक है क्योंकि वहाँ पुरुष साक्षरता दर (80.8%) महिला साक्षरता दर (57.6%) की तुलना में अधिक है। 
    • बिहार में पुरुष साक्षरता दर (79.7%), महिला साक्षरता दर (60.5%) की तुलना में अधिक है।
  • रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि लगभग 4% ग्रामीण घरों और 23% शहरी घरों में कंप्यूटर हैं।
    • 15-29 वर्ष की आयु के लोगों पर किये गए सर्वेक्षण में पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 24% और शहरी क्षेत्रों में 56% लोग कंप्यूटर चलाने में सक्षम थे।

टाइफून हैशेन

Typhoon Haishen

पिछले एक सप्ताह के अंदर जापान एवं इसके आसपास के क्षेत्र में दूसरे शक्तिशाली टाइफून हैशेन (Typhoon Haishen) ने जन-धन को काफी क्षति पहुँचाई है। गौरतलब है कि इससे पहले टाइफून मायसक (Typhoon Maysak) के कारण कोरियाई प्रायद्वीप में भारी नुकसान हुआ था।   

Typhoon-Haishen   

टाइफून हैशेन (Typhoon Haishen):

Typhoon

  • टाइफून ‘हैशेन’ को चीनी भाषा में ‘समुद्री देवता’ (Sea God) के रूप में जाना जाता है।   
  • टाइफून/हरिकेन या उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) को सैफिर-सिंपसन विंड स्केल (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिसमें हवा की गति के आधार पर 1 से 5 तक की रेटिंग दी जाती है।
  • ‘ज्वाइंट टाइफून वार्निंग सेंटर’ (JTWC) के अनुसार, टाइफून हैशेन को श्रेणी-4 (Category-4) के अंतर्गत रखा गया है क्योंकि इस तूफान में हवाओं की गति लगभग 230 किमी./घंटा थी। 

टाइफून मायसक (Typhoon Maysak):

Typhoon Maysak

  • टाइफून हैशेन की तरह लगभग समान ट्रैक का अनुसरण करता हुआ टाइफून मायसक इस सप्ताह की शुरूआत में कोरियाई प्रायद्वीप से टकराया था।
  • टाइफून मायसक को श्रेणी-2 (Category-2) के अंतर्गत रखा गया है क्योंकि इस तूफान में हवाओं की गति लगभग 165 किमी./घंटा थी। 

टाइफून के बारे में:

  • ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों को चीन सागर क्षेत्र में टाइफून कहते हैं। 
  • ज़्यादातर टाइफून जून से नवंबर के बीच आते हैं जो जापान, फिलीपींस और चीन जैसे देशों को प्रभावित करते हैं। दिसंबर से मई के बीच आने वाले टाइफूनों की संख्या कम ही होती है।
  • उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में चक्रवातों को 'हरिकेन', दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन में 'टाइफून' तथा दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' कहा जाता है। 

डोंगरिया कोंध

Dongria Kondh

हाल ही में ओडिशा के जनजातीय संग्रहालय ने डोंगरिया कोंध (Dongria Kondh) जनजाति की श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives), उनकी संरचनाओं एवं कामकाज पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक लघु फिल्म प्रसारित की।

Dongria-Kondh

प्रमुख बिंदु:

  • डोंगरिया कोंध एक विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (PVGTs) है जो ओडिशा के रायगढ़ एवं कालाहांडी ज़िलों में नियामगिरी पहाड़ियों (Niyamgiri Hills) की ढलानों में निवास करती है।
  • यह जनजाति अपने समुदाय के ही अंतर्गत कम-से-कम 10 प्रकार के सहकारी श्रम साझा करने का अभ्यास करती है।
  • गौरतलब है कि खड़े पहाड़ी ढलानों पर कृषि करने के लिये अत्यधिक श्रम की आवश्यकता होती है जो एक एकल परिवार प्रदान नहीं कर सकता है इसलिये डोंगरिया कोंध जनजाति ने सभी परिवारों के कृषि कार्यों को पूरा करने के लिये श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives) की अवधारणा नामक एक नई स्वदेशी प्रणाली विकसित की।  

श्रम सहकारी समितियों (Labour Cooperatives) की अवधारणा:

  • इस प्रणाली में पूरे समुदाय के श्रम को संलग्न करके सभी परिवारों के कृषि कार्यों को पूरा किया जाता है।    
  • सामुदायिक सदस्य कृषि लागत को कम करने के साथ-साथ सभी सदस्यों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिये एक साथ कार्य करते हैं।
  • सहकारी रूप से, युवा लड़के एवं लड़कियाँ, पुरुष, महिलाएँ एवं बुजुर्ग गाँव के खेतों व बागों में श्रम के मामले में समान रूप से योगदान करते हैं।

a. साहबती प्रणाली (Sahabati System):

  • इस प्रणाली के तहत गाँव के सभी डोंगरिया लोग एक ग्रामीण की ज़मीन पर एक दिन के लिये कार्य करते हैं। 
  • परंपरागत रूप से, मेजबान ग्रामीण बदले में अन्य डोंगरिया श्रमिकों के लिये चावल, दाल, करी एवं मांड की दावत की पेशकश करता है।
  • अब सामुदायिक भोज को समाप्त कर दिया गया है किंतु मेजबान गाँव की निधि के लिये एक टोकन राशि का भुगतान करता है। एकत्र धन का उपयोग पूरे गाँव के लिये एक दावत के आयोजन हेतु किया जाता है।

b. पंडबाती प्रणाली (Pundabati System):

  • इस प्रणाली में समुदाय के 10 से 15 सदस्यों को बुलाया जाता है जब खेतों में कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

उल्लेखनीय है कि कार्य की प्रकृति के आधार पर गाँव के सदस्यों को भी विशेष समूहों में संगठित किया जाता है।

1. दासीबाती (Daasibati):

  • यह गाँव की छोटी, अविवाहित लड़कियों का एक सहकारी समूह है जिन्हें कम तनाव वाले किंतु थकाऊ कार्य करने के लिये कहा जाता है जैसे- निराई, खेतों की बाड़, सफाई या फसलों की कटाई आदि।

2. धनग्दाबाती (Dhangdabati):

  • यह अविवाहित पुरुषों का सहकारी समूह होता है जिन्हें पेड़ों की कटाई, गड्ढे खोदना आदि कार्य प्रदान किये जाते हैं।   

3. दातारुबाती (Datarubati):

  • इसके तहत बूढ़े लोग शराब के एक हिस्से के लिये अपने-अपने क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद करते हैं।
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