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धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 तथा प्रवर्तन निदेशालय

  • 22 Dec 2025
  • 56 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

दिल्ली के एक विशेष न्यायालय ने कथित 2,000 करोड़ रुपये के नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है, जिससे धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 पर ध्यान केंद्रित हो गया है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 क्या है?

  • परिचय: PMLA, जो वर्ष 2005 में लागू हुआ, धन शोधन को रोकने तथा धन शोधन से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति की ज़ब्ती के लिये और उससे संबंधित या उसके अनुषंगी मामलों के लिये प्रावधान करने वाला एक अधिनियम है।
  • प्रवर्तन एजेंसी: यह अधिनियम प्रवर्तन निदेशालय (ED) को धन शोधन के मामलों की जाँच करने, संपत्ति कुर्क करने, ज़ब्त करने और अपराधियों के विरुद्ध अभियोजन चलाने की शक्ति प्रदान करता है।
  • दायरा: यह धन शोधन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल व्यक्तियों, कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यस्थों पर लागू होता है।
  • PMLA के प्रमुख प्रावधान:
    • अपराध एवं दंड: धन शोधन संबंधी अपराधों को परिभाषित करता है और कठोर कारावास तथा जुर्माने का प्रावधान करता है।
      • PMLA के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और अज़मानती होते हैं।
    • कुर्की और ज़ब्ती: अधिकारियों को न्यायनिर्णायक प्राधिकारी के माध्यम से अपराध की आय को कुर्क और ज़ब्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
    • अपराध से अर्जित आय: अनुसूचित अपराधों से संबंधित आपराधिक गतिविधि से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त या अर्जित किसी भी संपत्ति को शामिल करती है और ऐसी आय को विदेश में रखे जाने या ले जाए जाने पर समतुल्य संपत्ति को भी सम्मिलित करती है।
    • रिपोर्टिंग दायित्व: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रिकॉर्ड रखने और संदिग्ध लेनदेन की सूचना वित्तीय आसूचना इकाई – भारत (FIU-IND) को देने का आदेश देता है।
    • संस्थागत ढाँचा: जाँच पर्यवेक्षण और अपीलीय समीक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक नामित प्राधिकारी और एक अपीलीय अधिकरण का प्रावधान करता है।
  • न्यायिक निर्णय:
    • विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ (2022): सर्वोच्च न्यायालय ने ED की गिरफ्तारी, कुर्की और जाँच की शक्तियों सहित PMLA की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। इसने निर्णय दिया कि अभियुक्त को ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) की प्रति प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
    • अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2024): सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि PMLA की धारा 19 के अंतर्गत गिरफ्तारी के लिये ‘विश्वास करने का कारण’ का उच्च मानक पूरा किया जाना आवश्यक है, जो कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्यों पर आधारित हो और मात्र संदेह पर आधारित न हो।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बारे में प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की स्थापना वर्ष 1956 में नई दिल्ली में इसके मुख्यालय के साथ की गई थी। यह भारत में आर्थिक एवं वित्तीय कानूनों के प्रवर्तन हेतु प्रमुख एजेंसी है। इसका मुख्य दायित्व विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) के प्रवर्तन से संबंधित है।
  • संरचना: संगठनात्मक रूप से ED का नेतृत्व एक निदेशक (भारत सरकार के अपर सचिव से कम पद के नहीं) करता है।
    • इसकी पूरे देश में उपस्थिति है, जिसमें 10 क्षेत्रीय कार्यालय और 11 उप-क्षेत्रीय कार्यालय शामिल हैं, जो प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हैं।
    • ED परिचालन मामलों के लिये राजस्व विभाग के तहत कार्य करती है। FEMA से संबंधित नीतिगत मुद्दे आर्थिक कार्य विभाग के अंतर्गत आते हैं, जबकि PMLA से संबंधित नीतिगत मामलों का संचालन राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कार्य
    • सूचना एकत्र करना, विश्लेषण करना और प्रसारित करना: FEMA और PMLA के उल्लंघनों से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र करता है, उसका विश्लेषण करता है और साझा करता है।
    • अपराधों की जाँच करना: हवाला लेनदेन, विदेशी मुद्रा की तस्करी और निर्यात आय के  गैर-प्रत्यावर्तन जैसी घटनाओं की जाँच करता है।
    • पैसे की धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की कार्रवाई: PMLA के तहत तलाशी, ज़ब्ती, गिरफ्तारी, संपत्ति का संलग्नीकरण और अभियोजन करता है।
    • निवारक हिरासत के लिए सिफारिश: विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) (1974) के तहत निवारक हिरासत के लिये  मामलों की सिफारिश करता है।
    • विदेशों के साथ कानूनी सहायता: अपराध से प्राप्त संपत्ति के संलग्नीकरण, ज़ब्ती और जायदाद की वसूली तथा निर्वासन संबंधी मामलों में विदेशों के साथ आपसी कानूनी सहायता की सुविधा प्रदान करता है।
    • आर्थिक भगोड़े अपराधियों की संपत्ति जुब्त करना और केंद्रीय सरकार को हस्तांतरित करना: ED को अधिकार है कि वह आर्थिक भगोड़े अपराधियों की संपत्ति ज़ब्त करे और उसे केंद्रीय सरकार के नाम हस्तांतरित करे।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उपलब्धियाँ: वित्तीय वर्ष 2024–25 में ED ने 30,036 करोड़ रुपये मूल्य के प्रारंभिक संपत्ति संलग्नीकरण आदेश जारी किये, जो वर्ष 2023–24 की तुलना में संख्या में 44% और मूल्य में 141% की वृद्धि दर्शाता है।
    • वर्ष 2025 तक प्रारंभिक संपत्ति संलग्नीकरण के तहत कुल संपत्ति का मूल्य 15.46 लाख करोड़ रुपये था।
    • वर्ष 2014 से वर्ष 2024 तक ED ने लगभग 5,000 नए PMLA मामलों की जाँच शुरू की, जो प्रवर्तन गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि को प्रदर्शित करता है।

नोट:  जब किसी स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज किसी अपराध से 1 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध-आय (Proceeds of Crime) उत्पन्न होती है, तो जाँच अधिकारी उसके विवरण प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अग्रेषित करता है।

  • वैकल्पिक रूप से यदि किसी अपराध की जानकारी केंद्रीय एजेंसी को मिलती है तो ED यह जाँचने के लिये संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) या चार्जशीट मंगवा सकता है कि उसमें धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का तत्त्व शामिल है या नहीं।
  • स्थानीय पुलिस मुख्य रूप से आधारभूत (प्रिडिकेट/मूल) अपराध जैसे चोरी, धोखाधड़ी या छल की जाँच करती है। यदि अवैध धन केवल बरामद कर लिया गया हो और उसका उपयोग या स्थानांतरण न किया गया हो तो मामला मूल अपराध तक ही सीमित रहता है और ED हस्तक्षेप नहीं करता
  • ED तब कार्रवाई करता है जब धन शोधन की आशंका उत्पन्न होती है अर्थात जब अपराध से प्राप्त धन का उपयोग, हस्तांतरण, बहु-स्तरीय लेन–देन (लेयरिंग) या निवेश किया जाता है जैसे अचल संपत्तियों की खरीद या धन को विभिन्न माध्यमों अथवा व्यक्तियों के माध्यम से प्रवाहित करना।
    • ED का मुख्य ध्यान अवैध धन के प्रवाह का पता लगाने और अपराध-आय की वसूली हेतु अभियुक्तों की संपत्तियों के संलग्नीकरण करने पर होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 क्या है?
यह धन शोधन को रोकने तथा अनुसूचित अपराधों से जुड़े अपराध-आय के संलग्नीकरण और ज़ब्ती को सक्षम बनाने हेतु बनाया गया कानून है।

2. भारत में PMLA को लागू करने वाली एजेंसी कौन सी है?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) PMLA के अंतर्गत अपराधों की जाँच, संपत्तियों का संलग्नीकरण तथा अभियोजन करने के लिये अधिकृत नोडल एजेंसी है।

3. PMLA के अंतर्गत ‘अपराध-आय (Proceeds of Crime)’ क्या है?
किसी भी अनुसूचित अपराध से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अर्जित कोई भी संपत्ति, जिसमें विदेश में रखी गई समतुल्य संपत्ति भी शामिल है।

4. PMLA को कठोर कानून क्यों माना जाता है?
क्योंकि इसके अंतर्गत अपराध संज्ञेय और गैर-ज़मानती हैं तथा दोषसिद्धि से पूर्व भी संपत्ति के अस्थायी संलग्नीकरण तथा ज़ब्ती का प्रावधान है।

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