रैपिड फायर
‘पैक्स सिलिका’ पहल
- 15 Dec 2025
- 14 min read
वर्ष 2025 में आयोजित पहले ‘पैक्स सिलिका’ शिखर सम्मेलन में, भारत को अमेरिका के नेतृत्व वाली 'पैक्स सिलिका' पहल से बाहर रखा गया, जिससे तीव्र राजनीतिक आलोचना हुई।
- पैक्स सिलिका पहल: यह एक सुरक्षित, अनुकूल और नवाचार-संचालित सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला बनाने की एक रणनीतिक पहल है ।
- इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों, ऊर्जा स्रोतों, सेमीकंडक्टरों , उन्नत विनिर्माण, एआई अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को कम करना और जबरदस्ती की निर्भरता का मुकाबला करना है।
- ‘पैक्स सिलिका’ के तहत प्रमुख उपायों में उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त उद्यमों और रणनीतिक सह-निवेश को बढ़ावा देना, संवेदनशील प्रौद्योगिकियों और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को चिंताजनक देशों से बचाना और विश्वसनीय प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना शामिल है।
- शामिल देश (दिसंबर 2025 तक): अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, इज़रायल, यूएई और ऑस्ट्रेलिया।
- गौरतलब है कि क्वाड के अन्य सदस्य (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) इसमें शामिल हैं, लेकिन भारत नहीं है।
- भारत की स्थिति: विशेषज्ञों का कहना है कि भारत बाद के चरण में पैक्स सिलिका में शामिल हो सकता है, जैसा कि मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) के मामले में देखा गया है, जो महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करने के लिये वर्ष 2022 में शुरू की गई अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल है।
- भारत जून, 2023 में जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा जैसे साझेदारों के साथ MSP में शामिल हुआ।
- MSP लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और 17 दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे खनिजों पर केंद्रित है तथा इसे दुर्लभ पृथ्वी प्रसंस्करण में चीन के प्रभुत्व और अफ्रीका में उसके खनन पदचिह्न का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जाता है।
|
और पढ़ें: क्रिटिकल मिनरल्स एलायंस |