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पूर्वोत्तर मानसून

  • 18 Oct 2025
  • 11 min read

स्रोत: TH

अक्तूबर 2025 में पूर्वोत्तर मानसून के समय पर आगमन से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को प्रभावी राहत मिली है, क्योंकि ये क्षेत्र कृषि और जल सुरक्षा दोनों के लिये इस पर बहुत अधिक निर्भर हैं। 

  • पूर्वोत्तर मानसून (अक्तूबर से दिसंबर): जैसे ही दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) समाप्त होने लगता है, अक्तूबर तक उत्तर-पूर्वी मानसून सक्रिय हो जाता है। 
    • इसे मानसून निवर्तन भी कहा जाता है। यह लघु और कम व्यापक होता है, तथापि विशेष रूप से दक्षिण भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • अक्तूबर तक, सतह समुद्र की तुलना में तेज़ी से ठंडी होने लगती है। इससे भारतीय उपमहाद्वीप पर एक उच्च दाब क्षेत्र और आसपास के समुद्रों पर एक निम्न दाब क्षेत्र बन जाता है। 
      • वायु के प्रवाह की दिशा विपरीत हो जाती है और पवनें सतह से समुद्र की ओर प्रवाहित होने लगती हैं। इन्हें उत्तर-पूर्वी पवनें कहते हैं। चूँकि ये पवनें दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुँचने से पहले बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुज़रती हैं, इसलिये ये कुछ नमी अपने साथ ग्रहण कर लेती हैं। 
      • जैसे ही ये पवनें तमिलनाडु, दक्षिण आंध्र प्रदेश और श्रीलंका के कुछ हिस्सों तक पहुँचती हैं, वे वर्षण के लिये प्रचुर मात्रा में नमी प्रदान करती हैं।  
    • यह वर्षा तमिलनाडु जैसे क्षेत्रों के लिये अत्यंत आवश्यक है, जहाँ दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान ज़्यादा वर्षा नहीं होती। यह रबी की फसलों के लिये लाभदायक है और दक्षिणी प्रायद्वीप में जलाशयों को पूरित करती है। 

और पढ़ें…: मानसून 
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