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चंद्र बाह्यमंडल

  • 23 Oct 2025
  • 11 min read

स्रोत: द हिंदू 

भारत के चंद्रयान-2 ने एक अहम वैज्ञानिक अवलोकन किया है – इसने सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के चंद्र बाह्यमंडल (Exosphere) पर प्रभाव का पता लगाया है। ये निष्कर्ष उपग्रह पर लगे प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण CHACE-2 (चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2) का उपयोग करके प्राप्त किये गए।

  • चंद्र बाह्यमंडल: चंद्रमा का वायुमंडल अत्यंत संकीर्ण है और इसे बाह्यमंडल के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहाँ गैस के अणु और परमाणु बहुत कम टकराते हैं। इसका सतह भाग इस बाह्यमंडल की निचली सीमा बनाता है।
    • यह बाह्यमंडल हीलियम, आर्गन एवं नियोन जैसी गैसों को समाहित करता है, जिसमें रेडियोधर्मी विघटन, सौर पवन और उल्कापिंडों के प्रभावों के अवशेष शामिल हैं।
    • इसके कम घनत्व के कारण यह ऊष्मा धारण नहीं कर सकता, जिससे तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है।
    • इस संवेदनशील वायुमंडल के निर्माण में कई प्रक्रियाएँ शामिल हैं:
      • सौर विकिरण और सौर पवन (हाइड्रोजन, हीलियम और भारी तत्त्वों के आयन) के साथ परस्पर क्रिया।
      • उल्कापिंडों के प्रभाव से चंद्र की सतह से परमाणु और अणु का उत्सर्जित होना।
  • कोरोनल मास इजेक्शन (CME):  कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सूर्य की बाह्य परत (कोरोना) से प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉनों वाली उष्म गैस और चुंबकीय क्षेत्र का भारी एवं तीव्र उत्सर्जन है, जो सौर मंडल में प्रसारित होता है।
    • यह सौरमंडल की व्यापक परिघटनाओं में से एक है और इसे अंतरिक्षीय मौसम का प्रमुख चालक माना जाता है।

Coronal_Mass_Ejection

और पढ़ें: चंद्रमा पर आर्गन-40 का वितरण

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