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हूल दिवस

  • 01 Jul 2025
  • 4 min read

स्रोत: पी.आई.बी

प्रधानमंत्री ने हूल दिवस (30 जून) के अवसर पर सिदो-कान्हू, चाँद-भैरव, फूलो-झानो तथा अन्य जनजातीय शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने औपनिवेशिक उत्पीड़न का विरोध करते हुए संथाल विद्रोह की शुरुआत की थी और अपने साहसपूर्ण संघर्ष की अमिट विरासत छोड़ी।

संथाल विद्रोह

  • परिचय: संथाल हूल एक जनजातीय विद्रोह था और ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ भारत का पहला संरचित युद्ध था, जो वर्ष 1857 के विद्रोह से दो वर्ष पहले वर्ष 1855 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य आर्थिक शोषण एवं भूमि अलगाव का विरोध करना था।
  • नेतृत्व और एकता: इस विद्रोह का नेतृत्व सिदो और कान्हू ने किया था। इसने 32 जातियों/समुदायों को एकजुट किया, जो औपनिवेशिक ताकतों के विरुद्ध दुर्लभ जनजातीय एकजुटता का प्रतीक है।
  • विद्रोह की शुरुआत: इसका मूल वर्ष 1832 की दामिन-ए-कोह (Damin-i-Koh) बस्ती योजना में था, जिसे राजमहल की पहाड़ियों में लागू किया गया। इसमें बंगाल से विस्थापित संथालों को बसाया गया, लेकिन उन्हें ज़मीन पर कब्ज़ा, बंधुआ मज़दूरी (कामोती/हरवाही) और ब्रिटिश समर्थित ज़मींदारों द्वारा शोषण का सामना करना पड़ा।
  • प्रभाव: इस विद्रोह के फलस्वरूप संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1876 (SPT Act) और बाद में छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 (CNT Act) पारित हुए।
    • SPT अधिनियम (1876) के तहत आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों को स्थानांतरित करना प्रतिबंधित है, जिससे संथालों के भूमि अधिकारों की रक्षा होती है। CNT अधिनियम (1908) के अनुसार, आदिवासी और दलित भूमि की बिक्री प्रतिबंधित है; इसे केवल समान जाति तथा क्षेत्र के लोगों को, ज़िलाधिकारी की अनुमति से ही हस्तांतरित किया जा सकता है। 

संथाल जनजाति

  • परिचय: संथाल मूल रूप से बीरभूम और मानभूम (वर्तमान पश्चिम बंगाल) से हैं। वर्ष 1770 के बंगाल के अकाल और ब्रिटिश नीतियों के कारण वे विस्थापित हुए तथा बाद में स्थायी बंदोबस्त अधिनियम (1790) के तहत दामिन-ए-कोह (झारखंड) क्षेत्र में राजस्व कृषि के लिये बसाए गए।
  • जनसांख्यिकी: संथाल भारत की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति हैं (गोंड और भील जनजातियों के बाद)। ये मुख्यतः झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में निवास करते हैं।
  • संस्कृति और धर्म: संथाल कृषि से जुड़े त्योहारों जैसे- सोहराय, बहा और करम को उत्साह के साथ मनाते हैं। ये संथाली भाषा बोलते हैं (जो आठवीं अनुसूची में शामिल है) और ओल चिकी लिपि का प्रयोग करते हैं।

Major Tribal Revolts In India

और पढ़ें: 1855 का संथाल हूल

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