रैपिड फायर
हट्टी जनजाति
- 23 Jul 2025
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स्रोत: द हिंदू
हिमाचल प्रदेश में हट्टी जनजाति के दो भाइयों ने एक ही महिला से बहुपति विवाह किया, जो कि कुछ हिमालयी जनजातीय समुदायों में आज भी देखी जाने वाली एक पारंपरिक प्रथा है।
हट्टी जनजाति:
- परिचय: हट्टी एक घनिष्ठ जनजातीय समुदाय है जो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा के आसपास निवास करता है।
- उनका नाम स्थानीय हाटों (बाज़ार) में फसल और माँस बेचने के उनके पारंपरिक व्यवसाय से आया है।
- हट्टी समुदाय दो प्रमुख उपसमूहों में विभाजित है — ट्रांस-गिरी (हिमाचल प्रदेश) और जौनसार बावर (उत्तराखंड)।
- इन्हें अगस्त 2023 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया।
- बहुपति प्रथा (Polyandry): स्थानीय रूप से ‘जोड़ीदारा’ या ‘जजदा’ के नाम से जाना जाने वाला यह हट्टी समुदाय के बीच एक पारंपरिक प्रथा है, जहाँ भाई एक ही महिला से विवाह करते हैं।
- इसका उद्देश्य पारंपरिक रूप से भूमि के विभाजन को रोकना और पारिवारिक एकता बनाए रखना था।
- आज यह प्रथा दुर्लभ हो चुकी है, लेकिन समुदाय में इसका सांस्कृतिक महत्त्व बना हुआ है।
- भारत के कानून के अनुसार बहुपति प्रथा अवैध है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के राजस्व कानून ने हट्टी जनजाति की ‘जोड़ीदारा’ परंपरा को मान्यता दी है और उन्हें पारंपरिक जनजातीय कानून के अंतर्गत यह प्रथा जारी रखने की अनुमति दी गई है।
- बहुपति प्रथा, बहुविवाह का एक प्रकार है, जिसमें एक महिला के एक साथ कई पति होते हैं।
- पारंपरिक परिषद (Traditional Council): हट्टी समुदाय की सामाजिक और सामुदायिक निर्णय प्रक्रिया ‘खुंबली’ नामक स्थानीय निकाय द्वारा संचालित होती है।