रैपिड फायर
मलेरिया वैक्सीन एडफाल्सीवैक्स
- 23 Jul 2025
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स्रोत: DD
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) एक नवीन काइमेरिक मलेरिया वैक्सीन एडफाल्सीवैक्स विकसित कर रही है।
- एडफाल्सीवैक्स: यह एक बहु-चरणीय मलेरिया वैक्सीन है, जो प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (मलेरिया का सबसे घातक परजीवी) के दो प्रमुख चरणों प्री-एरिथ्रोसाइटिक स्टेज (यकृत चरण) और सेक्सुअल स्टेज (जो मच्छरों के माध्यम से रोग के संचरण को संभव बनाता है) को लक्षित करती है। इस वैक्सीन को लेक्टोकोकस लैक्टिस (Lactococcus lactis) नामक एक सुरक्षित, खाद्य-स्तर के जीवाणु का उपयोग करके विकसित किया गया है।
- इसका उद्देश्य व्यक्तियों को मलेरिया से सुरक्षा प्रदान करना तथा रोग के संचरण को कम करना है। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल और मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करती है।
- ‘काइमेरिक वैक्सीन’ वह होती है जिसमें विभिन्न स्रोतों की आनुवंशिक सामग्री को मिलाकर एक संकर (हाइब्रिड) या पुनः संयोजित (Recombinant) संरचना तैयार की जाती है।
- मलेरिया: यह प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों द्वारा फैलता है।
- यह रोग मुख्यतः उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है, जैसे कि उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका।
- मलेरिया परजीवी सबसे पहले यकृत (लिवर) को संक्रमित करता है, और फिर लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) में प्रवेश करता है। प्रमुख लक्षणों में बुखार, सर्दी लगना, थकान और सिरदर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में यह अंग विफलता या मृत्यु का कारण बन सकता है। यह रोग न केवल रोके जाने योग्य है, बल्कि पूर्णतः उपचार योग्य भी है।
- R21/Matrix-M और RTS,S जैसी वैक्सीनों को बच्चों में मलेरिया की रोकथाम हेतु सुरक्षित एवं प्रभावी पाया गया है और इनसे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- उपचार हेतु प्रयुक्त प्रमुख औषधियाँ हैं: क्लोरोक्वीन और आर्टेमिसिनिन। यूयू टू (Youyou Tu) को आर्टेमिसिनिन की खोज के लिये नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
- भारत में मलेरिया की स्थिति: विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में मलेरिया के मामलों में भारी गिरावट आई है:
- विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, वर्ष 2015 में 11.69 लाख मामलों से घटकर वर्ष 2023 में मात्र 2.27 लाख मामले रह गए है।
- वर्ष 2024 में, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (HBHI) सूची से बाहर हो गया है, जो कि वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के अपने लक्ष्य की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
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