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ग्रेट रेज़िगनेशन

  • 19 Jan 2022
  • 4 min read

हाल ही में कोविड-19 के बाद बड़ी संख्या में लोग "एंटीवर्क" के सिद्धांत को अपनाकर अपनी नौकरी से बाहर निकल रहे हैं विशेष कर अमेरिका और यूरोपीय देशों में।

  • यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (BLS) के अनुसार, अगस्त 2021 में रिकॉर्ड 4.3 मिलियन लोगों ने इस्तीफा दिया, जो जुलाई से 2,42,000 अधिक है।
  • अमेरिकी मनोवैज्ञानिक एंथनी क्लॉट्ज़ ने इसे "ग्रेट रेज़िगनेशन" कहा है जो कार्य-जीवन समीकरण में प्राथमिकताओं को फिर से तैयार करने का आह्वान है।

प्रमुख बिंदु:

  • कोविड का प्रभाव:
    • कार्य से बाहर निकलने वालों में प्रमुख रूप से खुदरा और आतिथ्य क्षेत्र के वे कर्मचारी शामिल हैं जो नौकरी बदलने या अपने विकल्पों का पुनर्मूल्यांकन करने के इच्छुक थे।
    • मध्य और पूर्वी यूरोप के कई देशों ने कुशल श्रम शक्ति में गिरावट दर्ज की है।
      • हालाँकि यह मज़बूत सामाजिक सुरक्षा जाल के कारण हो सकता है।
    • महामारी और लॉकडाउन के मध्य जीवित रहना और इसका सामना करना कई लोगों को ‘काम-मुक्त’ जीवन को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखने हेतु प्रेरित करता है।
  • ‘ग्रेट रेज़िगनेशन’ का महत्त्व
    • कम वेतन, अव्यावहारिक कार्य समय-सीमा और खराब लीडरशिप या बॉस आदि से संबंधित समस्याओं ने ‘ग्रेट रेज़िगनेशन’ को और अधिक बढ़ावा दिया है।
    • इसका मतलब यह भी है कि इन श्रमिकों के पास अपने मौजूदा नियोक्ताओं से परे बाज़ार मूल्य मौजूद हैं और वे इससे अधिक बेहतर रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं।
      • वे बेहतर नौकरी के अवसर प्राप्त करने या स्टार्ट-अप चुनने के लिये अपने अनुभव पर भरोसा करते हैं।
    • एक सामान्य आशंका यह भी है कि क्षमता निर्माण में पर्याप्त पूंजी आवंटन नहीं किया गया है।
  • भारत की स्थिति:
    • सामाजिक सुरक्षा और बेरोज़गारी लाभ की अनुपस्थिति के कारण भारत में ऐसी कोई घटना नहीं देखी गई है।
      • नौकरियों से बाहर निकलने की विलासिता या विशेषाधिकार भारत में अधिकांश लोगों के लिये उपलब्ध नहीं था।
    • हालाँकि ‘रिमोट वर्किंग’ या ‘वर्क फ्रॉम होम’ ने कॉरपोरेट्स और कर्मचारियों के लिये लचीले वर्क मॉडल को संभव बना दिया है।
    • इससे टियर-II और टियर-III शहरों में लोगों की नौकरियाँ जा रही हैं। जिससे भारत की स्थानिक अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रहा है।
      • साथ ही वर्क फ्रॉम होम ने बाज़ार में मांग संरचना में बदलाव को गति दी है।
    • इसके अलावा भारतीय आईटी और आईटीईएस क्षेत्रों में भी लोग अपनी नौकरी बदल रहे हैं।
      • कई स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न बन गए हैं और कई थोक में काम पर रख रहे हैं तथा काफी अधिक भुगतान करने के लिये तैयार हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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