रैपिड फायर
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs)
- 15 Dec 2025
- 18 min read
भारत ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (Global Capability Centres–GCCs) के लिये विश्व के प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है। वर्तमान में देश में 1,700 से अधिक GCCs संचालित हैं और वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र की अनुमानित आय 105 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है, जिससे यह भारत की सेवा-आधारित विकास रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनता जा रहा है।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC)
- परिचय: ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC), जिन्हें पहले ग्लोबल इन-हाउस सेंटर्स (GIC) के नाम से जाना जाता था, बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा स्थापित की गई अपतटीय इकाइयाँ हैं।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत के GCC अब एयरोस्पेस, रक्षा, सेमीकंडक्टर, इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास, नवाचार केंद्रों और वैश्विक संचालन में रणनीतिक भूमिका निभाते हैं, जिससे आत्मनिर्भर भारत को मज़बूती मिलती है।
- क्लस्टर शहर: प्रमुख केंद्रों में बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, एनसीआर और मुंबई शामिल हैं।
- महत्व: भारत में लगभग 1,700 GCC केंद्र हैं, जिनमें 1.9 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं तथा वर्ष 2030 तक इनकी संख्या 2,400 केंद्रों और 2.8 मिलियन कर्मचारियों तक पहुँचने का अनुमान है।
- भारत वैश्विक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) कार्यबल में 28% और वैश्विक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रतिभा पूल में 23% का योगदान प्रदान करते हैं। वर्ष 2030 तक GCC देशों में वैश्विक नेतृत्व भूमिकाओं की संख्या 6,500 से बढ़कर 30,000 तक पहुँचने का अनुमान है।
- इंजीनियरिंग रिसर्च GCCs, ओवरऑल GCC सेटअप की तुलना में 1.3 गुना तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
- लक्षित नीतियाँ और सुधार: जेनेसिस (जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फॉर इनोवेटिव स्टार्टअप्स) - टियर-II और टियर-III शहरों में GCC फीडर इकोसिस्टम स्थापित करने हेतु ₹490 करोड़ की योजना को बढ़ावा देना है।
- MeitY द्वारा संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 2.0): आनुवंशिक रूप से विकसित देशों को आकर्षित करने के लिये प्लग-एंड-प्ले बुनियादी ढाँचा प्रदान करता है।
- स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और फ्यूचरस्किल्स प्राइम (MeitY-NASSCOM) जैसे कार्यक्रम भविष्य के लिये तैयार डिजिटल कार्यबल का निर्माण कर रहे हैं।
- भारत अधिकांश क्षेत्रों, विशेष रूप से आईटी और अनुसंधान एवं विकास में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देता है, जिससे GCC देशों में निवेश को बढ़ावा मिलता है।
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