रैपिड फायर
MSME क्षेत्र में अंतराल
- 15 May 2025
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स्रोत: द हिंदू
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा जारी रिपोर्ट "भारतीय MSME क्षेत्र की समझ: प्रगति और चुनौतियाँ" में समय पर और पर्याप्त ऋण की कमी को भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये प्रमुख चुनौती के रूप में चिन्हित किया गया है।
- मुख्य निष्कर्ष: अनौपचारिक उधारी अभी भी प्रचलित है, जहाँ 12% सूक्ष्म उद्यम, 3% लघु उद्योग, और कुल मिलाकर 2% MSME अब भी अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भर हैं।
- MSME क्षेत्र को 24% का ऋण अंतराल का सामना करना पड़ रहा है, जो लगभग 30 लाख करोड़ रुपए है। सेवा क्षेत्र में यह अंतराल 27% तक बढ़ गया है और महिलाओं के स्वामित्व वाले MSME के लिये यह 35% तक पहुँच गया है।
- MSME में 25% इकाइयाँ कुशल मानव संसाधन की कमी, विशेष रूप से रक्षा, परिधान, होटल और सेनेटरीवेयर क्षेत्रों में, का सामना कर रही हैं।
- SIDBI: यह एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना सिडबी अधिनियम, 1989 के तहत की गई थी, और यह भारत में MSME क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास के लिये प्रमुख वित्तीय संस्था के रूप में कार्य करता है।
- SIDBI, जिसका मुख्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है, भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक संस्था है।
- भारत में MSME का वर्तमान परिदृश्य: MSME अब भारत के सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) (2022–23) में 30.1% का योगदान देते हैं, जो वर्ष 2020–21 में 27.3% था।
- MSME से निर्यात ₹3.95 लाख करोड़ (2020–21) से बढ़कर ₹12.39 लाख करोड़ (2024–25) हो गया है, जिससे वर्ष 2024 तक कुल निर्यात में उनका हिस्सा 45.79% तक पहुँच गया है।
MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) का नया वर्गीकरण:
प्रकार |
निवेश |
टर्नओवर |
||
वर्तमान |
संशोधित |
वर्तमान |
संशोधित |
|
सूक्ष्म उद्यम |
₹1 करोड़ |
₹2.5 करोड़ |
₹5 करोड़ |
₹10 करोड़ |
लघु उद्यम |
₹10 करोड़ |
₹25 करोड़ |
₹50 करोड़ |
₹100 करोड़ |
मध्यम उद्यम |
₹50 करोड़ |
₹125 करोड़ |
₹250 करोड़ |
₹500 करोड़ |
स्रोत: बजट 2025-2026, निर्मला सीतारमण का भाषण, केंद्रीय वित्त मंत्री, 1 फरवरी 2025
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