रैपिड फायर
बॉण्ड फॉरवर्ड
- 15 May 2025
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स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के बॉण्ड फॉरवर्ड्स संबंधी मानदंडों का उद्देश्य भारत में सरकारी प्रतिभूतियों में फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के व्यापार के लिये एक विनियमित ढाँचा स्थापित करना है।
- फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट दो पक्षों के बीच किसी परिसंपत्ति को किसी निर्दिष्ट भविष्य की तिथि पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदने या बेचने के लिये किये गए अनुकूलित समझौते हैं।
बॉण्ड फॉरवर्ड
- परिचय: बॉण्ड फॉरवर्ड वित्तीय अनुबंध हैं, जिसमें दो पक्ष भविष्य की तिथि और पूर्व-निर्धारित मूल्य पर सरकारी बॉण्ड (केंद्रीय या राज्य) खरीदने या बेचने के लिये सहमत होते हैं, जो ब्याज दर जोखिमों के प्रबंधन हेतु एक नया उपकरण प्रदान करता है।
- उद्देश्य: दीर्घकालिक निवेशकों (जैसे बीमा कंपनियाँ) को ब्याज दर जोखिम से बचाव में सहायता करना, नकदी प्रवाह नियोजन में सुधार करना तथा बॉण्ड डेरिवेटिव बाज़ार को गहन बनाना।
- अविनियमित FRA (फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट) के विपरीत, जो केवल नकद निपटान की पेशकश करते हैं, जबकि बॉण्ड फॉरवर्ड में बॉण्ड की वास्तविक डिलीवरी शामिल होती है, जो ऐसे निवेशकों की आवश्यकताओं के साथ बेहतर ढंग से संरेखित होती है।
- बाज़ार प्रभाव: बॉण्ड फॉरवर्ड से 10-15-वर्षीय राज्य विकास ऋण (SDL) की मांग बढ़ने की संभावना है, जो उच्चतर प्रतिफल प्रदान करते हैं (उदाहरण के लिये, SDL पर 6.71% बनाम केंद्रीय सरकार के बॉण्ड पर 6.41%), जो उन्हें फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स के लिये आकर्षक बनाता है।
- प्रतिभागी: विदेशी मुद्रा प्रबंधन (ऋण उपकरण) विनियम, 2019 के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिये पात्र निवासी और गैर-निवासी बॉण्ड फॉरवर्ड लेनदेन में भाग ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त गैर-खुदरा उपयोगकर्त्ता के रूप में वर्गीकृत किसी भी इकाई को उपयोगकर्त्ता के रूप में ऐसे लेनदेन करने की अनुमति है।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB), प्राथमिक डीलर (बाज़ार निर्माता के रूप में) और बीमा कंपनियों जैसे संस्थागत निवेशक इसमें भाग ले सकते हैं, जबकि लघु वित्त बैंक (SFB), भुगतान बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक (LAB) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) इसमें शामिल नहीं हैं।
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