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विदेशी पूंजी प्रवाह और भारत का भुगतान संतुलन

  • 09 Sep 2025
  • 30 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारत, विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, जिसने वर्ष 2021 से 2024 के बीच 8.2% की औसत वार्षिक GDP वृद्धि दर दर्ज की है, जो वियतनाम, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों से आगे है। 

  • मज़बूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद, भारत को कम शुद्ध विदेशी पूंजी प्रवाह का सामना करना पड़ रहा है, जो उसकी भुगतान संतुलन (Balance of Payments) में GDP विस्तार और निवेशकों की भावना के बीच एक अंतर को दर्शाता है। 

भुगतान संतुलन क्या है? 

  • परिचय: भुगतान संतुलन एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संकेतक के रूप में कार्य करता है, जो भारत एवं शेष विश्व के बीच सभी वित्तीय लेन-देन का विवरण देता है। 
    • यह व्यापक खाता बही धन के अंतर्वाह और बहिर्वाह पर नज़र रखता है, जहाँ अंतर्वाह को सकारात्मक एवं बहिर्वाह को नकारात्मक के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर देश की आर्थिक अंतःक्रियाओं को दर्शाता है। 
    • यह विदेशी मुद्राओं के तुलना में रुपये की सापेक्ष मांग को मापता है, जो विनिमय दरों एवं आर्थिक स्थिरता को विशेष  रूप से प्रभावित करता है। 
  • BoP के घटक: 
    • चालू खाता: 
      • वस्तुओं का व्यापार: भौतिक आयात एवं निर्यात को ट्रैक करता है, जो व्यापार संतुलन को दर्शाता है। घाटा निर्यात की तुलना में अधिक आयात का संकेत देता है। 
      • सेवाओं का व्यापार (अदृश्य): इसमें IT, पर्यटन तथा धनप्रेषण जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जो व्यापार घाटे के बावजूद भारत के चालू खाता अधिशेष में सकारात्मक योगदान देते हैं। 
      • इन दोनों घटकों का शुद्ध योग चालू खाता शेष निर्धारित करता है। 
    • पूंजी खाता:  
      • इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तथा विदेशी संस्थागत निवेश (FII) जैसे निवेश शामिल हैं, जो आर्थिक विकास एवं स्थिरता के लिये आवश्यक हैं।  
      • पूंजी खाता प्रवाह वाणिज्यिक उधार, बैंकिंग, निवेश, ऋण और पूंजी जैसे कारकों को प्रतिबिंबित करता है। 

 

भारत के भुगतान संतुलन (BoP) की वर्तमान स्थिति क्या है? 

  • व्यापार घाटा और अदृश्य खाता: भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है और वर्ष 2024-25 में यह 287.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया। 
    • हालाँकि, यह "अदृश्य" खाते में अधिशेष के कारण संतुलित रहा है, जो मुख्य रूप से सेवा निर्यात और भारतीय प्रवासी समुदाय से प्राप्त धन के कारण है। 
    • इन अधिशेषों ने वस्त्र व्यापार घाटे के बढ़ने के बावजूद चालू खाता घाटे (CAD) को प्रबंधनीय बनाए रखने में मदद की है। 
  • विकास और निवेश विरोधाभास: मज़बूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद भारत को विदेशी निवेश आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) 25.3 अरब अमेरिकी डॉलर था। 
    • हालाँकि, भारत ने पिछले वर्षों में महत्त्वपूर्ण शुद्ध बहिर्वाह का अनुभव किया, जैसे वर्ष 2022-23 में 5.1 अरब डॉलर, वर्ष 2024-25 में 14.6 अरब डॉलर और वर्ष 2025-26 में 2.9 अरब डॉलर (5 सितंबर तक)। 
      • यह प्रवृत्ति उस विरोधाभास को उजागर करती है, जहाँ भारत का आर्थिक विस्तार विदेशी पूंजी प्रवाह के साथ मेल नहीं खाता। 
  • निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी निकासी: निजी इक्विटी (PE) और उद्यम पूंजी (VC) निवेशों से निकासी में वृद्धि, नई पूंजी सृजन के बजाय, लाभवसूली और परिपक्व निवेश को दर्शाती है। 
    • PE/VC निकासी का कुल मूल्य वर्ष 2022 में 24 अरब डॉलर, वर्ष 2023 में 29 अरब डॉलर और वर्ष 2024 में 33 अरब डॉलर रहा। 
    • विदेशी निवेशक कॉर्पोरेट आय, समग्र व्यावसायिक माहौल और बाज़ार मूल्यांकन को मुख्य GDP वृद्धि आँकड़ों से अधिक प्राथमिकता देते हैं। 

विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित पर विचार कीजिये:  (2025)

I. बॉन्ड

II. प्रतिरक्षा निधियाँ (हेज फंड्स)

III. स्टॉक 

IV. जोखिम पूँजी

उपर्युक्त में से कितनों को वैकल्पिक निवेश निधि माना जाता है? 

(a) केवल एक 

(c) केवल तीन 

(b) केवल दो 

(d) सभी चार

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