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संरक्षित क्षेत्र

  • 09 Sep 2025
  • 39 min read

स्रोत: DTE 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही का अध्ययन संरक्षित क्षेत्रों (PAs) के संरक्षण और समुदायों की आजीविका के बीच संतुलन बनाने के महत्त्व को रेखांकित करता है। 

संरक्षित क्षेत्र क्या हैं? 

  • परिचय: भारत में संरक्षित क्षेत्र (Protected Area) वह निर्धारित क्षेत्र है जिसका उद्देश्य जैवविविधता का संरक्षण करना और वन्यजीवों को मानवीय हस्तक्षेप से बचाना है। 
    • भारत में 1,000 से अधिक संरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 107 राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 5.32% हिस्सा कवर करते हैं। 
    • इन क्षेत्रों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें संरक्षण और नियमन के स्तर अलग-अलग होते हैं। 
  • संरक्षित क्षेत्रों के विभिन्न प्रकार: 
    • राष्ट्रीय उद्यान: राष्ट्रीय उद्यान भारत में सबसे अधिक संरक्षित क्षेत्र हैं, जो उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं। 
      • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत घोषित ये पार्क वैज्ञानिक अनुसंधान और नियंत्रित पर्यटन को छोड़कर सभी मानवीय गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हैं। 
      • खनन, लकड़ी काटने और चराई जैसी गतिविधियाँ सख्त वर्जित हैं। 
      • इनके प्रबंधन के लिये मुख्य रूप से राज्य सरकार ज़िम्मेदार है, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NWLB) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) जैसे निकाय भी विशिष्ट परियोजनाओं (विशेष रूप से बाघ जैसी प्रजातियों के लिये) की देखरेख कर सकते हैं। 
    • वन्यजीव अभयारण्य: वन्यजीव अभयारण्यों को भी WPA, 1972 के तहत स्थापित किया गया है और ये राष्ट्रीय उद्यानों की तुलना में अधिक अनुकूलन प्रदान करते हैं। 
      • कुछ मानवीय गतिविधियाँ, जैसे चराई और वन उत्पादों का संग्रह, तभी तक वैध मानी जाती हैं जब तक ये वन्यजीवों के लिये हानिकारक न हों। 
      • इन अभयारण्यों का प्रबंधन राज्य वन विभागों द्वारा किया जाता है, जिसमें वन्यजीव संगठनों और विशेषज्ञों का सहयोग शामिल होता है। 
    • अभयारण रिज़र्व: WPA के तहत नामित क्षेत्र हैं, जिनका उद्देश्य वन्यजीवों और जैव विविधता की रक्षा करना है, साथ ही नियंत्रित मानव गतिविधियों जैसे चराई और ईंधन लकड़ी संग्रह की अनुमति देना है। 
      • इन रिज़र्वों का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण आवासों को सुरक्षित करना, वन्यजीव गलियारों की सुरक्षा करना तथा अत्यधिक संरक्षित क्षेत्रों के बाहर जैव विविधता का संरक्षण करना है। 
      • ये स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में भागीदारी का अवसर देते हैं, जिससे उनकी आजीविका भी स्थाई बनी रहती है। 
      • राज्य सरकार स्थानीय हितधारकों और संरक्षणवादियों की सक्रिय भागीदारी के साथ इन क्षेत्रों की देखरेख करती है।
    • सामुदायिक रिज़र्व: सामुदायिक रिज़र्व ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है। 
      • ये रिज़र्व निजी या सामुदायिक स्वामित्व वाली भूमि पर स्थापित किये जा सकते हैं तथा इनका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण और संसाधनों के सतत् प्रबंधन को बढ़ावा देना है। 
      • पर्यटन, कृषि तथा छोटे स्तर पर वन उत्पादों का संग्रह जैसी गतिविधियाँ तभी अनुमति प्राप्त हैं जब वे संरक्षण उद्देश्यों में सहायक हों। 
      • इन रिज़र्वों का प्रबंधन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है, जिसमें स्थानीय समुदायों और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) का महत्त्वपूर्ण योगदान शामिल होता है। 

भारत में संरक्षित क्षेत्रों के लिये प्रमुख नियामक प्राधिकरण 

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC): यह मंत्रालय वन्यजीव संरक्षण, नीति निर्माण और संरक्षित क्षेत्रों के लिये वित्त पोषण हेतु उत्तरदायी है। वन्यजीव प्रभाग वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 का अनुपालन सुनिश्चित करता है। 
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL): सलाहकार निकाय जो संरक्षण पर सिफारिशें प्रदान करता है, नए संरक्षित क्षेत्रों को मंजूरी देता है और संरक्षित क्षेत्रों के निकट परियोजनाओं का मूल्यांकन करता है। 
  • राज्य वन विभाग: अपने अधिकार क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन करते हैं, संरक्षण कानूनों को लागू करते हैं और वन्यजीव आबादी की निगरानी करते हैं। वे वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 को भी लागू करते हैं। 
  • वन्यजीव संरक्षण सोसायटी और गैर सरकारी संगठन: भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (WPSI) और WWF इंडिया जैसे संगठन स्थानीय स्तर पर संरक्षण, अवैध गतिविधियों की निगरानी तथा मज़बूत संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिये निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019) 

(a) तीसरी अनुसूची 

(b) पाँचवीं अनुसूची 

(c) नौवीं अनुसूची    

(d) बारहवीं अनुसूची 

उत्तर: (b)

प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारम्परिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा? (2013) 

(a) राज्य वन विभाग 

(b) ज़िला कलक्टर/उपायुक्त 

(c) तहसीलदार/खण्ड विकास अधिकारी/मण्डल राजस्व अधिकारी 

(d) ग्राम सभा 

उत्तर: (d)

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