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कैस्पियन सागर पर जलवायु परिवर्तन का खतरा

  • 03 May 2025
  • 2 min read

स्रोत: नेचर

जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप होने वाले वाष्पीकरण के कारण कैस्पियन सागर का तेज़ी से संकुचन हो रहा है, जिससे जैवविविधता, आजीविका और क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में है।

  • जल स्तर में अनुमानित गिरावट: वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से कम रहने पर भी कैस्पियन सागर के जल स्तर में 5-10 मीटर की कमी होने के अनुमान है, तथा यदि तापमान और बढ़ता है, तो वर्ष 2100 तक इसके जल स्तर में 21 मीटर की कमी हो सकती है।

प्रभाव:

  • जैवविविधता ह्रास: इससे कैस्पियन सील (IUCN के अंतर्गत लुप्तप्राय) और बेलुगा स्टर्जन (बड़ी मछली का एक प्राचीन वंश, गंभीर रूप से संकटापन्न) जैसी स्थानिक प्रजातियों को खतरा है ।
  • उद्योग: बाकू (अज़रबैजान), अंज़ली (ईरान), अक्तौ (कज़ाखस्तान), तुर्कमेनबाशी (तुर्कमेनिस्तान) और लगान (रूस) जैसे बंदरगाह प्रभावित हो सकते हैं।
    • वोल्गा नदी, जो कैस्पियन सागर को बाह्य क्षेत्र से जोड़ने वाला एकमात्र समुद्री संपर्क है, अव्यवहार्य हो सकती है
    • काशागन (कज़ाखस्तान) और फिलानोव्स्की (रूस) जैसे हाइड्रोकार्बन उत्पादन स्थल स्थलबद्ध हो जायेंगे।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य का जोखिम: शुष्क समुद्री तल से अरल सागर आपदा के समान ही औद्योगिक प्रदूषक और लवण से दूषित धूल मुक्त हो सकती है।
  • कैस्पियन सागर: यह विवर्तनिक झील और विश्व का सबसे बड़ा अंतर्देशीय जल क्षेत्र है।
    • इसमें तीन प्रमुख नदियाँ वोल्गा, यूराल और टेरेक विसर्जित होती हैं।
    • इसकी सीमा रूस, अज़रबैजान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और कज़ाखस्तान से लगती है।

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