प्रारंभिक परीक्षा
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन की मांग
- 12 Jun 2025
- 6 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केरल ने केंद्र सरकार से वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन का अनुरोध किया है ताकि उन जंगली जानवरों के नियंत्रित शिकार की अनुमति दी जा सके जो मानव जीवन या कृषि के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष तीव्र होता जा रहा है, जिसमें केरल ने वर्ष 2016 से 2025 के बीच कई जनहानियों को दर्ज किया है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंध: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध प्रजातियों को उच्च स्तर का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण खतरनाक जानवरों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई करना कठिन हो जाता है।
- घातक उपायों पर विचार करने से पहले यह पुष्टि करनी होती है कि संबंधित जानवर को पकड़ना या उसके स्थानांतरण की संभावना नहीं है और इसके बाद ही अनुमोदन प्राप्त किया जा सकता है।
- तत्काल कार्रवाई का अभाव: यद्यपि ज़िला कलेक्टर सार्वजनिक उपद्रव घोषित कर सकते हैं, लेकिन न्यायालयों के आदेश वन्यजीव संघर्षों में उनकी त्वरित कार्रवाई की क्षमता को सीमित कर देते हैं।
- अनुसूची I के पशुओं, जैसे कि बोनेट मैकाक, के लिये कानून वन्यजीव वार्डन को सक्रिय कार्रवाई करने से रोकता है, जिससे आवश्यक हस्तक्षेप में देरी होती है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 क्या है?
- परिचय: यह वन्यजीवों, पक्षियों और पौधों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन व वन्यजीवों एवं संबंधित उत्पादों के व्यापार के विनियमन हेतु एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- अधिनियम में पौधों और पशुओं की अनुसूचियाँ सूचीबद्ध की गई हैं, जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर पर संरक्षण तथा निगरानी प्रदान की जाती है।
- अनुसूचियाँ: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 में छह अनुसूचियाँ हैं:
- अनुसूची I और II: इन अनुसूचियों में लुप्तप्राय प्रजातियाँ शामिल हैं तथा उन्हें पूर्ण संरक्षण प्रदान किया गया है।
- अनुसूची III और IV: इनमें ऐसे जीव शामिल हैं जो विलुप्त होने के खतरे में नहीं हैं तथा इनके लिये दंड अनुसूची I व II की तुलना में कम कठोर हैं।
- अनुसूची V: इस अनुसूची में बत्तख और हिरण जैसे जीवों की सूची दी गई है, जिनका शिकार लाइसेंस के साथ किया जा सकता है।
- अनुसूची VI: यह पौधों के संरक्षण से संबंधित है और संरक्षित पशु पार्कों की स्थापना का समर्थन करती है।
- प्रमुख प्रावधान:
- धारा 9: कोई भी व्यक्ति अनुसूचियों I, II, III और IV में सूचीबद्ध किसी भी वन्य जीव का शिकार नहीं करेगा, सिवाय उन मामलों के जिनकी अनुमति धारा 11 और 12 के अंतर्गत दी गई हो।
- धारा 11: मुख्य वन्यजीव वार्डन को अनुमति दी जा सकती है, यदि कोई पशु मानव जीवन के लिये खतरा हो या वह असाध्य रोग से ग्रस्त हो और उसे पकड़ा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
- धारा 62: केंद्रीय सरकार किसी भी वन्यजीव को, जिसे अनुसूची-I और अनुसूची-II के भाग-II में शामिल नहीं किया गया है, को किसी विशिष्ट क्षेत्र एवं अवधि के लिये, अधिसूचना के माध्यम से, एक पीड़क जंतु घोषित कर सकती है। जब तक अधिसूचना प्रभाव में रहती है, तब तक ऐसे वन्य प्राणी को अनुसूची-V में सम्मिलित माना जाएगा।
- धारा 50: वन अधिकारी या पुलिस अवैध शिकार में उपयोग की गई वस्तुओं को ज़ब्त कर सकते हैं; स्थानीय अधिकारियों को कोई आपातकालीन अधिकार नहीं दिये गए हैं।
वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022
- सरलीकरण के उद्देश्य से अनुसूचियों की संख्या 6 से घटाकर 4 कर दी गई है:
- अनुसूची-I: उन प्रजातियों को शामिल किया गया है जिन्हें सर्वोच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान की गई है।
- अनुसूची-II: उन प्रजातियों को शामिल किया गया है जिन्हें अपेक्षाकृत कम स्तर की सुरक्षा प्राप्त है।
- अनुसूची-III: संरक्षित पौधों की प्रजातियाँ।
- अनुसूची-IV: वे जीव-नमूने जो CITES (वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार) के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित रक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से कौन-से बाघ-आरक्षित क्षेत्र घोषित है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |