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तमिलनाडु में मिला 800 वर्ष पुराना शिव मंदिर

  • 11 Jun 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

तमिलनाडु में परवर्ती पांड्य काल (1216-1345) का 800 वर्ष पुराना शिव मंदिर खोजा गया है, जो क्षेत्र की ऐतिहासिक और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है।

  • शिलालेख और शिल्प शास्त्र से पुष्टि होती है कि थेन्नावनीश्वरम नामक मंदिर भगवान शिव को समर्पित था।
    • इसका निर्माण 1217-1218 ई. में मारवर्मन सुंदर पांड्या के शासनकाल के दौरान हुआ था और यह उस गाँव में स्थित है जिसे पहले अत्तूर (अब उदमपट्टी) कहा जाता था।
    • थेन्नावन पांड्यों द्वारा प्रयुक्त एक उपाधि है जो यह दर्शाती है कि मंदिर को शाही समर्थन प्राप्त था।
  • शिलालेखों में नागनकुडी नामक जलाशय को 64 कासू (सिक्कों) में बेचे जाने का उल्लेख है।
    • भूमि कर का भुगतान तेन्नावानीश्वरम के भगवान को किया जाना था, जिससे मंदिर की वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।
  • परवर्ती पांड्यों:  आरंभिक पांड्यों (ईसा पूर्व चौथी से तीसरी शताब्दी) ने कालभ्रों के हाथों अपनी शक्ति खो दी, छठी शताब्दी में इसे पुनः प्राप्त किया, 9वीं शताब्दी में चोलों के अधीन हो गए तथा 12वीं शताब्दी में परवर्ती पांड्यों के रूप में पुनः शासन किया।
    • उनके रोमन साम्राज्य, यूनानियों, चीनियों और मिस्रियों के साथ संबंध थे तथा मार्को पोलो (13वीं शताब्दी के इतालवी यात्री) जैसे यात्रियों ने उनकी प्रशंसा की थी।
    • 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमण के बाद उनका राज्य समाप्त हो गया और वे विजयनगर साम्राज्य में सम्मिलित हो गए।
  •  पांड्यों द्वारा संरक्षित मंदिर: मीनाक्षी मंदिर (मदुरै), अरंगनाथर मंदिर (श्रीरंगम), विजयनारायण मंदिर (नांगुनेरी), लक्ष्मी नारायण मंदिर (अथुर)।

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