रैपिड फायर
विजय दिवस की 54वीं वर्षगांऊठ
- 18 Dec 2025
- 15 min read
भारत ने 16 दिसंबर को 54वाँ विजय दिवस मनाया, जो वर्ष 1971 के भारत–पाकिस्तान युद्ध में प्राप्त ऐतिहासिक सैन्य विजय की स्मृति में है। यह 13 दिनों का संघर्ष था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
भारत–पाकिस्तान युद्ध, 1971
- कारण एवं हस्तक्षेप: ऑपरेशन सर्चलाइट एक पूर्व नियोजित सैन्य अभियान था, जिसे पाकिस्तान सेना ने 25 मार्च, 1971 को पूर्वी पाकिस्तान में प्रमुख शहरों पर कब्जा करने, बंगाली सेनाओं को निरस्त्र करने और अवामी लीग के नेताओं व समर्थकों को गिरफ्तार या समाप्त करने के लिये शुरू किया था।
- इस अभियान के परिणामस्वरूप व्यापक अत्याचार हुए, जिनमें लाखों लोगों की मृत्यु हुई और लगभग 1 करोड़ शरणार्थी भारत में प्रवेश करने को विवश हुए।
- इस मानवीय संकट ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता संघर्ष के समर्थन में भारत के हस्तक्षेप को प्रेरित किया।
- निर्णायक विजय एवं आत्मसमर्पण: यह संघर्ष 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े सैन्य आत्मसमर्पणों में से एक था।
- रणनीतिक नेतृत्व एवं सैन्य अभियान: इस विजय का नेतृत्व फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने किया। इसमें ऑपरेशन ट्राइडेंट (कराची बंदरगाह के विरुद्ध नौसैनिक अभियान) जैसे महत्त्वपूर्ण अभियानों और लोंगेवाला का युद्ध (1971) जैसी ऐतिहासिक लड़ाइयों की अहम भूमिका रही।
- परिणाम और बलिदान: इस युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश की स्वतंत्रता और गठन हुआ, जिससे भारत की क्षेत्रीय प्रतिष्ठा और मज़बूती हुई।
- शिमला समझौता 2 जुलाई, 1972 को शिमला में हस्ताक्षरित किया गया, जिसमें वर्ष 1971 के भारत–पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों देशों ने संघर्ष और टकराव समाप्त करने का संकल्प लिया।
- महत्त्व: विजय दिवस भारतीय सशस्त्र बलों और मुक्ति वाहिनी (बंगाली गुरिल्ला प्रतिरोध आंदोलन) की साहसिकता का सम्मान करता है, राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करता है तथा स्वतंत्रता हेतु किये गए मानव बलिदान की याद दिलाता है।
|
और पढ़ें: भारत-पाक युद्ध: 1971 |