मुख्य परीक्षा
इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025
- 04 Dec 2025
- 63 min read
चर्चा में क्यों?
नौसेना प्रमुख ने इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025 को भारत के नौसेना दिवस पर जारी किया, इसे भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि और समुद्री प्राथमिकताओं के अनुरूप तैयार किया गया।
नोट: भारतीय नौसेना दिवस प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को मनाया जाता है, ताकि वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट में भारतीय नौसेना के प्रयासों और भूमिका का सम्मान किया जा सके।
- ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत, भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर अचानक हमला किया, जिससे पाकिस्तान के समुद्री संचालन का केंद्र ठप्प हो गया।
- यह हमला तीन विद्युत-क्लास मिसाइल नौकाओं INS निपट, निर्घट और वीर द्वारा किया गया, जिनका समर्थन कोर्वेट नौकाओं INS किल्टन, INS कच्छल तथा फ्लीट टैंकर INS पोषक ने किया।
- भारतीय नौसेना दिवस 2025 की थीम एक विकसित और समृद्ध भारत के लिये समुद्र की सुरक्षा करने वाले एक युद्ध-तैयार, एकजुट, विश्वसनीय एवं आत्मनिर्भर बल के रूप में भारतीय नौसेना की समुद्री उत्कृष्टता है।
इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025 क्या है?
- परिचय: इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025 नौसेना का सर्वोच्च मार्गदर्शन दस्तावेज़ है, जो यह निर्धारित करता है कि भारत पूरी समुद्री संघर्ष स्पेक्ट्रम में कैसे योजना बनाता है, तैयारी करता है और संचालन करता है।
- यह नौसेना के रणनीतिक सिद्धांतों, भूमिकाओं, बल के उपयोग, क्षमता विकास और उभरती समुद्री चुनौतियों के प्रति उसके दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
- पहली बार वर्ष 2004 में जारी किया गया और वर्ष 2009 एवं 2015 में अपडेट किया गया, वर्ष 2025 का संस्करण पिछले दशक में भारत के समुद्री परिवेश तथा रणनीतिक दृष्टिकोण में आए बड़े परिवर्तनों को दर्शाता है।
- वर्ष 2025 संस्करण की प्रमुख विशेषताएँ: औपचारिक रूप से ‘नो-वार, नो-पीस’ को एक विशिष्ट संचालनात्मक श्रेणी के रूप में मान्यता दी गई है, जो शांति और संघर्ष के बीच के ग्रे ज़ोन को महत्त्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता देता है, जहाँ आधुनिक समुद्री प्रतिस्पर्द्धा तेज़ी से होती है।
- डॉक्ट्रिन थिएटराइज़ेशन का समर्थन करने के लिये तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त कार्यक्षमता और इंटरऑपरेबिलिटी को प्राथमिकता देती है।
- ग्रे-ज़ोन, हाइब्रिड और इर्रेगुलर वारफेयर तथा बहु-क्षेत्रीय खतरों से प्रशिक्षण को एकीकृत करती है।
- डॉक्ट्रिन अंतरिक्ष, साइबर और संज्ञानात्मक वारफेयर जैसे उभरते क्षेत्रों पर ज़ोर देती है।
- नियंत्रित प्रणालियों, स्वायत्त प्लेटफार्मों और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देता है।
- महत्त्व: यह सिद्धांत एक समुद्री-सजग राष्ट्र को प्रोत्साहित करता है, जो महासागरों के रणनीतिक महत्त्व को समझता है और विकसित भारत 2047 के लिये समुद्री शक्ति को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित करता है।
- यह सिद्धांत प्रमुख राष्ट्रीय पहलों जैसे सागरमाला, पीएम गति शक्ति, मरीन इंडिया विजन 2030, मरीन अमृत काल विजन 2047 और महासागर के साथ सुमेलित है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की अधिक सक्रिय समुद्री भूमिका की ओर बदलाव को दर्शाता है।
- यह दस्तावेज़ त्रि-सेवा संयुक्त सिद्धांतों (विशेष बल, एयरबोर्न/हेलिबोर्न और बहु-क्षेत्रीय संचालन) का भी समर्थन करता है, ताकि अंतरसंचालन क्षमता और समेकित संचालन को मज़बूत किया जा सके।
- यह एक संगठित समुद्री रणनीति पर जोर देता है जो आर्थिक विकास, अवसंरचना विस्तार और ब्लू इकोनॉमी के विकास का समर्थन करती है।
भारतीय नौसेना का इतिहास
- प्राचीन समुद्री परंपरा: भारत की समुद्री परंपरा 4,000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है, जिसमें हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल जैसी प्राचीन सभ्यताएँ अफ्रीका, अरब और मेसोपोटामिया के साथ व्यापक समुद्री व्यापार में संलग्न थीं।
- ईसा पूर्व चौथी शताब्दी तक, भारत में उन्नत नदी और समुद्री नौवहन की तकनीक विकसित हो चुकी थी; “नाविगेशन” शब्द संस्कृत के नवगति से उत्पन्न हुआ है।
- भारतीय व्यापारी, साथ ही हिंदू और बौद्ध विद्वान, पहले शताब्दी ईस्वी तक संस्कृति को दक्षिण-पूर्व एशिया तक ले गए, जिससे उस क्षेत्र का धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य आकार लेने लगा।
- मध्यकालीन समुद्री शक्ति: मध्यकालीन भारतीय शक्तियों, जिनमें चोल, ज़मोरिन और मराठा (मगध नौसेना) शामिल थे, ने मजबूत नौसेनाएँ विकसित की।
- कान्होजी आंग्रे के नेतृत्व में मराठा नौसेना ने भारत के पश्चिमी तट पर यूरोपीय शक्तियों को चुनौती दी।
- यूरोपीय नौसैनिक प्रभुत्व: यूरोपीय आगमन वर्ष 1498 में वास्को डी गामा के साथ शुरू हुआ, जिसने शक्तिशाली नौसेनाओं (पुर्तगाली, डच, ब्रिटिश, फ्राँसीसी) को जन्म दिया, जिन्होंने अंततः भारतीय जल क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित किया।
- आधुनिक भारतीय नौसेना का उदय: आधुनिक भारतीय नौसेना की जड़ें ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित रॉयल इंडियन नेवी (आरआईएन) में देखने को मिलती हैं।
- भारत को गणतंत्र का दर्जा मिलने के बाद नौसेना से "रॉयल" उपसर्ग हटा दिया गया और इसका नाम बदलकर भारतीय नौसेना कर दिया गया।
- नेतृत्व और आदर्श वाक्य: भारतीय नौसेना का नेतृत्व भारत के राष्ट्रपति करते हैं, जो इसके सर्वोच्च कमांडर के रूप में कार्य करते हैं।
- इसका आदर्श वाक्य है "सम् नो वरुणः", जिसका अर्थ है जल के देवता वरुण हमारे लिये शुभ हों।
- भूमिका और क्षमताएँ: आज, भारतीय नौसेना एक बहुआयामी समुद्री शक्ति है, जो समुद्री सुरक्षा, शक्ति प्रक्षेपण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है।
- मार्कोस (मरीन कमांडो) नौसेना के विशेष बल हैं, जिन्हें एम्फिवीअस वॉरफेयर, आतंकवाद-रोधी, विशेष टोही, बंधक बचाव और असममित अभियानों के लिये प्रशिक्षित किया जाता है।
- संचालन: स्वतंत्रता के बाद, नौसेना ने अपनी क्षमताओं का विस्तार किया और 1961 में गोवा के मुक्तिकरण, 1971 के भारत-पाक युद्ध (ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पाइथन) सहित विभिन्न संघर्षों में प्रमुख भूमिका निभाई। इसके अलावा, यह आधुनिक समुद्री सुरक्षा अभियानों में भी सक्रिय है।
|
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 प्लेटफ़ॉर्म-केंद्रित से रणनीति-संचालित नौसेना की ओर परिवर्तन को चिह्नित करता है। चर्चा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 क्या है?
यह भारतीय नौसेना का शीर्षतम मार्गदर्शक दस्तावेज़ है, जो रणनीतिक सिद्धांतों, बलों के उपयोग, क्षमता विकास और पूर्ण समुद्री संघर्ष स्पेक्ट्रम में परिचालन भूमिकाओं का विवरण देता है।
2. कौन-सी राष्ट्रीय पहलों का IMD-2025 के साथ समन्वय है?
यह सिद्धांत सागरमाला, प्रधानमंत्री गति शक्ति, मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030, मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 और महासागर (MAHASAGAR) जैसी पहलाओं के साथ मेल खाता है।
3. IMD-2025 में किन आधुनिक खतरा क्षेत्रों पर ज़ोर दिया गया है?
इसमें ग्रे-ज़ोन वारफेयर, हाइब्रिड वारफेयर, अनियमित जोखिम, अंतरिक्ष, साइबर और कॉग्निटिव डोमेन पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
4. दिसंबर को नौसेना दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह 1971 के ऑपरेशन ट्राइडेंट की याद में मनाया जाता है, जब भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर सफल मिसाइल-नौका हमला किया था।
सारांश
- भारतीय नौसेना ने नौसेना दिवस पर भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 जारी किया, जिससे नौसैनिक रणनीति को दीर्घकालिक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित किया गया और “नो-वॉर, नो-पीस” को एक औपचारिक परिचालन श्रेणी के रूप में मान्यता दी गई।
- यह सिद्धांत संयुक्तता, बहु-डोमेन तैयारी और उभरती तकनीकों को अपनाने पर ज़ोर देता है, जो भविष्य के थिएटर कमांडों को समर्थन प्रदान करेगा।
- यह सागरमाला, प्रधानमंत्री गति शक्ति, मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 और विकसित भारत 2047 जैसी राष्ट्रीय पहलों के साथ तालमेल रखते हुए भारत की सक्रिय समुद्री रणनीति को और सुदृढ़ करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. हिंद महासागर नौसैनिक परिसंवाद (सिम्पोज़ियम) (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2017)
- प्रारंभी (इनाँगुरल) IONS भारत में 2015 में भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में हुआ था।
- IONS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के समुद्रतटवर्ती देशों (स्टेट्स) की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: (b)
प्रश्न. 'INS अस्त्रधारिणी' का, जिसका हाल ही में समाचारों में उल्लेख हुआ था, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वोत्तम वर्णन है? (2016)
(a) उभयचर युद्धपोत
(b) नाभिकीय शक्ति-चालित पनडुब्बी
(c) टॉरपीडो प्रमोचन और पुनप्राप्ति (recovery) जलयान
(d) नाभिकीय शक्ति-चालित विमान-वाहक
उत्तर: (c)