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सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये एक कैडर निर्माण का महत्त्व

  • 16 Oct 2017
  • 6 min read

संदर्भ

  • वर्ष 1959 में पहली बार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के लिये समर्पित एवं प्रशिक्षित कर्मियों की ज़रूरत पर मुदलियार समिति द्वारा प्रकाश डाला गया था। समिति ने कहा था कि "स्वास्थ्य एवं कल्याण की समस्याओं से निपटने वाले कर्मियों के पास एक व्यापक और विस्तृत दृष्टिकोण और प्रशासन का समृद्ध अनुभव होना चाहिये।
  • दरअसल, स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी के लिये महज़ नीति-निर्माण ही काफी नहीं है, बल्कि उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। आज ज़रूरत इस बात की है कि प्रशासनिक सेवाओं की तर्ज़ पर ही सभी राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के लिये एक कैडर (public health delivery system cadre) का निर्माण किया जाए।

एक अलग कैडर की ज़रूरत क्यों?

  • विदित हो कि वर्ष 1973 में करतार सिंह समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि “संक्रामक रोग नियंत्रण, निगरानी प्रणाली, डेटा प्रबंधन, सामुदायिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के संबंध में चिकित्सकों को कोई औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है और न ही उन्हें ग्रामीण परिवेश तथा विभिन्न सामाजिक आयामों की कोई समझ है, ऐसे में ये चिकित्सक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिये अनुपयुक्त हैं।”
  • यह भी महसूस किया गया है कि भारत में कोई चिकित्सक जो चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करता है, उसकी भारतीय परिवेश में शायद ही कोई प्रासंगिकता है। दरअसल, हमारी चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था (Medical Education System) पश्चिमी देशों की मेडिकल एजुकेशन पर आधारित है।
  • उल्लेखनीय है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये समर्पित एवं प्रशिक्षित कर्मियों की ज़रूरत बताई गई और इसके लिये एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन कैडर की स्थापना पर बल दिया गया ।

क्या बदलाव लाएगा यह कैडर?

  • लचर वित्तीय प्रबंधन, प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों एवं तकनीकी विशेषज्ञों की कमी और स्वास्थ्य समस्याओं की सामाजिक समझ के अभाव में हमारी सार्वजनिक व्यवस्था बेहतरीन नीतियों का एक कागज़ी दस्तावेज़ भर रह गई है। सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये एक अलग कैडर की यहाँ प्रभावी भूमिका रहेगी।
  • व्यापक चिकित्सीय योग्यता एवं अनुभव रखने वाले चिकित्सक भी इन सभी चुनौतियों का समाधान करने में असमर्थ हैं, जिससे हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की गुणवत्ता में गिरावट आई है। चिकित्सकों को इस कैडर शामिल कर उन्हें इसके लिये प्रशिक्षित किया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राज्यों द्वारा (केंद्रीय लोक सेवा आयोग के माध्यम से) भर्ती डॉक्टरों को मौलिक प्रबंधन तकनीकों की ज़रूरत पड़ती है साथ में कई जटिल और बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करना होता है। अधिकांश राज्यों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर की स्थापना कर इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।
  • एक सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर की मदद से हमारे पास ऐसे कर्मचारी होंगे जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के सिद्धांतों का उपयोग कर हाल ही में गोरखपुर में हुई त्रासदी जैसी धटनाओं से बचाव कर सकते हैं। कथित तौर पर ऑक्सीजन की अनुलब्धता का संज्ञान न लेना यह दिखाता है कि देश में स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन की स्थिति डांवाडोल है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के वैज्ञानिक कार्यान्वयन से गरीब तबका लाभांवित होगा और इससे निस्संदेह वह महँगे निजी स्वास्थ्य देखभाल पर निर्भर नहीं रहेगा। इस प्रक्रिया में मूल्यवान संसाधनों को उन क्षेत्रों में तैनात करने में मदद मिलेगी जहाँ निश्चित रूप से उनकी ज़रूरत है।

निष्कर्ष

  • भारत में लोग बीमारियों को लेकर उतने सजग नहीं रहते किंतु बीमार पड़ने के बाद कहीं ज़्यादा खर्च कर डालते हैं। हमने अपनी नीतियों में इस बात का समावेशन तो कर लिया, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहना पाए हैं और इसका कारण स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उपयोगी मानव संसाधन का अभाव भी है।
  • केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की बेहतरी को समर्पित, इस तरह का एक विशेष विभाग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रशिक्षण, नीतियों के कार्यान्वयन के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
  • प्रशासनिक सेवाओं की तर्ज़ पर ही इस व्यवस्था के तहत चिकित्सकों की नियुक्ति के बाद उन्हें दो वर्ष के लिये एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए, तत्पश्चात् उन्हें सेवा देने का मौका दिया जाना चाहिये। हाल ही में उड़ीसा ने इस संबंध में प्रयास आरंभ किये हैं और सभी राज्यों को भी इसमें आगे आना होगा। 
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