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क्या ‘आधार पे’ से नकद भुगतान किया जा सकता है?

  • 11 Apr 2017
  • 8 min read

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि  8 नवंबर, 2016 को लिये गए विमुद्रीकरण के निर्णय के कारण डिजिटल लेन-देन के सभी माध्यमों जैसे-एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (Unified Payment Interface-UPI), मोबाइल वॉलेट (जैसे-पेटीएम) के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है| जनता के इस रुख को देखते हुए सरकार द्वारा वर्तमान में भी ग्राहकों को नकदरहित लेन-देन (cashless transaction) के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है|

“आधार पे” ( Aadhaar Pay)

  • ध्यातव्य है कि डिजिटल भुगतानों की सूची में आई.डी.एफ.सी. बैंक के आई.डी.एफ.सी. “आधार पे” को भी शामिल किया गया है|
  • विदित हो कि यह आधार से जुड़ी हुई देश की पहली नकद रहित भुगतान प्रणाली है| इसका प्रमुख उद्देश्य छोटे व्यापारियों को नकद रहित लेनदेन के लिये प्रोत्साहित करना है|

लेन-देन प्रक्रिया के प्रमुख चरण

  • इस समस्त प्रक्रिया में बहुत से चरणों के अंतर्गत ‘आधार पे’ की कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है| जो कि निम्नलिखित हैं-

व्यापारियों हेतु 

  • गौरतलब है कि ‘आधार पे’ के माध्यम से धन के लेन-देन हेतु सर्वप्रथम किसी भी व्यापारी को एक स्मार्टफ़ोन और आई.डी.एफ.सी. बैंक में एक खाते की आवश्यकता होती है|
  • वर्तमान में भुगतान के इस माध्यम के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये बैंक व्यापारियों से प्रत्यक्ष रूप से संपर्क कर रहा है तथा इलेक्ट्रोनिक केवाईसी (KYC) के प्रयोग द्वारा ज़ीरो बैलेंस पर करेंट अकाउंट (चालू खाता) खोल रहा है| 
  • व्यापारी को प्राप्त इस नए खाते की संख्या को ‘आधार पे’ की आधिकारिक एप में नामांकित करवाना होता है| आपको ये बता दे कि ‘आधार पे’ एप को केवल बैंक से ही प्राप्त किया जा सकता है जबकि अन्य एप को सार्वजनिक डोमेन जैसे-गूगल प्लेस्टोर आदि के माध्यम से डाउनलोड करना होता है|
  • नामांकन होने के पश्चात् व्यापारी को एक बायोमीट्रिक डोंगल दिया जाता है जिसे वह भुगतान प्राप्त करने के लिये अपने स्मार्टफोन से जोड़ सकता है| व्यापारी को डोंगल को खरीदने के लिये केवल एक बार भुगतान करना होता है| डोंगल की कीमत 1,800 से लेकर 2.500 रूपए सुनिश्चित की गई है|

ग्राहकों हेतु

  • इसमें ग्राहक को आधार संख्या और बैंक के नाम (जिसमें ग्राहक का खाता है) की आवश्यकता होती है| स्मरण रहे कि जिस खाते से ग्राहक भुगतान करना चाहते हैं वह उसके ‘आधार कार्ड’ से जुड़ा होना चाहिये|
  • आधार संख्या और बैंक के नाम को भरते ही ग्राहक को अपने बायोमेट्रिक डोंगल में अपने अंगूठे को रखना होता है जो व्यापारी के स्मार्टफ़ोन से जुड़ा होता है|
  • यह डोंगल अंगूठे के निशान को प्रमाणित करता है, इसके पश्चात् ग्राहक के खाते से व्यापारी के चालू खाते में धन का स्थानांतरण हो जाता है| स्पष्ट है कि इसके साथ ही डिजिटल  लेन-देन प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है|

पक्ष में तर्क

  • इस प्रक्रिया का लाभ यह है कि यह एक सुरक्षात्मक प्रक्रिया है| विशेषज्ञों का दावा है कि व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के लिये अंगूठे का निशान लेना, डिजिटल लेन-देन को भुगतान वॉलेट अथवा क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित बना देता है|
  • चूँकि प्रत्येक व्यक्ति के अंगूठे का निशान विशिष्ट होता है, अतः इस प्रक्रिया का गलत प्रयोग कर पाना एक मुश्किल कार्य होगा| इसके विपरीत भुगतान वॉलेट जैसे-पेटीएम आदि के मामले में मोबाइल के खोने की स्थिति में इसके गलत तरीके से इस्तेमाल का जोखिम बना रहता है|
  • गौरतलब है कि ‘आधार पे’ व्यवस्था के माध्यम से लेन-देन करने पर कोई शुल्क नहीं लगता है| जबकि क्रेडिट और डेबिट कार्ड को स्वैप करने के लिये लगाई गई पॉइंट ऑफ़ सेल्स वाली मशीनों में व्यापारी के प्रत्येक लेन-देन के लिये उस पर व्यापारी बट्टा दर (merchant discount rate) अधिरोपित किया जाता है|

विपक्ष में तर्क 

  • छोटी खरीददारी करते समय लोगों के लिये सुविधा अधिक मायने रखती है| जबकि इस व्यवस्था से ग्राहक को असुविधा अधिक होगी|
  • अच्छी इन्टरनेट कनेक्टिविटी अथवा अंगूठे के निशान को पढ़ने और इसे प्रक्रियात्मक बनाने में बायोमीट्रिक उपकरण की अकुशलता एक बाधा बनकर सामने आयेगी| 
  • आधार संख्या, बैंक के नाम को एंटर करना तथा अंगुली के निशान को प्रमाणित करने में भुगतान के अन्य साधनों की अपेक्षा अधिक समय लगता है|
  • मेट्रो अथवा बड़े शहरों में भी डाटा कनेक्शन की व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी रूप से उपस्थित नहीं है| ऐसी स्थिति में यह लेन-देन को उचित ढंग से पूर्ण कर पाने में अक्षम भी हो सकती है|
  • छोटी दुकानों में लेन-देन अधिक होता है तथा व्यापारी भुगतान के अन्य साधनों (जैसे नकद) को प्राथमिकता दे सकता है |
  • यद्यपि इस प्रणाली में लेन-देनों के लिये कोई शुल्क नहीं लगता है, परन्तु जब सुविधा की बात आती है तो व्यापारी भुगतान के आसान और तीव्र साधन को प्राथमिकता देते हैं|
  • विदित हो कि इस व्यवस्था में भुगतान के लिये प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आधार संख्या स्मरण रखना बाध्यकारी है| 12 अंकीय आधार संख्या की तुलना में 4 अंकीय पिन को संख्या को स्मरण रखना अधिक आसान होता है| 

निष्कर्ष
लेन-देन को पूर्ण करने में लगने वाले समय की अनिश्चितता के कारण सुरक्षित होते हुए भी आई.डी.एफ.सी. का ‘आधार पे’ डिजिटल भुगतान व्यवस्था के संबंध में एक चुनौती बना हुआ है| ऐसी स्थिति में इस समस्त व्यवस्था को बहुत अधिक सुविधाजनक तो नहीं माना जा सकता है|

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