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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग

  • 01 Aug 2022
  • 12 min read

यह एडिटोरियल 29/07/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “S Asia is in a flux. India must show leadership” लेख पर आधारित है। यह दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग से संबंधित चुनौतियों और भारत की भूमिका के संबंध में चर्चा करता है।

संदर्भ

दक्षिण एशिया एशिया का दक्षिणी क्षेत्र है, जिसे भौगोलिक और जातीय-सांस्कृतिक दोनों संदर्भों में परिभाषित किया गया है। इस क्षेत्र में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

  • दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण का भारत का दृष्टिकोण दक्षिण एशिया में वृहत अंतर-क्षेत्रीय व्यापार, निवेश प्रवाह और क्षेत्रीय परिवहन एवं संचार लिंक पर आधारित है। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) और भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ (Neighbourhood First) नीति इस दृष्टिकोण के पालन के दो माध्यम हैं।
  • हालाँकि इस भू-भाग के देशों के बीच साझा सांस्कृतिक जड़ें मौजूद हैं, राजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता (श्रीलंका संकट और अफगानिस्तान संकट), उच्च मुद्रास्फीति, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू अशांति जैसी कई उप-क्षेत्रीय चुनौतियाँ हैं जो दुनिया की कुल आबादी के लगभग एक चौथाई भाग का वहन करने वाले इस भूभाग के लिये समस्या बनी हुई हैं।

India

भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति

  • भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के निर्माण के भारत के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
  • विकास सहायता: भारत ने अपने वर्ष 2022-23 के बजट में पड़ोसी देशों और अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका के देशों की विकास सहायता के लिये 62,920 मिलियन रुपए आवंटित किये हैं।
  • ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’: भारत ने अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति के एक भाग के रूप में अपनी ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ या ‘वैक्सीन मैत्री’ के माध्यम से दुनिया के कई देशों (विशेषकर पड़ोसी देशों) को कोविड-19 महामारी के दौरान सहायता दी है।

दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग की चुनौतियाँ

  • अंतर-क्षेत्रीय व्यापार का निम्न स्तर: दक्षिण एशिया का अंतर-क्षेत्रीय व्यापार वैश्विक स्तर पर सबसे कम है, जो इस क्षेत्र के कुल व्यापार का केवल 5% है। वर्तमान आर्थिक एकीकरण 23 बिलियन डॉलर के वार्षिक अनुमानित अंतर के साथ इसकी क्षमता का केवल एक तिहाई है।
  • दक्षिण एशिया में बाह्य प्रभाव: भारत के छोटे पड़ोसी देश बाह्य शक्तियों के साथ घनिष्ठ संबंधों के माध्यम से भारत के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास करते रहे हैं। इस क्रम में अतीत में वे अमेरिका का प्रभाव ग्रहण करते रहे और वर्तमान में चीन के प्रभाव में हैं।
    • दक्षिण एशिया और अपने समुद्री पड़ोस (हिंद महासागर क्षेत्र के द्वीप राष्ट्रों सहित) में हाल की चीनी कार्रवाइयों और नीतियों ने भारत के लिये आवश्यक बनाया है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ संबंध और संलग्नता को अत्यंत गंभीरता से ले।
  • क्षेत्रीय मुद्दे: दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय विवाद क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये चुनौती बने हुए हैं।
    • सभी अंतर-राज्यीय विवादों में से क्षेत्र और सीमा को लेकर जारी विवाद सशस्त्र संघर्ष की ओर ले जाने की अधिक संभावना रखते हैं।
  • वैश्विक आपूर्ति शृंखला का अक्षम प्रबंधन: दक्षिण एशिया का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एकीकरण वैश्विक औसत से कम है और यह पूर्वी एशिया की तुलना में वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में कम एकीकृत है।
    • इस क्षेत्र के कई देशों की कम उत्पादकता के कारण इन देशों का निर्यात बेहद कम है।

दक्षिण एशिया के विकास में भारत क्या भूमिका निभा सकता है?

  • क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना: भारत क्षेत्रीय व्यापार, कनेक्टिविटी और निवेश का लाभ उठाते हुए इस क्षेत्र के लिये ‘गेम-चेंजर’ के रूप में ‘दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते’ (South Asian Free Trade Agreement) को सशक्त बना सकता है।
    • आर्थिक ऊर्जा को प्रेरित करना अंतर-क्षेत्रीय खाद्य व्यापार में बाधाओं को कम करेगा और क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं को प्रोत्साहित करेगा।
  • ‘इको-ब्लूप्रिंट’ प्रदान करना: दक्षिण एशियाई देश जैव विविधता के संरक्षण और जलवायु संकट के प्रति कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के इको-ब्लूप्रिंट से लाभ उठा सकते हैं। दक्षिण एशियाई देशों में प्रभावी शासन और सतत विकास के बीच के संबंध को भी स्वीकार किये जाने की आवश्यकता है।
  • खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करना: क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा एक अन्य क्षेत्र है जिसमें भारत भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक बड़ी पहल कर सकता है और खाद्य सुरक्षा के लिये इस आर्थिक ब्लॉक का एक अभिन्न सूत्रधार एवं घटक हो सकता है।
    • इस दृष्टिकोण से ‘सार्क फूड बैंक’ की क्षमता बढ़ाना भी आवश्यक है जो वर्तमान में 500,000 मीट्रिक टन से कम है।
  • उप-क्षेत्रीय पहलों को आगे बढ़ाना: भारत ‘बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल’ (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation- BIMSTEC) जैसे उप-क्षेत्रीय पहलों की आयोजन क्षमता को बढ़ा सकता है।
    • सीमावर्ती क्षेत्र सीमा-पार व्यापार, परिवहन और स्वास्थ्य पर विषयवार क्षेत्रीय संवादों को संचालित कर भारत की क्षेत्रीय संलग्नता को आकार देने में प्रभावी भागीदार हो सकते हैं।
    • भारत आवश्यक सहायता का विस्तार कर इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है और चीन के मुक़ाबले आर्थिक और रणनीतिक दोनों गहराई हासिल कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों में दक्षिण एशिया की आवाज: एक समूह के रूप में दक्षिण एशियाई देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिये भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दक्षिण एशिया की आवाज़ बन सकता है। एक सुरक्षित क्षेत्रीय वातावरण भारत को अपने महत्त्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों तक पहुँचने में भी मदद करेगा।

आगे की राह

  • मौजूदा संगठनों को सशक्त बनाना: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) जैसे मौजूदा संगठन क्षेत्रीय सहयोग को उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं रहे हैं।
    • एकीकरण के प्रति आशंकित इस भू-भाग के लिये घरेलू भावनाओं को आर्थिक तर्क से अलग रखना और कूटनीति के माध्यम से आशंकाओं को दूर करना आगे की राह होनी चाहिये।
  • आत्मनिर्भर दक्षिण एशिया की ओर: क्षेत्र में मुक्त पारगमन व्यापार, आपूर्ति एवं रसद शृंखलाओं का विकास, डिजिटल डेटा इंटरचेंज, सिंगल-विंडो एवं डिजीटल क्लीयरेंस सिस्टम, जोखिम मूल्यांकन एवं न्यूनतमकारी उपाय, व्यापार क्रेडिट लाइनों का व्यापक उपयोग (जो वर्तमान में अत्यंत निम्न स्तर पर कम है), गहन कनेक्टिविटी, सुगम सीमा-पार निरीक्षण आदि दक्षिण एशिया के लिये आत्मनिर्भरता लेकर आएँगे।
  • लोगों के बीच संपर्क: निरंतर सौहार्द एवं स्थिरता के लिये लोगों के परस्पर संपर्क (People-to-people Connect) और गहन सांस्कृतिक संबंधों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। इसके साथ ही, क्षेत्र के समग्र विकास के लिये बहुपक्षीय प्रतिबद्धताओं को शीघ्र पूरा करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: दक्षिण एशिया में हालिया राजनीतिक अशांति के संदर्भ में भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के आर्थिक एवं रणनीतिक आयामों का मूल्यांकन करें।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार मूल्य में लगातार वृद्धि हुई है 
  2. "कपड़ा और कपड़े से निर्मित वस्तुएँ" भारत व बांग्लादेश के बीच व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु है 
  3. नेपाल पिछले पांँच वर्षों में दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश रहा है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b) 


प्रश्न: निम्नलिखित दक्षिण एशियाई देशों में से किस एक का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है? (2009) 

(a) भारत 
(b) नेपाल 
(c) पाकिस्तान 
(d) श्रीलंका 

उत्तर: (a)

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