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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

तेज़ी से बढ़ता भारत का दूरसंचार क्षेत्र

  • 22 Dec 2022
  • 11 min read

यह एडिटोरियल 20/12/2022 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “Telecom licensing is about carriage, not content” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में दूरसंचार क्षेत्र और इससे संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

पिछले दो दशकों को भारत में दूरसंचार उद्योग के लिये स्वर्ण काल माना जाता है जिसने प्रौद्योगिकी और पैठ के साथ ही नीति निर्धारण के मामले में घातांकीय। वृद्धि तथा विकास दर्ज किया है।

  • वर्तमान में भारत 1.16 बिलियन ग्राहक आधार के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार है और पिछले दशक में इसने मज़बूत वृद्धि दर्ज की है। भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के तीव्र विकास में मज़बूत उपभोक्ता मांग के साथ-साथ भारत सरकार की उदार एवं सुधारवादी नीतियाँ सहायक रही हैं।
  • हालाँकि, सीमित स्पेक्ट्रम उपलब्धता, निम्न ब्रॉडबैंड पैठ, ओवर-द-टॉप (OTT) विनियमन की कमी आदि ने दूरसंचार के दायरे को सीमित किया है, जिसकी एक असंलग्न दृष्टिकोण से जाँच करने और समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र के विकास के चालक तत्त्व

  • मज़बूत मांग: दिसंबर 2021 में भारत में कुल ग्राहकों की संख्या 1178.41 मिलियन थी।
    • इसके अलावा, भारत दुनिया भर में डेटा के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। TRAI के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में औसत वायरलेस डेटा उपयोग प्रति वायरलेस डेटा सब्सक्राइबर 11GB प्रति माह था।
  • आकर्षक अवसर: वर्ष 2025 तक भारत को इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे 5G-केंद्रित प्रौद्योगिकियों में लगभग 22 मिलियन कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी।
  • नीतिगत समर्थन: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार विभाग के तहत दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिये 12,195 करोड़ रुपए की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की है।
    • इसके साथ ही, 6G प्रौद्योगिकी के विकास के संचालन के लिये दूरसंचार विभाग (DoT) ने छठी पीढ़ी (6G) के नवाचार समूह विकसित किये हैं।
  • बढ़ता निवेश: केंद्रीय बजट 2022-23 में दूरसंचार विभाग को 84,587 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
    • दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच 39.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा।

दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित हाल की सरकारी पहलें

दूरसंचार क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ

  • ‘राइट ऑफ वे’ चुनौती: विभिन्न राज्यों में परिवर्तनशील और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं, लेवी में एकरूपता की कमी और वन विभाग, रेलवे एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनुमोदन आवश्यकताओं के कारण भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिये ‘राइट ऑफ वे’ (Right of Way) एक विवादास्पद मुद्दा रहा है क्योंकि इन परिदृश्यों में कागजी कार्रवाई में देरी की समस्या उत्पन्न होती है।
    • इस देरी से देश भर में टावरों एवं फाइबर के लिये विभिन्न योजनाएँ और रोलआउट प्रक्रियाएँ प्रभावित हुई हैं।
  • OTT-टेलीकॉम संघर्ष: एयरटेल और जियो जैसे दूरसंचार प्रदाताओं की नेटवर्क अवसंरचना का उपयोग करके व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे OTT प्लेटफॉर्मों द्वारा वॉयस कॉल एवं एसएमएस सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
    • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSPs) का तर्क है कि ये सेवाएँ उनके राजस्व के स्रोतों (वॉयस कॉल, एसएमएस) पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
  • अपर्याप्त फिक्स्ड-लाइन पैठ: भारतीय नेटवर्क पर्याप्त फिक्स्ड-लाइन कवरेज नहीं रखता, जबकि अधिकांश विकसित देशों में फिक्स्ड लाइनों की उच्च पैठ की स्थिति है (जहाँ टेलीफोन लाइनें धातु के तारों या ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से एक राष्ट्रव्यापी टेलीफोन नेटवर्क से जुड़ी हैं)।
    • विकसित देशों में 70% से अधिक की तुलना में भारत में 25% से कम टावर फाइबर नेटवर्क से जुड़े हैं।
    • 5G नेटवर्क के लिये टावरों को अत्यंत उच्च-गति प्रणालियों से कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है। ऐसी उच्च गतियाँ वर्तमान रेडियो सिस्टम द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती हैं।
  • ई-कचरे के कुशल निपटान का अभाव: दूरसंचार उद्योग पर्यावरण को कई तरह से प्रभावित करता है, जिसमें ई-कचरा (e-waste) उत्पन्न करना भी शामिल है।
    • भारत में 95% से अधिक ई-कचरे का अवैध रूप से निपटान किया जाता है।
  • ग्रामीण कनेक्टिविटी का अभाव: भारत में पर्याप्त टेली घनत्व (Tele Density) तो प्राप्त किया गया है, लेकिन शहरी (55.42%) और ग्रामीण (44.58%) क्षेत्रों में पैठ के बीच एक बड़ी विसंगति मौजूद है।
    • भारी प्रारंभिक निर्धारित लागतों के कारण सेवा प्रदाताओं के लिये अर्द्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण है।

आगे की राह

  • डिजिटल कौशल के साथ डिजिटल अवसंरचना: डिजिटल अवसंरचना का निर्माण और डिजिटल कौशल का विकास साथ-साथ होना चाहिये, जबकि इंटरनेट का उपयोग और डिजिटल साक्षरता अन्योन्याश्रित हैं।
    • युवा छात्रों और कामकाजी आबादी, विशेष रूप से महिलाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ‘डिजिटल फाउंडेशन सेंटर’ स्थापित किये जा सकते हैं।
  • क्षेत्र विशिष्ट डेटा प्रबंधन और शिकायत निवारण: पूरे भारत में डिजिटल संचार की निर्बाधता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्र-विशिष्ट डेटा प्रबंधन और शिकायत निवारण मानकों (OTT प्लेटफॉर्मों सहित) की आवश्यकता है, जबकि इस क्रम में नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए उनकी स्वायत्तता एवं पसंद को सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
    • दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) द्वारा अधिक सक्रिय और समयबद्ध विवाद समाधान समय की मांग है।
  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, क्षमताओं को साझा करना: दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये देश में प्रतिभा पूल का दोहन करना महत्त्वपूर्ण है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों आदि में कई नए नवाचार ला रहे हैं।
    • इसके साथ ही, साझा करने योग्य आधार पर नए बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है, जिस प्रकार दूरसंचार सेवा प्रदाता टावर लागत को साझा करते हैं।
  • निर्यात के लिये माहौल का निर्माण करना: यह महत्त्वपूर्ण है कि सरकार R&D में अधिक निवेश करे और एक ऐसा माहौल तैयार करे जो भारत को मोबाइल फोन, सीसीटीवी कैमरे, टच स्क्रीन मॉनिटर जैसे हार्डवेयर घटकों के निर्माण एवं निर्यात में सक्षम बनाए।
  • ‘भारतनेट’ को ‘भाषिणी’ से संयुक्त करना: भारतनेट (BharatNet) गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर अत्यधिक स्केलेबल नेटवर्क अवसंरचना को सुलभ बनाने का लक्ष्य रखता है। मांग पर, भारतनेट के साथ किफायती ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सकती है; साथ ही, भाषिणी प्लेटफॉर्म (AI से संचालित भाषा अनुवाद मंच) के माध्यम से भाषाई अवरोध को दूर करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों के ई-नागरिकों को एकीकृत किया जा सकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये। हाल के दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे के प्रमुख प्रावधानों का हवाला भी दीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्र. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार की "डिजिटल इंडिया" योजना का/के लक्ष्य हैं/हैं?  (वर्ष 2018)

  1. चीन की तरह भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन।
  2. विदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीतिगत ढाँचा स्थापित करना जो हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के भीतर अपने बड़े डेटा केंद्रों का निर्माण करने के लिए बिग डेटा एकत्र करते हैं।
  3. हमारे कई गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना और हमारे कई स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और प्रमुख पर्यटन केंद्रों में वाई-फाई लाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

 (A) केवल 1 और 2
 (B) केवल 3
 (C) केवल 2 और 3
 (D) 1, 2 और 3

 उत्तर: (B)

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