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सरकार की प्राथमिकता: कृषक व कृषि क्षेत्र का विकास

  • 08 Jun 2017
  • 12 min read

संदर्भ
कृषि एवं इससे संबद्ध क्षेत्र भारत की अधिकांश जनसंख्या, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों, के लिये आजीविका का मुख्य साधन है| यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के निर्धारण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है| खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोज़गार और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों, जैसे कि मृदा संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन आदि के सन्दर्भ में भी  कृषि क्षेत्र का सर्वांगी विकास आवश्यक है| समग्र ग्रामीण विकास हेतु भारतीय कृषि क्षेत्र बीज, उर्वरक, सिंचाई,  उन्नत मशीनरी, मृदा संरक्षण जैसे कृषि इनपुटों के साथ- साथ कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थागत तत्त्वों यथा  बैंकिंग ऋण, फसल बीमा तथा कृषि शोध व अनुसंधान आदि पर भी आधारित है|

अर्थात सरकार के लिये  इतनी बड़ी कृषक व ग्रामीण जनसंख्या की दशा में सुधार हेतु आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र में सुधार को प्राथमिकता दी जाए| अतः पूर्व की सरकारों एवं वर्तमान सरकार के  माध्यम से उन कदमों को उठाया गया जिससे किसान के लाभ में वृद्धि हो एवं उसके सामाजिक व आर्थिक हितों की रक्षा की जा सके| इसके साथ ही उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु ये भी आवश्यक है कि मृदा के उपजाऊपन का संरक्षण किया जा सके तथा फसल को अन्य पर्यावरणीय विपदाओं से बचाया जा सके| 

कृषि क्षेत्र में की गई महत्त्वपूर्ण पहलें

  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PMKVY)- सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिये प्रयासरत है, जिसके लिये सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु इस कार्यक्रम को प्रारंभ किया है| यह योजना मूलतः क्लस्टर आधारित कार्यक्रम है, जहाँ किसानों को वित्त सहायता देकर जैविक खेती के लिये प्रेरित किया जायेगा| प्राथमिक रूप से इस योजना के क्रियान्वयन का भार राज्य सरकारों पर है| 
  • मृदा स्वस्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)- मृदा में रासायनिक उर्वरकों की अनुचित मात्रा के प्रयोगों को रोकने तथा उर्वरक प्रयोग से संबंधित जागरुकता के संदर्भ में  किसानों के मध्य सूचनाओं   की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्येश्य से, फरवरी 2015 में सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड का प्राम्भ किया गया| इससे जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं- 

I.  उक्त योजना के तहत किसानों को एक कार्ड दिया जाएगा, जिसके माध्यम से  मृदा की दशा, विभिन्न फसलों के लिये उपयुक्त उर्वरक तथा  फसलों के लिये आवश्यक अन्य पोषक तत्त्व जैसी महत्त्वपूर्ण सूचनाओं की किसानों तक पहुँच सुनिश्चित की  जा सकेगी| 
II.  इससे मुख्य रूप से उपयुक्त मृदा प्रबंधन किया जा सकेगा जहाँ जल, पोषक तत्त्वों व उर्वरकों का मृदा की स्थिति के अनुसार इष्टतम प्रयोग किया जा सकेगा| 
III.  साथ ही उक्त योजना किसानों के लिये प्रयोगशाला में मृदा जाँच की सुविधा भी  प्रदान करती है|      

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)- यह योजना देश भर में सिंचित क्षेत्र के विकास एवं सिंचाई में नवीन तकनीकों को  बढ़ावा देने के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिये प्रारंभ की गई है तथा जल उपयोग क्षमता में विकास करना इस योजना का महत्त्वपूर्ण लक्ष्य है| इस योजना के माध्यम से  सरकार किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिये सिंचाई में ड्रिप तकनीक व स्प्रिंकलर तकनीक  जैसी नवीन युक्तियों के प्रयोगों को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रेरित करेगी|  PMKSY का लक्ष्य रुकी हुई सिंचाई योजनाओं को प्रारंभ करने का भी है|
  • नीम कोटेड यूरिया (Neem Coated Urea)- सरकार ने मृदा संरक्षण व उर्वरक के मूल्य को ध्यान में रखते हुए  नीम कोटेड यूरिया का चलन प्रारंभ किया है जो परंपरागत यूरिया की तुलना में एक  नीम युक्त उर्वरक है जो अधिक पर्यावरण मित्र भी है |

महत्त्वपूर्ण संस्थागत पहलें

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- किसानों के उत्पादन को विभिन्न आपदाओं से संरक्षण देने हेतु सरकार ने फसल बीमा योजना  का प्रारंभ किया है, इसके अंतर्गत-

I. सरकार किसानों को मुआवज़ा देगी, यदि उनकी फसल बाढ़, सूखा, ओला, भूस्खलन आदि प्राकृतिक विपदाओं  में ख़राब हो जाए| 
II.  यह बीमा योजना सभी अनाजों, तिलहनों तथा बगानी फसलों पर लागू होगी| 
III.  इसके अतिरिक्त बीमा योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की हानियों को, यथा फसल पूर्व  (Pre-Harvesting) होने वाले  खतरे तथा  तैयार फसल (Standing Crop) पर उत्पन्न खतरों के साथ-साथ फसल पश्चात (Post-Harvesting) होने वाली हानियों को भी  समाहित किया जायेगा|

  • राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM)-भारत सरकार द्वारा किसानों को उनके उपज का उचित मूल्य दिलवाने के लिये विभिन्न नवाचारी पहल किये गए हैं, उनमें राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना अत्यंत ही प्रभावी योजना होगी| राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना से संबंधित कुछ तथ्य इस प्रकार हैं-

I. अखिल भारतीय स्तर पर किसानों के लिये एकीकृत व कंप्यूटराइज़ कृषि बाज़ार का निर्माण किया जायेगा| 
II. इसमें e-NAM नामक एक एकीकृत कंप्यूटर नेटवर्क होगा जिससे देश भर की विभिन्न कृषि मंडियाँ जुड़ी होंगी|
III. अतः किसान अपने स्थान पर रहते हुए ही अपने उत्पाद के लिये उपयुक्त मूल्य की तलाश कर पाएगा| इस प्रकार किसान अपने उत्पादों को सही मूल्य पर अपनी इच्छा के अनुसार उपयुक्त क्रेता को बेच पाएँगे|

  • राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)-सरकार किसानों की सहायता करने के लिये कृषि विज्ञान केन्द्रों के निर्माण का गंभीर प्रयास कर रही है| इसके द्वारा न सिर्फ उत्पादन में वृद्धि की जा सकेगी, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता में भी वृद्धि की जा सकेगी| इन केन्द्रों के द्वारा  किसानों को अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोगों के लिये प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक कृषि को बढ़ावा देना ही सरकार का परम लक्ष्य है| इसके लिये सरकार ने 2015-16 में “मेरा गाँव मेरा गौरव” योजना प्रारभ की है, जिसका मुख्य लक्ष्य किसानों के वैज्ञानिक ज्ञान में वृद्धि करना है|
  • कृषि शोध एवं अनुसंधान- सरकार ने कृषि शोध व अनुसंधान पर बल देते हुए कृषि के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिये बजटीय आवंटन में 47.6% की वृद्धि की है| कृषि विश्वविद्यालयों में नए प्रायोगिक शिक्षा केंद्र (Experimental Learning Centre) का प्रारंभ किया गया है, जिससे कृषि क्षेत्र में नवाचार व प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाएगा| इसके साथ ही सरकार ने 62 राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों को  मान्यता दी है|  
  • इसके अतिरिक्त भारतीय कृषि एवं कृषकों की दशा में सुधार  हेतु पशुपालन व उससे जुड़ी हुई गतिविधियों से संबंधित पहल महत्त्वपूर्ण हैं| इनमें से कुछ प्रमुख पहल इस प्रकार हैं-
  • श्वेत क्रांति– श्वेत क्रांति के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर किया जाने वाला दुग्ध उत्पादन वर्तमान में 7 करोड़ ग्रामीण परिवारों की आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत है| परिणामस्वरुप जहाँ आज देश दुग्ध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है, वहीं इसके कारण ग्रामीण जनता विशेषकर किसानों के आय विकल्पों में विविधता आई है| इसलिये सरकार के द्वारा हमेशा से ये प्रयास किया जाता रहा है कि विभिन्न नवाचारी एवं वैज्ञानिक युक्ति के द्वारा इस क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता को बढाया जा सके, जिससे किसानों के लाभ में उतरोत्तर वृद्धि हो| इसके लिये सरकर के द्वारा उठाये गए कुछ कदम इस प्रकार हैं-

I. राष्ट्रीय गोकुल मिशन- इसके तहत देश में पशुओं की घरेलू प्रजातियों  के विकास एवं संरक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है|
II. पशु संजीवनी – पशुओं के स्वास्थ्य  से जुड़ी योजना है जिसके तहत पशुओं के लिये हेल्थ कार्ड, यूनिक आइडेंटिफिकेशन कार्ड  तथा नेशनल डेटाबेस तैयार करने की योजना है|
III. एडवांस्ड ब्रीडिंग तकनीक 
IV. e-पशुधन हाट के  निर्माण की योजना जिसके तहत पशुओं के क्रेताओं एवं किसानों को एक दूसरे से संपर्क करना आसान होता है|

  • लाइवस्टॉक बीमा योजना (LIS)- पहली बार इसी योजना के तहत देश के सभी जिलों के सभी पशुओं को बीमा के अंतर्गत लाया गया है|
  • नीली क्रांति (Blue Revolution)- मतस्य पालन, आय वृद्धि एवं रोज़गार जनन का सशक्त माध्यम है| इसलिये सरकार ने  मतस्य उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रयास किये हैं| परिणामस्वरुप 2011-2014 की तुलना में 2014-17 में कुल मतस्य उत्पादन में  लगभग 20% की  वृद्धि हुई है|

निष्कर्ष
अतः देश में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाकर ही  किसानों व गरीब ग्रामीण जनता की आय बढाई जा सकती है, साथ ही उनकी  क्रय क्षमता में  वृद्धि कर उन्हें अर्थव्यवस्था व उद्योग के लिये एक उत्पादक साझेदार बनाया जा सकेगा|  इन परिस्थितियों में वैज्ञानिक विधि, तकनीक कौशल व अत्याधुनिक मशीनों के प्रयोग एवं अन्य तत्त्वों को भारतीय कृषि के अंतर्गत समाहित कर  अपेक्षित सुधार हो सकता है|

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