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राष्ट्रीय महिला नीति का मसौदा फिर अटका

  • 16 Jul 2018
  • 5 min read

संदर्भ

राजनीति में महिलाओं के लिये एक-तिहाई आरक्षण से संबंधित राष्ट्रीय महिला नीति का मसौदा जो कि एनडीए सरकार के समय से ही मंज़ूरी की राह देख रहा है राजनीतिक रूप से विवादित प्रस्ताव के कारण पिछले एक साल से लंबित है| महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नीति को लेकर कई बैठकों के बाद जुलाई 2017 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह द्वारा कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित कर दिया गया था, तब से यह केंद्र सरकार की मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • सूत्रों के मुताबिक, नीति का मसौदा मुख्य रूप से लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण और सभी स्थानीय निकायों में कम-से-कम 50 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश के कारण लंबित है।
  • महिलाओं की पहली राष्ट्रीय नीति का मसौदा को 2001 में संशोधन कर अंतिम रूप दिया गया था। जुलाई 2017 में किये गए दूसरे संशोधन में महिलाओं के कल्याण के लिये अधिकार-आधारित दृष्टिकोण, पिछली नीति की तुलना में बदलाव को दर्शाता है।
  • अधिकारियों ने कहा कि मंत्रियों की बैठकों में इस बात को इंगित किया गया था कि 2001 की नीति में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अधिक सुनिश्चित करने के प्रावधान की कमी है।
  • यह भी बताया गया कि लोकसभा में महिलाओं का मौजूदा प्रतिनिधित्व 11 प्रतिशत तथा विधानसभा में 9 प्रतिशत है, जबकि एनडीए घोषणापत्र में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया गया है। मसौदा नीति तब से प्रधानमंत्री कार्यालय में अग्रिम कार्रवाई की राह देख रही है|
  • मंत्रालय के अनुसार, भारत की डेटा प्रणाली काफी हद तक लैंगिकता के मामले में तटस्थ रही है| बेहतर नीति तैयार करने के लिये, विशेष रूप से गरीबी, आर्थिक भागीदारी, हिंसा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, शासन और मीडिया से संबंधित मुद्दों पर डेटा को अलग-अलग किया जाना चाहिये।

मसौदा नीति

  • इस नीति का लक्ष्‍य है कि महिलाओं का राजनीतिक सशक्तीकरण हो और उनके लिये सामाजिक-आर्थिक वातावरण तैयार हो ताकि वे अपने अधिकारों को प्राप्‍त कर सकें, संसाधनों पर उनका नियंत्रण हो तथा लैंगिक समानता तथा न्‍याय के सिद्धांतों को स्‍थापित किया जा सके।
  • नीति में ऐसे समाज की अभिकल्‍पना की गई है जहाँ महिलाएँ अपनी क्षमता का भरपूर इस्‍तेमाल कर सकें और जीवन के हर पक्ष में बराबरी का हक़ पा सकें। नीति का लक्ष्‍य है कि महिलाओं के लिये एक ऐेसा सकारात्‍मक सामाजिक-सां‍स्‍कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक माहौल तैयार हो जिसमें महिलाएँ अपने मूल अधिकारों को प्राप्‍त कर सकें। 
  • मसौदा नीति सरकार की सभी तीन शाखाओं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ कॉरपोरेट बोर्ड में महिलाओं की उपस्थिति को बढ़ावा देने पर बल देती है।
  • यह पुलिस बल में महिलाओं के लिये एक-तिहाई आरक्षण की आवश्यकता पर बल देती है  तथा लिंग समानता की दृष्टि से मंत्रालयों में नीतिगत आवश्यकता का भी विवरण देती है।
  • नीति के कार्यान्वयन की निगरानी महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति के माध्यम से की गई थी| इसी प्रकार राज्य स्तरीय समितियों की स्थापना की जाएगी  जिसका नेतृत्व संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री करेंगे।
  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक, महिलाओं के लिये राष्ट्रीय नीति का मसौदा अभी तक मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है।
  • मसौदा नीति में एक महत्त्वपूर्ण सिफारिश की गई है जिसके तहत सभी मंत्रालयों से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों का लिंग-असंगत डेटा बनाया जाना अनिवार्य किया गया है।
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