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भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व व्यापार संगठन और सब्सिडी मुद्दा

  • 05 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, SCM

मेन्स के लिये:

सब्सिडी से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के विवाद निपटान पैनल (Dispute Settlement Panel) ने भारत में दी जाने वाली निर्यात सब्सिडी पर आपत्ति जताई है।

  • पैनल के अनुसार, भारत की निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं ने विश्व व्यापार संगठन के सब्सिडी और काउंटरवेलिंग मानकों (Subsidies and Countervailing Measures- SCM) से संबंधित समझौते के कई प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

SCM:

  • SCM समझौता दो मुद्दों से संबंधित है
  1. पहला बहुपक्षीय सब्सिडी के प्रावधानों का विनियमन।
  2. सब्सिडी वाले आयातों के कारण होने वाली हानि से संबंधित काउंटरवेलिंग उपाय।
  • बहुपक्षीय सब्सिडी के प्रावधानों के तहत ही किसी देश द्वारा निर्यात सब्सिडी लगाई जाती है।
  • इसके विपरीत यदि कोई पक्ष इस निर्यात सब्सिडी से प्रभावित हो रहा है तो वह SCM समझौते में निर्धारित मापदंड के तहत काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगा सकता है।
  • पैनल ने फैसला सुनाया कि भारत निर्यात प्रदर्शन पर आकस्मिक सब्सिडी प्रदान करने का हकदार नहीं है क्योंकि भारत का प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद 1,000 डॉलर प्रतिवर्ष से अधिक हो गया है।
  • विश्व व्यापार संगठन के SCM समझौते के अनुच्छेद 3।1 के तहत प्रतिवर्ष 1,000 डॉलर के प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद वाले विकासशील देशों को निर्यात सब्सिडी प्रदान करने का अधिकार नहीं है।
  • SCM समझौते के अनुच्छेद 4।7 के अनुसार, यदि निषिद्ध वस्तुओं पर सब्सिडी का प्रश्न उठता है तो पैनल सब्सिडी देने वाले देश से त्वरित रूप से सब्सिडी वापस लेने की अनुशंसा कर सकता है।
  • पैनल के अनुसार, भारत की निर्यात प्रोत्साहन सब्सिडी को SCM समझौते के अनुच्छेद 3।1(a) और 3।2 से असंगत पाया गया है।
  • पैनल ने फैसला सुनाया है कि भारत को 90-120 दिनों की समयावधि के भीतर SCM समझौते से असंगत सभी योजनाओं को वापस लेना चाहिये।

इस प्रकार के फैसले का भारत पर प्रभाव:

  • इस प्रकार के फैसले के बाद भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कई निर्यात-सब्सिडी योजनाएँ गंभीर रूप से प्रभावित होंगी। इन योजनाओं में शामिल हैं:
  1. इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क स्कीम, बायो-टेक्नोलॉजी पार्क स्कीम
  2. मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम
  3. एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम
  4. विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone)
  • भारत प्रतिवर्ष 7 बिलियन डॉलर (5।4 बिलियन पाउंड) से अधिक की सब्सिडी विभिन्न उत्पादों जैसे- इस्पात, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, आईटी और वस्त्र आदि पर देता है।

भारत के लिये निर्यात सब्सिडी का महत्त्व:

  • भारत अभी भी विकासशील देशों की श्रेणी में है। भारत की आय में जो वृद्धि हुई है उसमें निर्यात से ज़्यादा योगदान सेवा क्षेत्र का है इसलिये भारत के इस प्रकार के प्रावधान अप्रासंगिक प्रतीत होते हैं, ध्यातव्य है कि भारत काफी समय से इस प्रकार के प्रावधानों के अंतर्गत विशेष छूट की मांग कर रहा है।
  • वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर संरक्षणवाद और अन्य प्रभावी कारकों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इसलिये ऐसे समय में भारत जैसे विकासशील देशों को इन प्रावधानों से विशेष छूट मिलनी चाहिये।
  • भारत का बैंकिंग और उद्योग क्षेत्रक इस समय मंदी से घिरा हुआ है, इसलिये विशेष प्रोत्साहन के बिना अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढ़ाना आसान कार्य नहीं है।

स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स

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