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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

SCO शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक

  • 06 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

शंघाई सहयोग संगठन क्या है? इसके सदस्य देश

मेन्स के लिये

भारत की विदेश नीति में शंघाई सहयोग संगठन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) के शासनाध्यक्षों की परिषद (Council of Heads and Governments-CHGs) की 18वीं बैठक हाल ही में उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आयोजित की गई। भारत के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने इसमें हिस्सा लिया।

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रकार की बैठक में भारत की यह तीसरी भागीदारी थी। पहली बैठक नवंबर-दिसंबर 2017 में रूस के सोची नगर में हुई थी और दूसरी बार की बैठक 2018 में ताजिकिस्तान के दुशांबे शहर में हुई थी।
  • आतंकवाद से निपटने एवं विकास के प्रयासों को मज़बूती देने के लिये SCO देशों के सहयोग पर बल दिया गया। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता को कम करने के मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
  • भारत द्वारा कहा गया कि चीन के बाद SCO क्षेत्र में भारत दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत, क्षमता निर्माण और कौशल विकास में अपना अनुभव साझा कर सकता है जिसमें संसाधन मानचित्रण, कृषि शिक्षा, उपग्रहों का प्रक्षेपण, फार्मास्यूटिकल्स, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, आतिथ्य एवं वित्तीय सेवाएँ शामिल हैं।
  • वैश्वीकरण ने SCO सदस्यों के विकास के लिये अपार अवसर खोले हैं। हालाँकि इसने कई चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। विशेष रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अलगाववाद और संरक्षणवाद की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इस परिस्थिति में SCO, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ एक पारदर्शी, नियम आधारित, खुला, समावेशी और भेदभाव रहित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली है।
  • SCO में शामिल देश प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय प्रभाव से ग्रस्त हैं। इन समस्याओं को कम करने के उद्देश्य से भारत ने एससीओ सदस्य देशों को कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रेजिलियेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया।

भारत द्वारा सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के एशियाई जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रेज़िलियेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के लिये एक वैश्विक गठबंधन का प्रस्ताव रखा गया था। इसका उद्देश्य देशों को लचीले बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये उनकी क्षमताओं को उन्नत करने में सहायता करना है। यह जलवायु परिवर्तन में योगदान देने के साथ-साथ सेंदाई फ्रेमवर्क के तहत नुकसान में कमी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

SCO के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक के अलावा भारत तथा उज़्बेकिस्तान के मध्य द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसमें कुछ प्रमुख समझौतों (MOUs) पर हस्ताक्षर किये गए।

  • भारत ने उज़्बेकिस्तान द्वारा भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिये 40 मिलियन डॉलर की रियायती छूट (Line of Credit) दी है।
  • दोनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौता हुआ।
  • इसके साथ ही दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में परस्पर आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके लिये दोनों देशों के उच्च सैन्य शिक्षण संस्थानों के मध्य समझौता हुआ जिसमें भारत का कॉलेज ऑफ़ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद तथा आर्म्ड फोर्स अकादमी ऑफ़ उज़्बेकिस्तान, ताशकंद शामिल हैं।
  • भारत उज़्बेकिस्तान के मध्य पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक-2019’ (Dustlik-2019) ताशकंद में प्रारंभ किया गया।

शंघाई सहयोग संगठन क्या है?

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जिसकी स्थापना चीन, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी।
  • वर्तमान में SCO के आठ सदस्य देश-भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान हैं।
  • वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए थे और वर्ष 2017 में इन दोनों देशों को इस संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया। इसके चार पर्यवेक्षक और छह संवाद सहयोगी भी हैं।
  • इस मंच का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय ‘शासनाध्यक्ष परिषद’ है। शासनाध्यक्ष परिषद की वार्षिक बैठक में सदस्य देशों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं।

स्रोत : द हिंदू

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