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COVID-19 वैक्सीन के चरण-3 में जटिलता

  • 14 Sep 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वैक्सीन/दवा के नैदानिक परीक्षण के विभिन्न चरण 

मेन्स के लिये 

COVID-19 वैक्सीन के चरण-3 में विद्यमान जटिलता 

चर्चा में क्यों?

एक स्वयंसेवक के बीमार पड़ने के पश्चात् 8 सितंबर को यूनाइटेड किंगडम की बायोफार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर विकसित की जा रही COVID-19 वैक्सीन (AZD1222) के चरण-3 के वैश्विक परीक्षण को निलंबित कर दिया था। 12 सितंबर को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति मे कहा है कि स्वतंत्र समीक्षा प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और नियामक की स्वीकृति के पश्चात् यूनाइटेड किंगडम में परीक्षण पुनः आरंभ किये जाएंगे।

वैक्सीन/दवा के नैदानिक परीक्षण: चरण-1 व चरण-2

  • नई दवा और वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण की प्रक्रिया में समानताएँ और अंतर विद्यमान हैं। व्यक्तियों पर परीक्षण के दौरान दोनों 4 चरणों की एक प्रक्रिया का पालन करते हैं।
  • एक दवा/वैक्सीन के विभिन्न जानवरों, जैसे- चूहा, खरगोश, हम्सटर और प्राइमेट्स पर परीक्षण में सुरक्षित सिद्ध होने के पश्चात् नैदानिक परीक्षण के चरण-1 को प्रारंभ किया जाता है।  
  • चरण-1 में स्वयंसेवकों के एक छोटे समूह को दवा की कम मात्रा की खुराक देकर यह देखने के लिये निगरानी की जाती है कि क्या यह सुरक्षित है। इस चरण में औसतन 10-50 उम्मीदवार चुने जाते हैं।
  • चरण-2 में सैंकड़ों की संख्या वाले स्वयंसेवकों के एक समूह का चुनाव किया जाता है। इस चरण में शोधकर्ता यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि प्रभावी प्रतिक्रिया अथवा वांछित प्रतिक्रिया को उत्पन्न करने के लिये कितनी मात्रा में खुराक की आवश्यकता होगी। COVID-19 वैक्सीन के मामले में यह वह चरण है जब निर्धारित किया जाता है कि वैक्सीन ने एंटीबॉडी का वांछित स्तर और T-कोशिकाओं को उत्तेजित करने के लिये पर्याप्त कोशिका प्रतिक्रिया आरंभ की है जो क्रमशः वायरस की वृद्धि को रोकने और वायरस को निष्प्रभावी करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। इस चरण में भी दुष्प्रभाव और प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं की निगरानी और रिपोर्ट की जाती है।

नैदानिक  परीक्षण का चरण-3 अलग कैसे?

  • चरण-1 और चरण-2 में रोगियों को भर्ती करने और समय के विभिन्न अंतराल पर दवा/वैक्सीन के प्रभावों का अवलोकन करने के कारण कई महीनों का समय लग जाता है। दोनों चरणों के आँकड़ों के विश्लेषण से संतुष्ट होने के पश्चात् नियामकों द्वारा चरण-3 के लिये स्वीकृति दी जाती हैं।
  • इस चरण में हज़ारों स्वयंसेवकों या रोगियों पर कई स्थानों पर दवा या वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है। दवा के मामले में, एक नई दवा की देखभाल के मौजूदा मानक से तुलना कर यह सिद्ध करना होता है कि यह दवा या तो अधिक प्रभावी है या समान रूप से प्रभावी है, लेकिन अधिक सुरक्षित है।
  • दवा के विपरीत, जब एक नई बीमारी के लिये वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है, तो आमतौर पर तुलना करने के लिये कुछ भी नहीं होता है, इसलिये चरण-3 चरण-2 परीक्षण का एक बड़ा संस्करण बन जाता है।
  • जनसंख्या में जनसांख्यिकीय परिवर्तनशीलता को समझने के लिये कई स्थानों पर चरण-3 का परीक्षण किया जाता है। यह डबल-ब्लाइंड (Double Blind) और यादृच्छिक (Random) होता है। इस चरण में कुछ लोगों को प्लेसबो, कुछ को कम मात्रा की खुराक और कुछ को उच्च मात्रा की खुराक दी जाती है। एक आदर्श परीक्षण में न तो डॉक्टर और न ही प्राप्तकर्ता को पता होता है कि किसे दवा दी जा रही है और किसे प्लेसबो।
  • परीक्षण के पैमाने और दायरे के बढ़ने के साथ ही जनसंख्या के एक बड़े समूह द्वारा नवीन दवा/वैक्सीन के संपर्क में आने से 'गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया' का सामना करना पड़ता है।  जब गंभीर प्रतिक्रियाएँ प्रकट होती हैं, तो चिकित्सा शोधकर्ताओं को यह निर्धारित करना होता है कि क्या प्रतिक्रिया दवा के कारण थी। यदि यह दवा/वैक्सीन के कारण होता है तो दवा/वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण को रोक दिया जाता है। 
  • कई स्थानों पर परीक्षण और रोगियों की अधिक संख्या में आवश्यकता के कारण यह नैदानिक परीक्षण का सबसे महँगा चरण भी है। कभी-कभी दवा/वैक्सीन की तात्कालिक आवश्यकता के कारण विभिन्न चरणों के परीक्षण एक साथ भी किये जाते हैं। 

एस्ट्राज़ेनेका के मामले में क्या हुआ?

  • एस्ट्राज़ेनेका द्वारा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर विकसित की जा रही COVID-19 वैक्सीन, AZD1222 के लिये कंपनी ने यूनाइटेड किंगडम में चरण-3 के नैदानिक परीक्षण के लिये 30,000 स्वयंसेवकों की भर्ती प्रारंभ की थी।
  • पुणे स्थित 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' (भारत सहित 92 देशों के लिये 100 मिलियन खुराक बनाने के लिये अनुबंधित) ने भारत में 1,600 स्वयंसेवकों के प्रस्तावित समूह पर वैक्सीन का परीक्षण करना शुरू कर दिया था। 
  • यूनाइटेड किंगडम में परीक्षण के दौरान एक व्यक्ति में प्रतिक्रिया के स्वरूप मेरुदंड की सूजन के कारण एस्ट्राजज़ेनेका ने अपना परीक्षण रोक दिया।  
  • सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने शुरू में कहा कि वह भारत में परीक्षण नहीं रोकेगा क्योंकि यहाँ कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं देखी गई थी।  हालांकि 'ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया' से एक कारण बताओ नोटिस के पश्चात् कंपनी ने कहा कि यह स्वयंसेवकों की भर्ती को एस्ट्राज़ेनेका द्वारा सुरक्षा डेटा का मूल्यांकन पूरा नहीं करने तक निलंबित करेगी।

स्वतंत्र मूल्यांकन में क्या कहा गया?

  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, स्वतंत्र समीक्षा प्रक्रिया के पश्चात् स्वतंत्र सुरक्षा समीक्षा समिति और यू.के. नियामक MHRA (Medicine and Healthcare Products Regulatory Agency) की सिफारिशों का पालन करते हुए, यू.के. में परीक्षण की पुनः शुरुआत होगी।  
  • विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी का कहना है कि हम प्रतिभागियों की सुरक्षा और अध्ययन में आचरण के उच्चतम मानकों को अपनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नैदानिक परीक्षण का चरण-4

  • एक दवा या वैक्सीन कंपनी, जो चरण-3 को सफलतापूर्वक पूरा करती है, को  अनुमोदन और लाइसेंस प्राप्त होता है। 
  • इसके पश्चात् कंपनी का पूरा आधारभूत ढाँचा दवा/वैक्सीन के तीव्र उत्पादन के लिये समर्पित होता है। इसके अलावा दवा/वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिये लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था की जाती है।  
  • वैक्सीन के उत्पादन तथा वितरण के पश्चात् पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी की जाती है, जहाँ उत्पाद की विफलता और प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के सभी उदाहरण दर्ज किये जाते हैं। कंपनियों से दवा नियामक को आवधिक डेटा प्रस्तुत करने की उम्मीद होती है।

स्रोत: द हिंदू

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