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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एड्स के संक्रमण को रोकने हेतु टीके का आविष्कार आवश्यक

  • 24 May 2017
  • 3 min read

संदर्भ :
बड़ते एच्आईवी/एड्स के मामलों तथा इसके चलते होने वाली मृत्यु के कारण हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने एक टीके का विकास किया है| दरअसल, वैज्ञानिकों ने C-11 नामक एक एंटीबॉडी को खोजा है जो इस टीके को बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • विश्व में किसी भी देश ने अब तक ऐसा टीका विकसित नहीं किया है| इस टीके के विकास से अब इस घातक बीमारी का आरम्भिक अवस्था में ही इलाज संभव हो सकेगा|
  • इसके द्वारा एच्आईवी/एड्स सबटाइप-C का इलाज संभव हो सकेगा| उल्लेखनीय है कि भारत एवं अफ्रीका के 90% एच्आईवी/एड्स पीड़ित लोग इसी श्रेणी के हैं|
  • वस्तुतः यह टीका “निष्क्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली” में भी सहायक होगा| इस प्रणाली से ऐसे रोगियों का इलाज़ किया जाता है जो अकस्मात इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं|

भारत के लिये राहत की बात

  • भारत में एच्आईवी/एड्स के रोगियों की संख्या कुल जनसंख्या का 0.26% (लगभग 2.1 मिलियन) है| हालाँकि, हाल के वर्षो में एच्आईवी/एड्स के रोगीयों में कमी आई है|
  • एच्आईवी/एड्स के नए मामलों में 2015  में 32% की कमी आई है| इसके अलावा, एच्आईवी/एड्स से मरने वालों की संख्या में भी 2015  में 54% की कमी आई है|

एच्आईवी/एड्स (HIV/AIDS)
ह्यूमन एम्युनोडेफिसियान्सी वायरस (HIV) एक विषाणु है जो हमारे प्रतिरक्षा तंत्र में अवस्थित टी-कोशिकाओं (T CELLS)  को प्रभावित करता है, जिससे एक्वारड एम्युनोडेफिसियान्सी सिंड्रोम (AIDS) हो जाता है|

कारण : असुरक्षित यौन संबंधों से, गर्भवती महिला द्वारा शिशु को, संक्रमित रक्त के द्वारा|

प्रारंभिक अवस्था के लक्षण: बुखार, जोड़ों में दर्द, थकावट, शरीर पर लाल धब्बे, लगातार वज़न में कमी, रात में पसीना आना, गले में सूज़न आदि|

बाद की अवस्था के लक्षण: डायरिया, आँखों के सामने अंधेरा छाना, गला सूखना, अत्यधिक थकावट होना, 100 डिग्री के आसपास बुखार का बना रहना आदि|

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