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दो नई कैबिनेट समितियाँ

  • 07 Jun 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

देश की अर्थव्यवस्था में व्याप्त मंदी और बढ़ती बेरोज़गारी पर नई सरकार बराबर नज़र रखे हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में सुधार तथा बेरोज़गारी जैसे मुद्दों से निपटने के लिये दो विशेष कैबिनेट समितियों का गठन किया है।

दो नई कैबिनेट समितियाँ

1. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित पाँच सदस्यीय कैबिनेट कमेटी ऑन इन्वेस्टमेंट एंड ग्रोथ अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के विकल्पों पर विचार करेगी। कैबिनेट की यह विशेष समिति अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ाने के लिये जरूरी विकल्पों पर भी अपने सुझाव देगी। इस कमेटी के सदस्यों में गृहमंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं।

2. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली दूसरी समिति कैबिनेट कमेटी ऑन एम्प्लॉयमेंट एंड स्किल डेवलपमेंट बढ़ती बेरोज़गारी से निपटने के विकल्पों पर विचार करेगी। इसमें कुल 10 सदस्य होंगे जिनमें गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं।

6 समितियों का पुनर्गठन

  • इसके अलावा 6 अन्य प्रमुख समितियों का पुनर्गठन किया गया है। इनमें मंत्रिमंडल की नियुक्ति, आवास, आर्थिक मामलों, संसदीय मामलों, राजनीतिक मामलों, सुरक्षा, निवेश और विकास तथा रोज़गार और कौशल विकास समितियाँ शामिल हैं। 
  • सुरक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे और राजनाथ सिंह, अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण इसके सदस्य होंगे। यह समिति राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश मामलों से संबंधित मुद्दों को देखेगी।
  • मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की अध्यक्षता भी प्रधानमंत्री करेंगे और अमित शाह के अलावा नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल इसके सदस्य होंगे।
  • आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे और इसके सदस्यों के तौर पर राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, सदानंद गौड़ा, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद तथा हरसिमरत कौर बादल शामिल होंगी। इसके अलावा एस. जयशंकर, पीयूष गोयल एवं धर्मेंद्र प्रधान भी इसमें शामिल होंगे। 
  • संसदीय मामलों पर मंत्रिमंडल समिति की अध्यक्षता अमित शाह करेंगे और निर्मला सीतारमण, रामविलास पासवान, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद, थावर चंद गहलोत, प्रकाश जावड़ेकर और प्रहलाद जोशी इसके सदस्य होंगे। यह समिति संसद का सत्र बुलाने के लिये तारीखों की सिफारिश करती है। अर्जुनराम मेघवाल और वी. मुरलीधरन इसके विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। 
  • महत्त्वपूर्ण नीतिगत फैसलों पर सरकार की मदद करने वाली राजनीतिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, रामविलास पासवान, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद, हरसिमरत कौर बादल, हर्षवर्धन, अरविंद सावंत और प्रह्लाद जोशी इसके सदस्य होंगे। 
  • प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री एवं नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी आवास समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। 
  • इनके अलावा कौशल विकास की मंत्रिमंडलीय समिति तथा विकास मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति का भी पुनर्गठन किया गया।

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जब इन समितियों का पुनर्गठन हुआ तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को केवल दो समितियों (सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति और आर्थिक मामलों की समिति) का सदस्य बनाया गया था, लेकिन इसके बाद हुए एक घटनाक्रम में राजनाथ सिंह को चार और समितियों में शामिल किया गया। वह संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के अध्यक्ष तथा राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति, निवेश एवं विकास मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के साथ-साथ रोज़गार एवं कौशल विकास मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के सदस्य भी बनाए गए हैं। 

क्यों किया जाता है पुनर्गठन?

  • गौरतलब है कि मंत्रिमंडलीय समितियों का गठन या पुनर्गठन तब किया जाता है जब नई सरकार काम-काज संभालती है या मंत्रिमंडल में फेरबदल होते हैं। इन समितियों के माध्यम से मंत्रिमंडल को अपना काम करने में सुविधा होती है। ये समितियाँ संविधानेतर हैं अर्थात् संविधान में इनका कोई उल्लेख नहीं है, तथापि इनकी स्थापना हेतु कार्य संचालन संबंधी नियमावली का प्रावधान है।

दो प्रकार की होती हैं समितियाँ

  • मंत्रिमंडलीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं- स्थायी समिति और तदर्थ समिति। स्थायी समिति अपने नाम के अनुरूप होती है तथा तदर्थ समिति अस्थायी प्रकृति की होती है।
  • कुछ विशेष समस्याओं से निपटने के लिये समय-समय पर तदर्थ समितियाँ गठित की जाती हैं तथा कार्य समाप्त होने के बाद इनका अस्तित्व नहीं रहता है।
  • मंत्रिमंडल समितियों का गठन प्रधानमंत्री द्वारा समय और परिस्थिति के अनुसार किया जाता है, इसलिये इनकी संख्या, इनके नाम और रचना समय-समय पर भिन्न होती है।
  • इन समितियों में प्रायः कैबिनेट स्तर के मंत्री या स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री शामिल होते हैं। केवल संबद्ध विषय से संबंधित प्रभारी मंत्री ही नहीं, बल्कि अन्य वरिष्ठ मंत्री भी इनमें शामिल होते हैं।
  • इन समितियों की अध्यक्षता प्रायः प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, लेकिन कभी-कभी गृह मंत्री तथा वित्त मंत्री भी इन समितियों की अध्यक्षता करते हैं, किंतु प्रधानमंत्री यदि समिति का सदस्य है तो उसकी अध्यक्षता वही करता है।
  • ये समितियाँ केवल मामलों का निपटान ही नहीं करतीं, बल्कि मंत्रिमंडल के विचारार्थ प्रस्ताव भी तैयार करती हैं और निर्णय भी लेती हैं।
  • मंत्रिमंडल इन समितियों द्वारा लिये गए निर्णय की समीक्षा कर सकता है।
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