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वृक्ष-प्रत्यारोपण

  • 14 Jun 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सीएजी, वृक्ष प्रत्यारोपण पद्धति। 

मेन्स के लिये:

संरक्षण, पर्यावरण पर वृक्ष प्रत्यारोपण की विफलता का प्रभाव। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India- CAG) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), महाराष्ट्र द्वारा प्रतिरोपित पौधों में से केवल 54% ही जीवित बचे हैं। 

  • लेखापरीक्षा से पता चला कि मुंबई में प्रतिरोपित पौधों में से जीवित पौधों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत (80%) से काफी कम था। 

प्रमुख बिंदु  

वृक्ष प्रत्यारोपण के बारे में: 

  • प्रत्यारोपण या रीप्लांटिंग (Replanting) एक कृषि क्षेत्र या बगीचे में पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है। 
  • वृक्ष प्रत्यारोपण के माध्यम से पौधों को लंबे समय तक बढ़ने हेतु मौसम के अनुकूल ढालना है।  
    • पौधों की खेती पहले घर के अंदर की जा सकती है और मौसम अनुकूल होने पर उन्हें बाहर स्थांतरित कर दिया जाता है। 
  • ट्री स्पेड मशीन (Tree Spade Machine) एक विशेष प्रकार की मशीन है जो बड़े पौधों के प्रत्यारोपण को यंत्रीकृत करती है  
    • बड़े वृक्षों की रूट बॉल को खोदने, लपेटने या बॉक्सिंग कर उन्हें ट्रक द्वारा परिवहन करने की आवश्यकता हो सकती है 
  • अक्तूबर 2020 में दिल्ली सरकार ने शहर में विकास कार्यों के कारण पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये एक वृक्ष प्रत्यारोपण नीति को मंज़ूरी दी। 
    • इस नीति के तहत संबंधित एजेंसियों को परियोजनाओं से प्रभावित 80% पेड़ों को एक नए स्थान पर ट्रांसप्लांट करने के लिये कहा गया है। 
    • इस नीति के तहत 10 पौधे लगाए जाने के साथ-साथ जड़ से खोदकर निकाले गए पेड़ को काटने के बजाय किसी अन्य स्थान पर वैज्ञानिक रूप से प्रत्यारोपित किया जाना है। 

वृक्ष प्रत्यारोपण के लाभ: 

  • युवा पौधों को परिपक्व होने तक बीमारियों और कीटों से बचाने के लिये यह एक अच्छी विधि है। 
  • इस विधि से पौधे की सीधी रोपाई करके बीजों के अंकुरण की समस्या से बचा जा सकता है। 
  • यह अपेक्षाकृत सुविधाजनक लेकिन कम किफायती तकनीक है। 
    • खरीदे गए पौधे को तुरंत ज़मीन में या कंटेनर में उगाने के लिये लगाने से हमारे बागवानी कार्यों का एक बोझिल चरण समाप्त हो जाता है।. 
  • कई पार्कों और झीलों के किनारों को परिपक्व पेड़ों को प्रत्यारोपित करके तुरंत हरियालीयुक्त किया जा सकता है। 
    • पौधों की तुलना में परिपक्व पेड़ बहुत अधिक पारिस्थितिकी सेवाएंँ प्रदान करते हैं। 
  • विकास परियोजनाओं के कारण पुराने पेड़ों का प्रत्यारोपण उन्हें बचाने में मदद कर सकता है। 

वृक्ष प्रत्यारोपण से जुड़ी चिंताएंँ:  

  • CAG ने अपनी रिपोर्ट में प्रतिरोपित वृक्षों के कम जीवित रहने की दर के बारे में कुछ चिंताओं का उल्लेख किया है। 
    • प्रत्यारोपित वृक्षों के मामले में उचित सुरक्षा और रखरखाव की कमी देखी जाती है। 
    • वृक्ष प्रतिरोपण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिये उचित अवसंरचना उपलब्ध नहीं है। 
    • BMC,s द्वारा नियुक्त ठेकेदारों द्वारा किये गए वृक्षारोपण की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। 
    • CAG के अनुसार, प्रतिरोपण में उपयोग की जाने वाली पद्धति अवैज्ञानिक है। 
  • एक और समस्या यह है कि सभी प्रकार के वृक्षों का प्रत्यारोपण नहीं किया जा सकता है। पीपल, गूलर, सेमल एवं शीशम प्रत्यारोपण के प्रति सहनशील हैं, जबकि ढाक, पलाश, अर्जुन, शहतूत तथा झिलमिल जैसे वृक्ष नहीं  
    • मूसला जड़ प्रणाली वाले किसी भी वृक्ष को प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनकी जड़ मिट्टी में गहराई तक जाती है और बिना क्षति के इसे अलग करना संभव नहीं है। 
  • मृदा का प्रकार भी प्रत्यारोपण से पहले एक महत्त्वपूर्ण कारक है। दिल्ली रिज पर उगने वाला पेड़ यमुना बाढ़ के मैदान में मृदा के लिये अनुकूल नहीं होगा, क्योंकि पारिस्थितिकी तंत्र अलग है। 

आगे की राह 

  • पेड़ों के प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया की उत्पादकता और दक्षता में सुधार के लिये संबंधित प्राधिकारी द्वारा उचित दंड प्रक्रियाओं को अपनाया जाना चाहिये। 
    • BMC द्वारा अनुचित वृक्षारोपण करने वाले ठेकेदारों पर 5.1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। 
  • नागरिक प्राधिकरण को उचित वृक्ष प्रत्यारोपण के लिये एजेंसियों को अनुभवी बागवानों को नियुक्त करने का आदेश देना चाहिये। 
  • पेड़ों के अस्तित्व में सुधार हेतु बेहतर बुनियादी ढांँचे के लिये तकनीकी नवाचार प्राथमिक चिंता का विषय है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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