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टोबैको एंडगेम

  • 02 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तंबाकू, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी, डेनिकॉटाइजेशन, एनएफएचएस -5।

मेन्स के लिये:

तंबाकू - इसका प्रभाव और उन्मूलन उपाय।

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2025 तक धूम्रपान मुक्त होने की अपनी योजना को पूरा करने के लिये न्यूज़ीलैंड की संसद ने हाल ही में धूम्रपान मुक्त वातावरण और विनियमित उत्पाद (स्मोक्ड टोबैको) संशोधन विधेयक पेश किया है।

  • न्यूज़ीलैंड का अनुकरण करते हुए मलेशिया वर्ष 2007 के बाद पैदा हुए लोगों को धूम्रपान और ई-सिगरेट सहित सभी तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रहा है।

तंबाकू एंडगेम पर न्यूज़ीलैंड का विधेयक:

  • परिचय:
    • ‘टोबैको एंडगेम’ एक नीतिगत दृष्टिकोण को संदर्भित करता है जो 'तंबाकू मुक्त भविष्य' के उद्देश्य से तंबाकू से होने वाली बीमारी को समाप्त करने पर केंद्रित है।
    • विधेयक में धूम्रपान को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करने या इसे समाप्त करने के लिये तीन रणनीतियों की मांग की गई है।
    • यदि विधेयक को लागू किया जाता है तो यह दुनिया का पहला कानून होगा जो अगली पीढ़ी को कानूनी रूप से सिगरेट खरीदने से रोकेगा।
  • प्रस्तावित रणनीतियाँ:
    • तंबाकू में निकोटीन (जिसे "डिनिकोटिनाइज़ेशन" या "बहुत कम निकोटीन सिगरेट- VLNC” के रूप में जाना जाता है) की मात्रा को काफी कम कर देना ताकि नशे की लत न हो।
    • तंबाकू बेचने वाली दुकानों की संख्या में 90% से 95% की कमी।
    • 1 जनवरी, 2009 को या उसके बाद पैदा हुए लोगों को तंबाकू बेचना अवैध (इस प्रकार "धूम्रपान मुक्त पीढ़ी") बनाना।

तंबाकू सेवन की वर्तमान स्थिति:

  • वैश्विक:
    • तंबाकू महामारी दुनिया के अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है, जिसके कारण प्रति वर्ष 80 लाख से अधिक लोग मारे जाते हाते हैं (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार), जिसमें अप्रत्यक्ष तौर पर (सिगरेट के धुँए आदि कारणों से) प्रभावित 1.2 मिलियन मौतें शामिल हैं।
      • दुनिया भर में हर चार में से एक व्यक्ति तंबाकू का सेवन करता है।
    • तंबाकू के सभी रूप हानिकारक हैं, और तंबाकू के संपर्क में आने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है।
      • सिगरेट धूम्रपान दुनिया भर में तंबाकू के उपयोग का सबसे आम रूप है।
      • अन्य तंबाकू उत्पादों में वाटरपाइप तंबाकू, विभिन्न धुआँ रहित तंबाकू उत्पाद, सिगार, सिगारिलोस, रोल-योर-ओन तंबाकू, पाइप तंबाकू, बीड़ी और क्रेटेक्स शामिल हैं।
    • तंबाकू का उपयोग कई दीर्घकालिक बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक है, जिसमें कैंसर, फेफड़े की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक शामिल हैं।
  • भारत में स्थिति:
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (वर्ष 2019-21) के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक आयु के 38% पुरुष और 9% महिलाएँ तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं।
    • अनुसूचित जनजाति से संबंधित महिलाएँ (19%) और पुरुष (51%) में किसी भी अन्य जाति/जनजाति समूह के लोगों की तुलना में तंबाकू का सेवन करने की अधिक संभावना होती है।
    • पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं में, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (पुरुषों के लिये 43 प्रतिशत और महिलाओं के लिये 11 प्रतिशत) में तंबाकू सेवन अधिक होता है।
    • लगभग पाँच में से तीन पुरुष और 15% महिलाएँ बिना स्कूली शिक्षा या 5 साल से कम स्कूली शिक्षा के साथ तंबाकू का उपयोग करती हैं।
  • तंबाकू की खपत का सामाजिक-आर्थिक बोझ:
    • तंबाकू के उपयोग के कारण लोग घर के खर्च, भोजन और आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतों पर खर्च नहीं करतें हैं बल्कि तंबाकू पर खर्च करते हैं जिससे गरीबी में वृद्धि होती है।
    • तंबाकू के उपयोग की आर्थिक लागत पर्याप्त है और इसमें तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिये ज़रूरी स्वास्थ्य देखभाल लागत के साथ-साथ तंबाकू के कारण होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर के परिणामस्वरूप मानव पूंजी की हानि भी शामिल है।
    • यह भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है और हर साल लगभग 1.35 मिलियन मौतों का कारण है।
      • भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है। देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमतों पर उपलब्ध हैं।
      • तंबाकू के उपयोग के लिये ज़िम्मेदार कुल आर्थिक लागत (वर्ष 2017-18 में भारत में सभी बीमारियों से 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिये) 177,341 करोड़ रुपये थी।

उच्च तंबाकू खपत से निपटने हेतु उपाय:

  • वैश्विक पहल:
    • तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन:
      • इसे तंबाकू महामारी के वैश्विक रोकथाम के लिये विकसित किया गया था और यह एक साक्ष्य-आधारित संधि है जो सभी लोगों के स्वास्थ्य के उच्चतम स्तर के अधिकार की पुष्टि करती है।
      • भारत ने WHO FCTC के इस ढाँचे के तहत तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को अपनाया है।
    • विश्व तंबाकू निषेध दिवस:
      • तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता का विस्तार करने हेतु प्रत्येक वर्ष 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
  • भारत द्वारा की गई पहल:
    • सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003:
      • इसने 1975 के सिगरेट अधिनियम (उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन) को बदल दिया (बड़े पैमाने पर वैधानिक चेतावनियों तक सीमित- 'सिगरेट धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है' को सिगरेट पैक और विज्ञापनों पर प्रदर्शित किया जाता है। इसमें गैर-सिगरेट उत्पाद शामिल नहीं थे)।
      • वर्ष 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चेरूट (फिल्टर रहित बेलनाकार सिगार), पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटखा भी शामिल थे।
    • ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019:
      • यह ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन को प्रतिबंधित करता है।
    • नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज (NTQLS):
      • नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ बड़ी संख्या में तंबाकू उपयोगकर्ताओं तक पहुँच बनाने में सक्षम है, जिसका एकमात्र उद्देश्य टेलीफोन आधारित जानकारी, सलाह, समर्थन और तंबाकू छोड़ने के इच्छुक लोगों को परामर्श सेवाएँ प्रदान करना है।
    • एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम:
      • यह कार्यक्रम तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
      • भारत ने वर्ष 2016 में सरकार के डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में पाठ्य संदेशों (Text Messages) का उपयोग कर इस कार्यक्रम की शुरूआत की थी।

स्रोत:डाउन टू अर्थ

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