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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मरीन और तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना का मसौदा

  • 26 May 2017
  • 4 min read

संदर्भ
सरकार द्वारा  “मरीन और तटीय विनियमन क्षेत्र’ ( Marine and Coastal Regulation Zone) से संबंधित ड्राफ्ट तैयार  किया जा रहा है जिसकी अधिकांश अनुशंसाएँ तटीय नियमों पर शैलेश नायक समिति की रिपोर्ट पर आधारित हैं| इसका उद्देश्य देश के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में पारिस्थितिकी अनुकूल गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा इन क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को विनियमित करना है|

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ड्राफ्ट में वाणिज्यिक और मनोरंजन प्रयोजनों के लिये भूमि से प्रतिबंध हटाने के साथ-साथ पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील तटीय क्षेत्रों को पर्यटन के लिये खोलने का प्रावधान किया गया है| इन प्रतिबंधों के हटने से रियल एस्टेट और पर्यटन उद्योगों को लाभ मिलने की संभावना है|
  • उच्च ज्वार लाइन से तटीय विनियमन क्षेत्र’ (CRZ) को 500 मीटर तक सीमित किया गया है (पहले ‘हाई टाइड लाइन’ से  500 मीटर के बीच के क्षेत्र को  सी.आर.ज़ेड. माना जाता था)| सी.आर.ज़ेड.1 (पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र) में सड़कों और ईकोटूरिज्म  परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति दी गई है, जो पहले निषिद्ध थे|
  • उल्लेखनीय है कि इस ड्राफ्ट में 'नो डेवलपमेंट ज़ोन' को उच्च टाइड लाइन से केवल 50 मीटर की दूरी तक सीमित किया गया है जो पहले 200 मीटर तक था| इसके अतिरिक्त, "नो डेवलपमेंट ज़ोन" को "अस्थायी पर्यटन सुविधाओं" के रूप में विकसित किया जा सकता है जो पहले निषिद्ध था|

तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ)

  • सी.आर.ज़ेड.  को ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986’ के तहत  पर्यावरण और वन मंत्रालय (जिसका नाम अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर दिया गया है) द्वारा फरवरी-1991 में अधिसूचित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य देश के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में गतिविधियों को नियमित करना है|
  • तटीय क्षेत्र का हाई टाइड लाइन (HTL) से 500 मीटर तक का क्षेत्र तथा साथ ही खाड़ी, एस्चूरिज,  बैकवॉटर और नदियों के किनारों को सी.आर.ज़ेड. क्षेत्र माना गया है, लेकिन इसमें महासागर को शामिल नहीं किया गया है|
  • इसके अंतर्गत् तटीय क्षेत्रों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है- 
    1. सी.आर.ज़ेड. - 1: यह कम और उच्च ज्वार लाइन के बीच का  पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो तट के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है|
    2. सी.आर.ज़ेड. - 2: यह क्षेत्र तट के किनारे तक फैला हुआ होता है|
    3. सी.आर.ज़ेड. - 3: इसके अंतर्गत सी.आर.ज़ेड. 1 और 2 के बाहरी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र आते हैं। इस क्षेत्र में कृषि से संबंधित कुछ खास गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई है|
    4. सी.आर.ज़ेड. - 4: यह जलीय क्षेत्र में क्षेत्रीय सीमा (territorial limits) तक फैला हुआ है| इस क्षेत्र में मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों की अनुमति है।
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