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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

खाड़ी देशों में तनाव

  • 05 Jun 2017
  • 4 min read

संदर्भ
सऊदी अरब, बहरीन, यमन, मिस्र और सयुंक्त अरब अमीरात (UAE) ने कतर से सभी कूटनीतिक संबंधों को तोड़ दिया है। इन देशों ने कतर पर मुस्लिम ब्रदरहुड, अल-कायदा और आईएसआईएस (ISIS) जैसे आतंकी संघठनों के साथ रिश्ते रखने का आरोप लगाया है। इन देशों का कहना है कि कतर ईरान के साथ अपना तालमेल बढ़ा रहा है। इसी घोषणा के साथ ही लीबिया तथा मालदीव ने भी कतर से अपने रिश्ते तोड़ दिये हैं। खाड़ी देशों के इस संकट से वैश्विक स्तर पर कुछ नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • कतर लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वह दुनिया की एक-तिहाई एल.एन.जी. की मांग पूरी करता है। 
  • पाँचों देशों के फैसले के बाद कतर के राजनयिकों को 48 घंटे के भीतर ये देश छोड़ने होंगे। 
  • ध्यातव्य है कि इससे कतर में महँगाई बढ़ने की आशंका है। 
  • कतर के राजपरिवार पर ईरान से रिश्ता तोड़ने का दबाव बढ़ेगा। 
  • सऊदी अरब, बहरीन तथा यूईए ने कतर से वायु, भूमि तथा समुद्री संपर्क को हटा लिया है। 
  • मिस्र ने भी कहा है कि वह वायुमार्ग तथा जलमार्ग को कतर के लिये बंद करेगा। 
  • इससे कतर में मेडिकल ज़ोन, मेट्रो प्रोजेक्ट और फीफा वर्ल्ड कप के लिये बनने वाले लगभग 22 स्टेडियम प्रभावित होंगे। 
  • ऐसे में कतर की सबसे बड़ी समस्या खाद्य सुरक्षा की हो सकती है, क्योंकि अन्य खाड़ी देशों ने अपने बंदरगाह आदि का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिये हैं, जिससे कतर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बाधित होगी। उल्लेखनीय है कि कतर को 40% खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सऊदी द्वारा की जाती है। 

क्या होगा भारत पर असर?

  • इस तरह के तनाव से कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है तथा इसका सबसे बड़ा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारत सबसे ज़्यादा प्राकृतिक गैस का आयत कतर से ही करता है। 
  • खाड़ी देशों में सबसे ज़्यादा भारतीय कामगार काम करते हैं। कतर में यह संख्या लगभग पाँच लाख है। इन कामगारों के द्वारा बड़ी मात्र में विदेशी मुद्रा भारत को भेजी जाती है।  अत: इस तनाव से इस पर असर पड़ सकता है। 
  • इस तनाव से उभरी परिस्थिति में नए कूटनीतिक तालमेल बिठाने की ज़रूरत पड़ेगी। 
  • भारत-कतर व्यापारिक संबंधों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 
  • हालाँकि, भारत सरकार का कहना है कि इसका भारतीय हितों पर कोई ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा।  

गल्फ़ कोआँपरेशन काउंसिल (GCC)
खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) एक क्षेत्रीय अन्तर्राज्यीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है। इस संघ में इराक और कतर को छोड़कर फारस की खाड़ी के सभी देश शामिल हैं। इसके सदस्य देश हैं: बहरीन, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात। 25 मार्च, 1981 को खाड़ी सहयोग परिषद के चार्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद, औपचारिक रूप से GCC की स्थापना की गईं थी।

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