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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 30 लाख गैर-सरकारी संगठनों के ऑडिट का आदेश

  • 12 Jan 2017
  • 2 min read

सन्दर्भ

वार्षिक लेखा-जोखा न देने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सिर्फ काली सूची में डालने को अपर्याप्त बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ऐसे एनजीओ के खिलाफ दीवानी और आपराधिक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही, शीर्ष अदालत ने सरकार को देश भर के करीब 32 लाख गैर-संगठनों के खातों की ऑडिट करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, न्यायालय ने सरकार से ऑडिट रिपोर्ट पेश करने के लिये भी कहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

मुख्य न्यायमूर्ति जे.ए.स खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा सार्वजनिक कोष की अनियमितता में शामिल होने और वार्षिक लेखा-जोखा न देने वाले एनजीओ को सिर्फ काली सूची में डालना पर्याप्त नहीं है। पीठ ने सरकार को ऐसे एनजीओ के खिलाफ कोष की अनियमितता और रकम की वसूली की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

  • पीठ ने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों को मिलने वाला फंड वास्तव में आम लोगों का पैसा होता है, लिहाजा इसके दुरुपयोग की इजाज़त कतई नहीं दी जा सकती, अतः प्रत्येक एनजीओ को अपना वार्षिक लेखा-जोखा देना ज़रूरी है।
  • न्यायालय ने एनजीओ को मिलने वाले सरकारी फंड की निगरानी के लिये प्रभावी तंत्र न बनाने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है। गौरतलब है कि इस समय देश भर में करीब 33 लाख एनजीओ हैं, जिनमें से केवल तीन लाख एनजीओ ने ही अपना ऑडिटेड लेखा-जोखा सरकार के पास जमा किया है।
  • न्यायालय ने सरकार से यह भी कहा कि एनजीओ की मान्यता के लिये वह नियम बनाए तथा उनके एकाउंट्स आदि का प्रबंधन करने के लिये दिशानिर्देश तय करे और न्यायालय को इसकी जानकारी दे।
  • गौरतलब है कि एनजीओ के ऑडिट की निगरानी के लिये देश में अभी तक किसी भी तंत्र का गठन नहीं किया गया है।
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