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भारतीय राजनीति

जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण

  • 21 Nov 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उप-वर्गीकरण, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC), अनुसूचित जनजाति

मेन्स के लिये:

जातियों का उप-वर्गीकरण, सुभेद्य वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने अनुसूचित जाति (SC) के अंतर्गत आने वाले सबसे पिछड़े समुदायों की पहचान तथा उनकी सहायता करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, इसने अनुसूचित जाति (SC) के भीतर उप-वर्गीकरण के मुद्दे को चर्चा में ला दिया है।

  • इस निर्णय के परिणामस्वरूप उप-वर्गीकरण की वैधता, चुनौतियों तथा संभावित प्रभाव पर चर्चा शुरू हो गई है।

जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण क्या है?

  • परिचय:
    • जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण आरक्षण तथा सकारात्मक कार्रवाई के लिये अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की मौजूदा श्रेणियों के भीतर उप-समूह बनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
    • उप-वर्गीकरण का उद्देश्य अंतर-श्रेणी असमानताओं का समाधान करना तथा समाज के सबसे वंचित एवं हाशिये पर रहने वाले वर्गों के बीच लाभ व अवसरों का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है।
  • उप-वर्गीकरण की वैधता:
    • ऐतिहासिक प्रयास:
      • सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचे इस मामले में कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे पंजाब, बिहार तथा तमिलनाडु जैसे राज्यों ने उप-वर्गीकरण का प्रयास किया है।
    • संवैधानिक दुविधा: 
      • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य, 2004 के मामले में कहा कि केवल संसद के पास SC तथा अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूची बनाने एवं अधिसूचित करने का अधिकार है।
      • हालाँकि पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह एवं अन्य, 2020 के एक अन्य मामले में पाँच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्य पहले से ही अधिसूचित SC/ST की सूचियों में "छेड़छाड़" किये बिना लाभ की मात्रा पर निर्णय ले सकते हैं। 
        • वर्ष 2004 और 2020 के फैसलों के बीच विरोधाभास के कारण वर्ष 2020 के फैसले को बड़ी बेंच को भेजा गया है।
      • संविधान के अनुच्छेद 16(4) में यह अधिकार दिया गया है कि राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये पदोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिये कोई प्रावधान कर सकता है, यदि वे राज्य के तहत सेवाओं में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों है?

  • व्यवसाय, शिक्षा, आय, सामाजिक स्थिति और क्षेत्रीय विविधता जैसे कारकों के आधार पर SC, ST और OBC श्रेणियों के भीतर एक महत्त्वपूर्ण भिन्नता और विविधता है।
    • SC, ST और OBC श्रेणियों के भीतर कुछ प्रमुख एवं प्रभावशाली उप-समूहों के अनुपातहीन तथा विषम प्रतिनिधित्व के प्रमाण हैं, जिन्होंने कमज़ोर तथा अधिक पिछड़े उप-समूहों को पीछे छोड़ते हुए आरक्षण के लाभ के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है।
  • SC, ST और OBC श्रेणियों के भीतर विभिन्न उप-समूहों, जैसे कि तेलंगाना में मडिगा, बिहार में पासवान और उत्तर प्रदेश में जाटव द्वारा निष्पक्ष तथा पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये उप-वर्गीकरण एवं अलग कोटे की मांग की जा रही है। 

जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • SC, ST और OBC श्रेणियों के भीतर विभिन्न उप-समूहों की जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विश्वसनीय तथा अद्यतन डेटा की कमी है, जो उप-वर्गीकरण के उद्देश्य एवं वैज्ञानिक आधार को बाधित करता है।
  • SC, ST और OBC श्रेणियों के भीतर प्रमुख एवं प्रभावशाली उप-समूहों से कानूनी तथा राजनीतिक प्रतिक्रिया की संभावना है, जो उप-वर्गीकरण व आरक्षण लाभ के अपने हिस्से में कमी का विरोध कर सकते हैं।
  • SC, ST व OBC श्रेणियों के भीतर और अधिक विखंडन तथा विभाजन का खतरा है, जो उनकी सामूहिक पहचान एवं एकजुटता को कमज़ोर कर सकता है, साथ ही उनके राजनीतिक, सामाजिक सशक्तीकरण को कमज़ोर कर सकता है।

आगे की राह 

  • SC, ST और OBC के भीतर उप-समूहों की जनसंख्या एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर एक व्यवस्थित एवं अद्यतन डेटा संग्रह प्रक्रिया सुनिश्चित करना।
    • साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिये एक ठोस आधार प्रदान करने हेतु संपूर्ण जाति जनगणना आयोजित करना ।
  • सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता के व्यापक लक्ष्यों के साथ जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण को संतुलित करने एवं यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उप-वर्गीकरण समानता तथा  गैर-भेदभाव के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता हो।
  • सामाजिक न्याय और लाभों के समान वितरण को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर ज़ोर देते हुए उप-वर्गीकरण के पीछे के तर्क को स्पष्ट करने हेतु संचार रणनीतियाँ विकसित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रश्न. भारत के निम्नलिखित संगठनों/निकायों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग 
  3. राष्ट्रीय विधि आयोग 
  4. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

उपर्युक्त में से कितने सांविधानिक निकाय हैं? 

(a) केवल एक 
(b) केवल दो 
(c) केवल तीन 
(d) सभी चार 

उत्तर: (a)

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