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सामाजिक न्याय

विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट: UNFPA

  • 21 Apr 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

UNFPA, प्रजनन दर, जनसांख्यिकीय लाभांश, सतत् विकास लक्ष्य, ECOSOC

मेन्स के लिये:

विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत वर्ष 2023 के मध्य तक विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा और भारत की जनसंख्या चीन से भी अधिक हो जाएगी।

  • विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट प्रतिवर्ष प्रकाशित होती है जो विश्व जनसंख्या और जनसांख्यिकी में विकासात्मक प्रवृत्तियों को शामिल करती है एवं उनका विश्लेषण करती है, साथ ही विशिष्ट क्षेत्रों, देशों और जनसंख्या समूहों तथा उनके समक्ष आने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर प्रकाश डालती है। 

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ: 

  • जनसंख्या अनुमान: 
    • जुलाई 2023 तक चीन की 142.57 करोड़ जनसंख्या की तुलना में भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।  
      • भारत की 25% जनसंख्या 0-14 वर्ष आयु वर्ग में, 18% जनसंख्या 10-19 वर्ष आयु वर्ग में, 26% जनसंख्या 10-24 वर्ष आयु वर्ग में, 68% जनसंख्या 15-64 वर्ष आयु वर्ग में और 7% जनसंख्या 65 वर्ष से ऊपर की आयु की है।  
    • अपने एशियाई पड़ोसी देश की तुलना में भारत में 29 लाख अधिक लोग होंगे। 
      • संयुक्त राज्य अमेरिका तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जिसकी जनसंख्या 340 मिलियन है। 
  • धीमी जनसंख्या वृद्धि :
    • अनुमानित वैश्विक आबादी के एक\-तिहाई से अधिक होने के बावजूद भारत और चीन दोनों में जनसंख्या वृद्धि धीमी रही है।  

  • प्रजनन दर:
    • भारत की कुल प्रजनन दर 2 आँकी गई थी, जो विश्व औसत 2.3 से कम है।
    • विकसित क्षेत्रों में प्रजनन दर 1.5, कम विकसित क्षेत्रों में 2.4 और कम विकसित देशों में 3.9 होने का अनुमान है।
  • जीवन प्रत्याशा:
    • एक भारतीय पुरुष की औसत जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष और महिलाओं की 74 वर्ष अनुमानित है।
    • वैश्विक स्तर पर औसतन पुरुषों के लिये जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष  तथा महिलाओं के लिये 76 वर्ष होने का अनुमान है।
    • विकसित क्षेत्रों हेतु पुरुषों के लिये औसत जीवन प्रत्याशा 77 वर्ष  और महिलाओं के लिये 83 वर्ष अनुमानित की गई थी, जो कि सबसे अधिक है
    • कम विकसित क्षेत्रों के लिये पुरुषों हेतु 70 वर्ष  और महिलाओं के लिये 74 वर्ष  है, जबकि कम विकसित देशों में यह पुरुषों के लिये 63 वर्ष  और महिलाओं हेतु 68 वर्ष अनुमानित  है।
  • लैंगिक अधिकार: 
    • विगत 12 महीनों में 18% महिलाओं द्वारा अंतरंग साथी द्वारा हिंसा की सूचना दी गई थी, जबकि 66% महिलाओं ने भारत में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा प्रजनन अधिकारों पर स्वयं निर्णय लिया था। 
    • 80% से अधिक महिलाओं के पास अपने स्वयं के स्वास्थ्य सेवा के बारे में निर्णय लेने में कुछ सहयोग था।  
  •  जनसंख्या वृद्धि संकेंद्रण:
    • वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक आठ देशों - कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और संयुक्त गणराज्य तंज़ानिया में संकेंद्रण होगा।

अनुशंसाएँ: 

  • भारत के पास  25 वर्ष से कम आयु की लगभग आधी आबादी के साथ जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभान्वित होने का एक समयबद्ध अवसर है। हालाँकि मुख्य लक्ष्य महिलाओं को अधिक अधिकार देना है ताकि वे परिवार नियोजन में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकें।
  • स्थायी भविष्य का निर्धारण करने में सबसे महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक लैंगिक समानता है, जो  महिला सशक्तीकरण तथा लड़कियों और महिलाओं हेतु अधिक शारीरिक स्वायत्तता सुनिश्चित करेगी।
  • उच्च जनसंख्या के बावजूद संपन्न और समावेशी समुदायों का निर्माण किया जा सकता है यदि राष्ट्र मौलिक रूप से परिवर्तन करने के इच्छुक हैं जो इस बात पर निर्भर करेगा कि वे जनसंख्या परिवर्तन को लेकर किस प्रकार को दृष्टिकोण रखते हैं एवं तैयारी करते हैं।
  • उच्च प्रजनन क्षमता वाले देशों को शिक्षा और परिवार नियोजन के माध्यम से सशक्तीकरण, आर्थिक विकास एवं मानव पूंजी विकास के रूप में भारी लाभांश प्राप्त करने हेतु जाना जाता है।
  • सभी सरकारों को मानवाधिकारों को बनाए रखना चाहिये, पेंशन और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मज़बूत करना चाहिये, सक्रिय एवं स्वस्थ उम्र को बढ़ावा देना चाहिये, प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिये, साथ ही जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों को कम करना चाहिये।

भारत हेतु अवसर और चुनौतियाँ: 

  • अवसर:
    • जनसांख्यिकीय लाभांश:  
      • भारत की जनसंख्या एक बड़े कार्यबल के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, जो आर्थिक विकास को चलाने में मदद कर सकती है।
      • भारत की 68% आबादी 15 से 64 वर्ष आयु वर्ग की है, जो कामकाज़ी या काम करने में सक्षम आबादी में महत्त्वपूर्ण योगदान करती है।
      • यह निश्चित रूप से एक जनसांख्यिकीय लाभांश है जब दुनिया के बहुत सारे उन्नत देश अपनी जनसंख्या के वृद्ध होने की चुनौती का सामना कर रहे हैं क्योंकि इसकी वजह से कार्यशील लोगों की संख्या कम हो जाती है।
    • व्यवसायों और नवाचार को आकर्षित करने में मदद:  
      • बड़ी आबादी के साथ भारत एक विशाल और विकसित होते उपभोक्ता बाज़ार का प्रतिनिधित्त्व करता है जिसमें निवेश को आकर्षित करने और घरेलू उत्पादन में वृद्धि करने की क्षमता है।
      • विनिर्माण कार्य के लिये चीन की तुलना में अब भारत पश्चिमी देशों से बड़े व्यवसायों को आकर्षित करने के लिये अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठा सकता है।
      • विशाल और विविधतापूर्ण आबादी नवाचार का स्रोत व केंद्र दोनों हो सकती है, क्योंकि यह विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों को एक एकजुट करती है।
    • सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता: 
      • बढ़ती जनसंख्या के साथ भारत को संभवतः वैश्विक मंच पर अधिक शक्ति और प्रभाव का दावा करने में मदद मिल सकती है।
      • भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य होने का दावा कर सकता है। 
    • ग्लोबल साउथ का नेतृत्त्वकर्त्ता: 
      • सबसे अधिक आबादी वाले देश का दर्जा भारत को ग्लोबल साउथ में नेतृत्त्व का दावा करने में भी मदद करेगा जिसके लिये वह वर्ष 2022 में G20 की अध्यक्षता के बाद से प्रयासरत है।
  • कमियाँ: 
    • बेरोज़गारी और सामाजिक समस्याएँ:
      • उदाहरण के लिये सिविल सेवा क्षेत्र में मात्र 700 पदों के लिये लगभग 6.5 लाख उम्मीदवार प्रतिस्पर्द्धा करते हैं, जबकि रेलवे में कुछ सौ निम्न-श्रेणी की नौकरियों के लिये हज़ारों युवा प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
        • उच्च बेरोज़गारी के रूप में भारत की युवा आबादी एक बड़ी समस्या का सामना कर रही है, जो आवश्यक रोज़गार के अवसरों की कमी के कारण और भी बदतर हो गई है।
    • बेरोज़गारी न केवल आर्थिक तनाव की ओर ले जाती है बल्कि सामाजिक समस्याओं में भी वृद्धि करती है, खासकर तब जब कामकाज़ी उम्र की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उपयुक्त रोज़गार पाने में असमर्थ होता है। 
    • गरीब श्रम बल की भागीदारी: 
      • भारत की विशाल जनसंख्या विशेष रूप से महिलाओं की श्रम बल भागीदारी में कमी है।
      • वर्ष 2021 में भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 19% थी, जो विश्व औसत 25.1% से कम है और लंबे समय से इसमें गिरावट देखी जा रही है है।
        • भारत के प्रधानमंत्री का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 50% महिला कार्यबल सुनिश्चित करना है। 
    • गरीबी:  
      • भारत की आबादी में गरीबी में रहने वाले लोगों की एक महत्त्वपूर्ण संख्या शामिल है, जो असमानता, अपराध और सामाजिक अशांति जैसे मुद्दों को बढ़ा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA): 

  • परिचय: 
  • स्थापना: 
    • इसे वर्ष 1967 में ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित किया गया था, इसका परिचालन वर्ष 1969 में शुरू हुआ।
    • इसे वर्ष 1987 में आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नाम दिया गया, लेकिन इसका संक्षिप्त नाम UNFPA (जनसंख्या गतिविधियों के लिये संयुक्त राष्ट्र कोष) को भी बरकरार रखा गया।
  • उद्देश्य: 
    • UNFPA स्वास्थ्य (SDG3), शिक्षा (SDG4) और लैंगिक समानता (SDG5) पर सतत् विकास लक्ष्यों से निपटने के लिये सीधे काम करता है।
  • निधि: 
    • UNFPA को संयुक्त राष्ट्र के बजट का समर्थन प्राप्त नहीं है, इसके बजाय यह पूरी तरह से दाता सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र, फाउंडेशन और व्यक्तियों के स्वैच्छिक योगदान द्वारा समर्थित है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. किसी भी देश के संदर्भ में निम्नलिखित में से किसे उस देश की सामाजिक पूंजी (सोशल कैपिटल) के भाग के रूप समझा जाएगा? (2019) 

(a) जनसंख्या में साक्षरों का अनुपात
(b) इसके भवनों, अन्य आधारित संरचना और मशीनों का स्टॉक
(c) कार्यशील आयु समूह में जनसंख्या का आकार 
(d) समाज में आपसी भरोसे और सामंजस्य का स्तर

उत्तर: (d) 

प्रश्न. भारत को "जनसांख्यिकीय लाभांश" वाला देश माना जाता है। इसकी वजह है (2011) 

(a) इसकी 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में उच्च जनसंख्या
(b) इसकी 15-64 वर्ष के आयु वर्ग की उच्च जनसंख्या
(c) इसकी 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की उच्च जनसंख्या
(d) इसकी कुल उच्च जनसंख्या 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिये। (2021) 

प्रश्न. ''महिला सशक्तीकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।'' चर्चा कीजिये। (2019) 

प्रश्न. समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या बढ़ती हुई जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (2015) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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