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भारतीय समाज

भारत की जनसांख्यिकीय क्षमता का उपयोग

  • 26 Dec 2022
  • 12 min read

यह एडिटोरियल 24/12/2022 ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित “View: India’s demographic dividend is for real, but it needs to be discounted heavily” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश और इस संबंध में अन्य देशों की तुलना में भारत की लाभ की स्थिति के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

भारत ने वर्ष 2005-06 में जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) की अवसर खिड़की में प्रवेश कर लिया था और वर्ष 2055-56 तक यह वहाँ बना रहेगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश वर्ष 2041 के आसपास अपने चरम पर होगा, जब कामकाजी आयु (20-59 वर्ष) की आबादी की हिस्सेदारी 59% तक पहुँचने का अनुमान है। यह भारत के आर्थिक विकास के लिये वृहत संभावनाओं के द्वार खोलता है।

  • लेकिन इन संभावनाओं का अनिवार्य अर्थ यह नहीं है कि भारत स्वतः इन्हें साकार कर लेगा। यह एक ऐसा अवसर है जिसका दोहन तभी किया जा सकता है जब परिस्थितियाँ अनुकूल हों या अनुकूल स्थितियों का सृजन किया जाए। इन अनुकूल स्थितियों में शामिल हैं—एक स्वस्थ आबादी (विशेष रूप से स्वस्थ महिलाएँ एवं बच्चे), शिक्षित युवा आबादी (विशेष रूप से शिक्षित बालिकाएँ), एक कुशल कार्यबल, एक उच्च प्रदर्शन करती अर्थव्यवस्था (जो आवश्यक उच्च गुणवत्तायुक्त नौकरियों का सृजन कर रही हो) और लाभकारी रोज़गार में लोगों की संलग्नता।
  • यह भारत के लिये अपनी आबादी की जनसांख्यिकीय क्षमता का दोहन करने और वास्तविक आर्थिक विकास हासिल करने के लिये पर्यावरण को सक्षम बनाने की ओर आगे बढ़ने का समय है।

भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का क्या महत्त्व है?

  • धारणा यह है कि एक बड़ी युवा आबादी का अर्थ है अधिक मानव पूंजी, अधिक आर्थिक विकास और बेहतर जीवन स्तर।
    • कामकाजी आयु के लोगों की उच्च आबादी और कम आश्रित आबादी के कारण बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधियों से बेहतर आर्थिक विकास की स्थिति बनती है।
  • पिछले सात दशकों में कामकाजी आयु की आबादी की हिस्सेदारी 50% से बढ़कर 65% हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप निर्भरता अनुपात (कामकाजी आयु आबादी में बच्चों और वृद्ध जनों की संख्या) में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
  • अगले 25 वर्षों में प्रत्येक पाँच कामकाजी आयु वर्ग के व्यक्तियों में से एक भारत में रह रहा होगा।

भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ

  • महिला श्रम बल भागीदारी का निम्न स्तर: भारत की श्रम शक्ति कार्यबल में महिलाओं की अनुपस्थिति की बाधा से ग्रस्त है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, 2018-19 के अनुसार भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में 26.4% और शहरी क्षेत्रों में 20.4% तक के निम्न स्तर पर है।
  • उच्च ‘ड्रॉपआउट’ दर: जबकि भारत के 95% से अधिक बच्चे प्राथमिक स्कूल में नामांकित होते हैं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) पुष्टि करते हैं कि सरकारी स्कूलों में बदतर बुनियादी ढाँचे, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी और बाल कुपोषण ने बदतर ‘लर्निंग आउटकम’ और ड्रॉपआउट अनुपात में वृद्धि जैसे परिणाम दिये हैं।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश खिड़की में असमानता: भारतीय जनसंख्या की विषमता के कारण विभिन्न राज्यों में जनसांख्यिकीय लाभांश की खिड़की अलग-अलग है। केरल की आबादी पहले ही वृद्ध हो रही है, जबकि बिहार के कार्यबल में वर्ष 2051 तक वृद्धि होने का अनुमान है।
    • वर्ष 2031 तक 22 प्रमुख राज्यों में से 11 में कामकाजी आयु वर्ग की आबादी कम होगी।
  • रोज़गारहीन विकास: विऔद्योगीकरण (Deindustrialization), वि-वैश्वीकरण (Deglobalization) और चतुर्थ औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution 4.0) के आलोक में इस बात की चिंता बढ़ रही है कि भविष्य का विकास रोज़गारहीनता के साथ घटित होगा।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2019 कामकाजी आयु आबादी में अनुमानित वार्षिक वृद्धि और उपलब्ध नौकरियों की संख्या के बीच के अंतराल को उजागर करता है।
    • भारत में अर्थव्यवस्था की अनौपचारिक प्रकृति भारत में जनसांख्यिकीय संक्रमण के लाभों को प्राप्त करने के मार्ग में एक और बाधा है।

आगे की राह

  • शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाना: ग्रामीण और शहरी दोनों परिवेशों में, सार्वजनिक स्कूल प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि प्रत्येक बच्चा हाई स्कूल तक की शिक्षा पूरी करे और कौशल, प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक शिक्षा की ओर आगे बढ़े।
    • मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (MOOCS) के कार्यान्वयन के साथ-साथ स्कूल पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण और ओपन डिजिटल विश्वविद्यालयों की स्थापना भारत में योग्य कार्यबल के सृजन में आगे और योगदान कर सकेगी।
  • स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना: स्वास्थ्य के लिये सरकार के परिव्यय में वृद्धि के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों पर आधारित स्वास्थ्य सुविधाओं का उन्नयन करने तथा अधिकार-आधारित प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच प्रदान करने की आवश्यकता है।
    • इस बात को भी चिह्नित किया जाना चाहिये कि लोगों का स्वास्थ्य पशुओं के स्वास्थ्य और हमारे साझा पर्यावरण से निकटता से संबद्ध है, इसलिये भारत को अपने लोकतांत्रिक लाभांश को यथासंभव पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकने के लिये ‘वन हेल्थ’ (One Health) के दृष्टिकोण का अनुपालन करना चाहिये।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश: अनुसंधान एवं विकास के विस्तार और क्वांटम प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि क्षेत्रों के स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने से भारत को अपने हित में उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने और भारतीय युवाओं को वैश्विक ‘रोल मॉडल’ के रूप में उभारने हेतु अनुभव एवं कौशल प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
  • जनसांख्यिकीय शासन के लिये संघीय दृष्टिकोण: प्रवासन, आबादी की बढ़ती आयु एवं शहरीकरण जैसे उभरते जनसंख्या संबंधी मुद्दों पर राज्यों के बीच नीति समन्वयन हेतु एक नए संघीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये शासन सुधारों के विषय को संबोधित कर सके।
    • शासन संबंधी इस व्यवस्था का एक प्रमुख तत्व रणनीतिक योजना, निवेश, निगरानी और पाठ्यक्रम सुधार जैसे विषयों अंतर-मंत्रालयी समन्वयन होना चाहिये।
  • ‘जेंडर बजटिंग’ (Gender Budgeting): लैंगिक असमानताओं की स्थिति में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिलाओं की पुरुषों के समान सामाजिक-आर्थिक स्थिति तक पहुँच हो। लैंगिक रूप से उत्तरदायी बजट और नीतियाँ (Gender Responsive Budgets and Policies) लैंगिक समानता, मानव विकास और आर्थिक दक्षता के लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान कर सकती हैं।

अभ्यास प्रश्न: भारत के लिये अपने जनसांख्यिकीय लाभांश से अधिकतम लाभ उठा सकने के मार्ग की प्रमुख बाधाओं की चर्चा कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा:

Q1. किसी भी देश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किसे उसकी सामाजिक पूंजी का हिस्सा माना जाएगा?  (वर्ष 2019)

 (A) जनसंख्या में साक्षरों का अनुपात
 (B) इसकी इमारतों, अन्य बुनियादी ढाँचे और मशीनों का स्टॉक
 (C) कामकाजी आयु वर्ग में जनसंख्या का आकार
 (D) समाज में आपसी विश्वास और सद्भाव का स्तर

उत्तर: (D)


Q2. भारत को "जनसांख्यिकीय लाभांश" वाला देश माना जाता है।  यह किसके के कारण है?  (वर्ष 2011)

 (A 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में देश की उच्च जनसंख्या
 (B) 15-64 वर्ष के आयु वर्ग में देश की उच्च जनसंख्या
 (C) 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में देश की उच्च जनसंख्या
 (D) इसकी कुल जनसंख्या का अत्यधिक होना

उत्तर: (B)


मुख्य परीक्षा

Q1. जनसंख्या से जुड़ी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिये तथा भारत में उन्हें प्राप्त करने के उपायों का विस्तार से उल्लेख कीजिये। (वर्ष 2021)

 Q2. ''महिलाओं को सशक्त बनाना जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।'' चर्चा कीजिये।  (वर्ष 2019)

 Q3. समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये कि क्या बढ़ती जनसंख्या गरीबी का कारण है या गरीबी भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है। (वर्ष 2015)

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