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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

श्रीलंका ऋण संकट

  • 20 May 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये 

‘मित्र शक्ति’, ‘स्लिनेक्स’

मेन्स के लिये 

भारत-श्रीलंका संबंध, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता  

चर्चा में क्यों?

श्रीलंका अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के माध्यम से COVID-19 महामारी से जूझते हुए चीन द्वारा दिये गए ऋण को पूरा करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें से 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि का भुगतान इसी वर्ष किया जाना है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • श्रीलंका में COVID-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य तंत्र पर बढ़े दबाव के साथ ही देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट देखने को मिली है।
  • श्रीलंका की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से निर्यात, पर्यटन और प्रवासी कामगारों द्वारा प्रेषित धन पर आधारित है।
  • हाल ही में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मज़बूती प्रदान करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा हस्तांतरण का प्रस्ताव किया था।
  • श्रीलंका ने इससे पहले भी RBI से मुद्रा हस्तांतरण किया है परंतु इस वर्ष श्रीलंका को अपने ऋण को चुकाने के लिये विदेशी मुद्रा भंडार से बड़ी धनराशि खर्च करनी होगी, जो वर्ष 2019 में देश की जीडीपी का लगभग 42.6% है।

श्रीलंका ऋण संकट: 

  • COVID-19 महामारी से पहले ही श्रीलंका का बढ़ता ऋण देश के लिये एक बड़ी चुनौती बन गया था, इस महामारी से पहले ही श्रीलंका ने चीन और भारत से ऋण भुगतान पर अस्थायी स्थगन (Moratorium) की अपील की थी।
  • श्रीलंका के पास वर्तमान में भारत का लगभग 960 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण बकाया है जबकि वर्ष 2018 तक श्रीलंका द्वारा चीन से लिया गया ऋण 5 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, श्रीलंका का ऋण संकट मूल रूप से चीन से ही संबंधित नहीं है बल्कि श्रीलंका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से लिया गया भारी ऋण भी देश के लिये एक बड़ी समस्या है।
  • वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार, श्रीलंका द्वारा वित्तीय बाज़ार से लिया गया ऋण बहुपक्षीय करदाताओं {विश्व बैंक, अंतर्राराष्ट्रीय मुद्रा कोष’ (International Monetary Fund-IMF) आदि} और द्विपक्षीय करदाताओं (चीन, जापान और भारत जैसे देश) से प्राप्त ऋण से बहुत अधिक था। 
  • विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीस और अर्जेंटीना जैसे देशों की तुलना में श्रीलंका की आर्थिक स्थिति अभी ठीक है क्योंकि यह अपने मुद्रा भंडार, स्थानीय ऋण और नई मुद्रा छाप कर अपने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्त्वों को पूरा करने में सफल रहा है।
  • हालाँकि श्रीलंका द्वारा संप्रभु बॉण्ड (Sovereign Bond) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से लिया गया ऋण एक बड़ी चिंता का विषय है।  
    • श्रीलंका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संप्रभु बॉण्ड के माध्यम से लिये गए 1 बिलियन डॉलर के ऋण की अवधि अक्तूबर माह में पूरी हो जाएगी जो श्रीलंका के संकट को बढ़ा सकता है।

श्रीलंका द्वारा ऋण संकट से उबरने के प्रयास:

  • हाल ही में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के आर्थिक दबाव को स्वीकार करते हुए यह प्रस्ताव रखा कि इस संकट की स्थिति में ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ यानी सार्क को लंदन क्लब (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में निजी करदाताओं का एक अनौपचारिक समूह) से बातचीत कर समाधान का प्रयास करना चाहिये।
  • श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के अनुसार, वर्तमान ऋण के भुगतान के लिये कुछ दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंध किये गए हैं, इन प्रयासों के माध्यम से श्रीलंका को मार्च 2020 में 500 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे और जल्दी ही 300 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त सहयोग प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • श्रीलंका के केंद्रीय बैंक द्वारा RBI के अलावा अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों के साथ भी मुद्रा हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के अंतिम चरण में है, साथ ही IMF और अन्य अंतर्राष्ट्रीय करदाताओं के साथ समझौते के प्रयास किये जा रहे हैं।

भारत और श्रीलंका:   

  •  ऐतिहासिक रूप से भारत और श्रीलंका के बीच सकारात्मक संबंध रहे हैं और भारत ने पूर्व में कई अन्य मौकों पर श्रीलंका को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई है।
  • वर्ष 2000 की मुक्त व्यापार संधि के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है।     
  • इस दौरान श्रीलंका को होने वाला भारतीय निर्यात 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2001) से बढ़कर 4495 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2018) तक पहुँच गया।
  • हाल के वर्षों में रक्षा के क्षेत्र में भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’ और नौसैनिक अभ्यास ‘स्लिनेक्स’ (SLINEX) का आयोजन किया जाता है। साथ ही श्रीलंका की सेना के 60% से अधिक सदस्य अपने ‘यंग ऑफिसर्स कोर्स’ (Young Officers’ Course), जूनियर और सीनियर कमांड कोर्स का प्रशिक्षण भारत से प्राप्त करते हैं। 
  • हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता की दृष्टि से भी भारत-श्रीलंका संबंधों का मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है।    
  • हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में बढ़ते चीनी निवेश और वर्ष 2019 में भारत द्वारा ‘मताला एयरपोर्ट’ संचालन के प्रस्ताव के रद्द होने से कुछ चिंताएँ बढ़ी हैं।

आगे की राह:    

  • हाल ही में विश्व बैंक और IMF द्वारा जारी अनुमानों के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में 3% की गिरावट आने की संभावना है, अतः विदेशी ऋण को पूरा करने के साथ ही श्रीलंका सरकार को स्थानीय ज़रूरतों पर भी ध्यान देना होगा।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में देश के ऋण में वृद्धि के साथ ही सरकार की आर्थिक नीतियों पर प्रश्न उठने लगे हैं, ऐसे में वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के साथ ही अब समय है कि सरकार अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ मूलभूत बदलाव लाए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा कृषि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता भारत के लिये एक चिंता का विषय है साथ ही हाल के वर्षों में श्रीलंका की राजनीतिक अस्थिरता से भारत-श्रीलंका संबंधों में कुछ अनिश्चितताएँ दिखने लगी हैं , अतः भारत द्वारा श्रीलंका के वर्तमान आर्थिक संकट में संभावित सहायता के साथ ही दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती के लिये समन्वय और अन्य प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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