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भारतीय अर्थव्यवस्था

सिक्किम शुरू करेगा यूनिवर्सल बेसिक इनकम

  • 11 Jan 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में सिक्किम सरकार ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income-UBI) को कार्यान्वित करने का प्रस्ताव रखा है। यदि सिक्किम सरकार ऐसा करने में सफल हो जाती है तो सिक्किम यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।

क्या है UBI?

  • UBI एक न्यूनतम आधारभूत आय की गारंटी है, जो प्रत्येक नागरिक को बिना किसी न्यूनतम अर्हता के आजीविका के लिये हर माह सरकार द्वारा दी जाएगी।
  • यह बिना किसी शर्त के सभी को प्राप्त होने वाला अधिकार है तथा इसके लिये व्यक्ति को केवल भारत का नागरिक होना ज़रूरी होगा।
  • यह व्यक्ति को किसी अन्य स्रोत से हो रही आय के अलावा प्राप्त होगी।

पृष्ठभूमि

  • भारत में यह अवधारणा चर्चा में इसलिये रही क्योंकि वर्ष 2016-17 के भारत के आर्थिक सर्वेक्षण में UBI को एक अध्याय के रूप में शमिल कर इसके विविध पक्षों पर चर्चा की गई है।

और कहाँ लागू है UBI?

  • हाल ही में UBI की अवधारणा को लागू करने के संदर्भ में स्विट्जरलैंड पहला ऐसा देश है, जिसने पिछले साल इस पर जनमत संग्रह किया। परन्तु UBI के वित्तीय प्रभाव और इसकी वज़ह से लोगों में काम करने की प्रेरणा के खत्म होने की आशंका से स्विट्जरलैंड की जनता ने इसे खारिज कर दिया।
  • वर्तमान में फिनलैंड ने UBI को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है, जिसके तहत बहुत थोड़े से लोगों को हर महीने 595 डॉलर के बराबर की राशि दी जाएगी।

यूबीआई के पक्ष में तर्क

  • प्रत्येक व्यक्ति को एक न्यूनतम आय की गांरटी प्रदान करने का यह विचार, निश्चित तौर पर संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए गए गरिमामय जीवन जीने के अधिकार को वास्तविकता प्रदान करेगा।
  • सरकार द्वारा नियत राशि दिये जाने से गरीबी और गरीबी के कगार पर खडे़ लोग उपभोग के एक निश्चित स्तर को प्राप्त कर सकेंगे और इस तरह वे अपनी आर्थिक दशा सुधारने में सक्षम हो सकेंगे।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में जहाँ असंगठित क्षेत्र में 90% कामगार हों, बहुत से लोग निःशक्त व भिक्षावृत्ति से जुडे़ हों, देश के कई भागों में लोग हर वर्ष प्राकृतिक आपदा से त्रस्त हों एवं विभिन्न प्रकार की अनियोजित विकासात्मक गतिविधि के कारण पलायन को मजबूर हों, उन्हें इस अवधारणा के क्रियान्वयन से आर्थिक असुरक्षा के भय से मुक्ति मिलेगी।
  • कल्याणकारी व्यय के उपयोग की ज़िम्मेदारी अब नागरिकों पर भी होगी एवं लेटलतीफी, अफसरशाही, लाभों के मनमाने वितरण आदि की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

यूबीआई के संभावित लाभ

  • यूबीआई का सबसे बड़ा लाभ है इसका यूनिवर्सल या सर्वजनीन होना, अर्थात् किसी वर्ग विशेष को या किसी जरूरतमंद वर्ग समूह को अलग से चिह्नित या लक्षित न करके सभी को एक न्यूनतम धनराशि उपलब्ध कराना।
  • साथ ही मौसमी व प्रच्छन्न बेरोज़गारी, आपदा, रोगावस्था, निःशक्तता एवं नियोक्ता द्वारा शोषण की अवस्था में व्यक्ति रोज़गार के अभाव में भी अपना जीवनयापन कर सकेगा।
  • प्रणाली क्षरण (system leakage) की समस्या कम होगी एवं जैम प्रणाली (जनधन, आधार, मोबाइल) के उपयोग से लाभार्थी तक सीधे पहुँचा जा सकेगा।
  • धन के आवंटन, निगरानी व भ्रष्टाचार पर अंकुश के अनावश्यक दायित्व से नौकरशाही मुक्त होगी, जिससे विकास के अन्य कार्यों को गति मिलेगी।

यूबीआई के विपक्ष में तर्क

  • एक सतत् सर्वजनीन बुनियादी आय लोगों में कार्य करने के प्रोत्साहन को कम कर सकती है।
  • हमारे पितृसत्तात्मक समाज में सरकार द्वारा महिलाओं को जो बुनियादी आय प्रदान की जाएगी, उस पर संभव है कि पुरूषों का नियंत्रण हो जाए।
  • यूबीआई से मजदूरी की दर बढ़ने से, वस्तुओं व सेवाओं की मूल्य वृद्धि से महँगाई का ऊर्ध्वाधर चक्र शुरू हो जाएगा।
  • बेसिक आय के स्तर को उच्च बनाए रखने में भारत का राजकोषीय संतुलन प्रभावित होगा।

यूबीआई से जुडे़ अनुत्तरित प्रश्न

  • क्या यूबीआई जनकल्याण की अन्य दूसरी योजनाओं को प्रतिस्थापित कर देगी? यदि हाँ तो सरकारी सहायता के अभाव और मांग में वृद्धि से उत्पन्न महँगाई को बेसिक आय कैसे संतुलित कर पाएगी?
  • सबसे जटिल प्रश्न यह है कि बेसिक आय का ‘मान’ क्या होगा? यदि गरीबी रेखा हो तो ग्रामीण क्षेत्र में ₹32 एवं शहरी क्षेत्र में औसतन ₹40 के अनुसार लगभग ₹1200 प्रतिमाह व वर्ष के ₹19,400 होंगे। क्या इससे व्यक्ति अपनी अवश्यकताओं को पूरा कर पाएगा?
  • फिर इस योजना के लिये सरकार पर जो बोझ होगा, वह भारतीय GDP का 9 से 10 फीसदी तक होगा। वह कहाँ से आएगा?

निष्कर्ष


यूबीआई निश्चित तौर पर सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के संबंध में एक आकर्षक विचार है। किंतु इसका खाका व्यावहारिक आधारों पर होना चाहिये, ताकि वित्तीय बोझ व राजकोषीय असंतुलन का खतरा न रहे। इस योजना से धनी व उच्च मध्यमवर्गीय लाभार्थियों को बाहर किया जाना चाहिये। निर्धन ब्लॉक एवं ज़िलों में ‘पायलट प्रोजेक्ट’ के तौर पर लागू कर इसका बारीकी से मूल्यांकन करना चाहिए। इसके बाद ही चरणबद्ध तरीके से इस योजना को पूरे भारत में लागू करना चाहिए।


स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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