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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गैर-सरकारी संगठनों के विनियमन हेतु कानून की आवश्यकता

  • 27 Apr 2017
  • 5 min read

संदर्भ
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है कि गैर-सरकारी संगठनों (NGOs)में होने वाले सार्वजनिक धन के प्रवाह को विनियमित करने के लिये सरकार को एक सांविधिक कानून बनाना होगा| लोगों के कार्य और ग्रामीण प्रौद्योगिकी की प्रगति के लिये परिषद्(Council for Advancement of People’s Action and Rural Technology - CAPART) ने भी सरकार की निधि को हथियाने के लिये विभिन्न एनजीओ के खिलाफ हुई 159 एफआईआर को पंजीकृत करने की भी अनुशंसा की|

प्रमुख बिंदु

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश जे.एस.खेहर की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने सरकार द्वारा न्यायालय को सौंपे गए दिशा-निर्देशों के पश्चात एक कानून को लागू करने का सुझाव दिया| इस कानून में एनजीओ के पंजीकरण के लिये नीति आयोग की नियुक्ति एक प्रमुख एजेंसी के रूप में करने को कहा गया है|
  • न्यायालय का मानना है कि प्रत्यायन(accreditation), निधि का उपयोग और एनजीओ की लेखा- परीक्षा की सम्पूर्ण प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिये ये दिशा-निर्देश पर्याप्त नहीं हैं|
  • 4 अप्रैल 2017 को केंद्र सरकार ने देश के तक़रीबन 30 लाख एनजीओ और स्वयंसेवी संगठनों के प्रत्यायन के लिये सर्वोच्च न्यायालय को नए दिशानिर्देश सौंपे|
  • शहरी ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्वयंसेवी संगठनों /एनजीओ(जो अनुदान प्राप्तकर्ता हैं) को उनके खातों, खातों की लेखा-परीक्षा की प्रक्रिया(जिसमें दुर्व्यवहार और आपराधिक कार्यवाही जैसे मामलों में अनुदान वसूली पर कार्रवाई आरंभ करने की प्रक्रिया भी शामिल है) को प्रबंधित करने वाले तरीकों के विनियमन के लिये प्रत्यायन दिशा-निर्देश तैयार किये|
  • न्यायालय ने सरकार को 703 एनजीओ के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई प्रारंभ करने की भी छूट दी है| कपार्ट(CAPART) के अंतर्गत ये सभी एनजीओ डिफाल्टेड(defaulted) हैं | ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एजेंसी के अनुसार, 718 एनजीओ को पहले से ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है परन्तु केवल 15 एनजीओ ने ही उन्हें जारी किये गए नोटिस पर संतोषजनक प्रतिक्रिया व्यक्त की है|
  • वर्ष 2016 में सीबीआई के रिकार्डों ने यह दर्शाया कि ‘सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम’(Societies Registration Act) के अंतर्गत पंजीकृत कुल 29,99,623 एनजीओ में से 2,90,787 एनजीओ ने ही अपने वार्षिक वित्तीय विवरण को दर्ज किया था|
  • सीबीआई के अनुसार, मौजूदा कानून एनजीओ की वित्तीय लेन-देन प्रक्रिया के संबंध में  पारदर्शी नहीं है | संघ शासित क्षेत्रों में पंजीकृत और कार्यरत कुल 82,250 एनजीओ में से केवल 50 ने ही अपने रिटर्न को दर्ज किया है|
  • संघ शासित क्षेत्रों के कुल 76,566 एनजीओ में से नई दिल्ली में पंजीकृत एनजीओ की संख्या सर्वाधिक है | परन्तु इनमें से कोई भी संगठन अपने रिटर्न्स जमा नहीं करता है | केरल में 3,69,137 एनजीओ हैं परन्तु वहाँ भी रिटर्न जमा करने का कोई क़ानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है| कुछ इसी प्रकार की स्थिति पंजाब (कुल 84,752 एनजीओ) और राजस्थान (1.3 लाख एनजीओ ) में भी है|
  • भारत के 26 राज्यों में से उत्तर प्रदेश में एनजीओ (5.48 लाख) की संख्या सर्वाधिक है| परन्तु यहाँ भी केवल 1.19 लाख एनजीओ ही अपना रिटर्न जमा करते हैं | तमिलनाडु में लगभग 1.55 लाख पंजीकृत एनजीओ हैं परन्तु केवल 20,277 ही रिटर्न जमा करते हैं| आंध्र प्रदेश में 2.92 लाख एनजीओ हैं परन्तु केवल 186 वार्षिक वित्तीय विवरण ही दर्ज किये जाते हैं| पश्चिम बंगाल में 2.34 लाख पंजीकृत एनजीओ हैं जिनमें से केवल 17,089 सक्रिय एनजीओ ही अपना वार्षिक रिटर्न जमा करते हैं|
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