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आपराधिक मामलों में DNA साक्ष्य के प्रबंधन पर दिशा-निर्देश

  • 16 Sep 2025
  • 37 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

कट्टावेल्लई @ देवकर बनाम तमिलनाडु राज्य, 2025 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने आपराधिक जाँच में DNA साक्ष्य की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये। 

DNA साक्ष्य प्रबंधन पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश क्या हैं? 

  • संग्रहण चरण में उचित दस्तावेज़ीकरण: दस्तावेज़ में महत्त्वपूर्ण जानकारी दर्ज होनी चाहिये, जैसे कि FIR संख्या, जाँच अधिकारी का विवरण, चिकित्सा पेशेवर के हस्ताक्षर और स्वतंत्र गवाह। 
    • परीक्षण न्यायालय की अनुमति के बिना नमूनों को खोला, परिवर्तित या पुनः सील नहीं किया जाना चाहिये। 
  • समय पर परिवहन: जाँच अधिकारी को DNA साक्ष्य को 48 घंटे के भीतर फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) तक पहुँचाना होगा। 
  • हिरासत की शृंखला का रखरखाव: नमूना संग्रहण से लेकर मामले के समापन तक हिरासत रजिस्टर की शृंखला का रखरखाव किया जाना चाहिये तथा उसे परीक्षण न्यायालय के रिकॉर्ड में शामिल किया जाना चाहिये। 

DNA साक्ष्य प्रबंधन में शामिल प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • संग्रह और संरक्षण संबंधी मुद्दे: DNA साक्ष्य संदूषण के प्रति संवेदनशील होते हैं, उष्णता 
  • या आर्द्रता से क्षयित हो सकते हैं और विश्लेषण या पुनः परीक्षण के लिये अपर्याप्त मात्रा में हो सकते हैं। 
  • विश्लेषण संबंधी मुद्दे: DNA साक्ष्य में मानव त्रुटि, पक्षपात और मानकीकृत प्रयोगशाला प्रोटोकॉल की कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं, जो इसकी विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। 
  • गोपनीयता संबंधी मुद्दे: DNA डेटाबेस गोपनीयता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न करते हैं, जैसे कार्यक्षेत्र का विस्तार, निगरानी के जोखिम और संभावित आनुवंशिक भेदभाव। 
  • व्याख्यात्मक मुद्दे: DNA पर अत्यधिक निर्भरता और जटिल मिश्रण या ट्रेस DNA के साथ चुनौतियाँ गलत व्याख्या तथा गलत दोषसिद्धि का कारण बन सकती हैं। 

DNA साक्ष्य की स्वीकार्यता पर न्यायिक दृष्टिकोण 

  • कुन्हीरामन बनाम मनोज केस (1991): भारत में पितृत्व विवाद को सुलझाने के लिये पहली बार DNA तकनीक का उपयोग किया गया था। 
  • शारदा बनाम धर्मपाल केस (2003): सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिक और वैवाहिक विवादों में DNA तकनीक के उपयोग को स्वीकार किया, यह निर्णय देते हुए कि इससे अनुच्छेद 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) या अनुच्छेद 20(3) (स्वयं पर आपराधिक आरोप से सुरक्षा का अधिकार) का उल्लंघन नहीं होता। 
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (धारा 51): पंजीकृत चिकित्सक द्वारा DNA प्रोफाइलिंग और अन्य आवश्यक परीक्षणों सहित गिरफ्तार व्यक्तियों की चिकित्सा जाँच को अधिकृत करता है। 
  • राहुल बनाम दिल्ली राज्य, गृह मंत्रालय (2022): DNA साक्ष्य को अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि सैंपल दो महीने तक पुलिस अभिरक्षा में था, जिससे छेड़छाड़ की संभावना उत्पन्न हुई। 
  • देवकर केस (2025): DNA साक्ष्य को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 39 के तहत राय साक्ष्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसकी प्रामाणिकता प्रत्येक मामले में भिन्न होती है, जिसके लिये वैज्ञानिक और कानूनी मान्यता आवश्यक है। 

निष्कर्ष 

कट्टावेल्लई @ देवकर बनाम तमिलनाडु राज्य (2025) में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश आपराधिक मामलों में DNA साक्ष्य की एकरूपता, वैज्ञानिक वैधता और अखंडता सुनिश्चित करते हैं। उचित दस्तावेज़ीकरण, समय पर परिवहन, संरक्षण और संरक्षण शृंखला, संदूषण को रोकने तथा विधि के तहत राय साक्ष्य के रूप में DNA के प्रामाणिक मूल्य को मज़बूत करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. आपराधिक जाँच में DNA साक्ष्य की अखंडता बनाए रखने में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022) 

DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है? 

  1. किसी पादप या प्राणी की आयु का आकलन करने के लिये  
  2.  समान दिखने वाली प्रजातियों के बीच भिन्नता जानने के लिये  
  3.  प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवांछित प्राणी या पादप सामग्री को पहचानने के लिये  

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 

(b)  केवल 3 

(c) 1 और 2 

(d)  2 और 3 

उत्तर: (b)

प्रश्न: विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? (2019)   

(a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिये गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते हैं। 
(b) प्रयोगशालाओं में कृत्रिम प्रकार्यात्मक DNA के हिस्से रचे जा सकते हैं। 
(c) किसी जंतु कोशिका से निकाले गए DNA के किसी हिस्से को जीवित कोशिका से बाहर प्रयोगशाला में प्रतिकृत कराया जा सकता है। 
(d) पादपों और जंतुओं से निकाली गई कोशिकाओं में प्रयोगशाला की पेट्री डिश में कोशिका विभाजन कराया जा सकता है। 

उत्तर: (a)

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