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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सार्क उपग्रह का प्रक्षेपण

  • 01 May 2017
  • 3 min read

संदर्भ
भारत ने सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन-SAARC) देशों के उपयोग हेतु ‘दक्षिण एशिया उपग्रह’ (South Asia Satellite) का निर्माण किया है| इस उपग्रह का प्रक्षेपण 5 मई को को किया जाएगा|

प्रमुख बिंदु
इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनके ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान की गई थी| उनका कहना था कि इस उपग्रह की क्षमता दक्षिण एशिया की दीर्घकालिक आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं को प्रदर्शित करेगी|

प्रधानमंत्री के अनुसार, प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण, टेलीमेडिसिन, शिक्षा, आईटी कनेक्टिविटी अथवा लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के कारण यह उपग्रह सम्पूर्ण दक्षिण एशियाई क्षेत्र की प्रगति के लिये वरदान सिद्ध होगा|

यह सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है| यह सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के लिये एक बेशकीमती उपहार है| यह दक्षिण एशिया में भारत की प्रतिबद्धता का एक उपयुक्त उदाहरण है|

इस उपग्रह प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2014 में नेपाल में हुई सार्क की बैठक में की गई थी और पाकिस्तान के अलावा अन्य सभी देश इसमें शामिल हुए थे| इस उपग्रह के प्रक्षेपण की लागत 235 करोड़ रुपये है तथा यह धनराशि भारत सरकार द्वारा वहन की जाएगी|

उपग्रह के विषय में महत्त्वपूर्ण तथ्य
जीसैट-09 के कारण दूरसंचार एवं प्रसारण सेवाओं(जैसे-टेलीविज़न, डीटूएच, वीसैट, टेली-शिक्षा, टेली-मेडिसिन और आपदा प्रबंधन समर्थन) में होने वाले अनुप्रयोगों में सहायता मिलेगी|

इस 2,230 किलोग्राम के उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान द्वारा किया गया था तथा इसके 12 केयु बैंड ट्रांसपोंडर(Ku-band transponders) हैं| 

यह घनाभ की आकृति का है तथा इसका निर्माण केन्द्रीय सिलिंडर के चारों ओर किया गया है| इसका जीवनकाल 12 वर्षों का है|

इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान(GSLV) Mk -2 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा| जीएसएलवी-F09 लगभग 50 मीटर लंबा है तथा यह जीएसएलवी की 11वीं उड़ान है|

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