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भारतीय अर्थव्यवस्था

डिजिटल लेन-देन में वृद्धि

  • 21 Apr 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली, एकीकृत भुगतान प्रणाली

मेन्स के लिये:

डिजिटल वित्तीय लेन-देन में वृद्धि से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों:

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) के अनुसार, COVID-19 के कारण देशभर में लॉकडाउन से डिजिटल लेन-देन में वृद्धि दर्ज़ की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • RBI के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, मार्च 2020 में बैंकों में वास्तविक समय सकल निपटान (Real Time Gross Settlement-RTGS) के तहत लेन-देन में 34% की वृद्धि हुई है। RTGS के तहत मार्च 2020 में 120.47 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ, जबकि फरवरी 2020 में 89.90 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ था।
    • RTGS एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली है जिसमें बैंकों के बीच भुगतान निर्देश दिन भर में रियल टाइम अर्थात् तात्कालिक रूप से और लगातार संसाधित (Processed) होते हैं।
    • यह सुविधा 2 लाख रुपए या उससे ज़्यादा की राशि के लेन-देन हेतु उपलब्ध है। देश के उच्च मूल्य लेन-देन वाले 95% भुगतान इसी प्रणाली के माध्यम से किये जाते हैं।
  • मार्च 2020 में तीसरे और चौथे सप्ताह के दौरान डिजिटल लेन-देन की संख्या 124.73 करोड़ और  224.16 करोड़ रही।
  • 15-30 मार्च के बीच लोगों द्वारा गैर-लाभकारी संगठनों के माध्यम से राहत कार्य में योगदान के कारण डिजिटल लेन-देन में 64% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • मार्च 2020 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (NPCI) द्वारा संचालित एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) के माध्यम से 125 करोड़ डिजिटल लेन-देन हुए हैं।
    • हालाँकि लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आने से मार्च में डिजिटल लेन-देन की संख्या फरवरी की तुलना में कम हुई है।
  • मोबाइल रिचार्ज, डायरेक्ट-टू-होम, केबल प्रसारण सेवाएँ, खुदरा बैंकिंग लेन-देन और अन्य सेवाओं के बिल भुगतान (फरवरी की तुलना में) मार्च में लगभग 19% बढ़कर 288 करोड़ हो गए।
    • NPCI द्वारा संचालित भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System - BBPS) के माध्यम से मार्च 2020 में डिजिटल लेन-देन की संख्या 1.58 करोड़ हो गई, जो फरवरी 2020 में 1.49 करोड़ थी।
  • RBI के आँकड़ों के अनुसार, नकदी आधारित सेवाओं में कमी आई है।
    • ATM से नकदी निकासी में 10.7% और डेबिट या क्रेडिट कार्ड की उपयोगिता में कमी दर्ज की गई है। 
  • मार्च 2020 में आधार सक्षम भुगतान सेवा (Aadhaar Enabled Payment System-AEPS) में 16.1% की गिरावट आई है।

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली

(National Payment Corporation of India- NPCI):

    • NPCI देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक समग्र संगठन है।
    • इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (The Payment and Settlement Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है।
    • इसे कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के प्रावधानों के तहत ‘गैर-लाभकारी संगठन’ के रूप में शामिल किया गया है।
    • NPCI की कुछ प्रमुख पहलें निम्नलिखित है:
      • एकीकृत भुगतान प्रणाली (United Payments Interface-UPI), यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत एक मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से कई बैंक खातों का संचालन, विभिन्न बैंकों की विशेषताओं को समायोजन, निधियों का निर्बाध आवागमन और व्यापारिक भुगतान किया जा सकता है।
      • भीम एप (BHIM App): इसके ज़रिये लोग डिजिटल तरीके से पैसे भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं। यह UPI आधारित भुगतान प्रणाली पर काम करता है।
      • तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service-IMPS): IMPS का इस्तेमाल 24*7 किया जा सकता है। यह सेवा ग्राहकों को बैंकों और RBI द्वारा अधिकृत प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट जारीकर्त्ताओं (PPI) के माध्यम से तुरंत पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा देती है।
      • भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System-BBPS): BBPS भारतीय रिज़र्व बैंक की एक अवधारणात्मक प्रणाली है, जिसका संचालन NPCI द्वारा किया जाता है। यह प्रणाली सभी प्रकार के बिलों के लिये एक अंतिम भुगतान प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार यह देशभर के ग्राहकों को भुगतान अंतरण, विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ-साथ एक बेहतर एवं सुलभ बिल भुगतान सेवा उपलब्ध कराती है।
      • चेक ट्रंगकेशन सिस्टम (Cheque Truncation System-CTS): CTS या ऑनलाइन इमेज-आधारित चेक क्लियरिंग सिस्टम, चेकों के तेज़ी से क्लियरिंग के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू किया गया एक चेक क्लियरिंग सिस्टम है। यह चेक के प्रत्यक्ष संचालन से संबद्ध लागत को समाप्त करता है।
      • *99#: NPCI की असंरचनात्मक पूरक सेवा डेटा (Unstructured Supplementary Service Data-USSD) आधारित मोबाइल बैंकिंग सेवा को नवंबर 2012 में शुरू किया गया था। इस सेवा की सीमित पहुँच थी तथा केवल दो TSPs (टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर) यानी MTNL एवं BSNL ही इस सेवा को मुहैया करा रहे थे। वित्तीय समावेशन में मोबाइल बैंकिंग के महत्त्व को समझते हुए *99# सेवा को 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' के भाग के रूप में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 28 अगस्त, 2014 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
      • NACH: 'नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस’ (NACH) NPCI द्वारा बैंकों को दी जाने वाली एक सेवा है सब्सिडी, लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि के वितरण के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
      • आधार सक्षम भुगतान सेवा (AEPS): AEPS सेवाओं के कारण आधार से जुड़े बैंक खाते वाला कोई भी आम इंसान नकद निकासी और शेष राशि की जाँच जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकता है, भले ही उसका खाता किसी भी बैंक में हो। इन सेवाओं का फायदा लेने के लिये आधार से जुड़े खाताधारक अपने भुगतान को पूरा करने के लिये केवल फिंगरप्रिंट स्कैन और आधार प्रमाणन के साथ अपनी पहचान को पुष्ट कर सकता है।
      • नेशनल फाइनेंशियल स्विच (National Financial Switch-NFS)- NFS बैंकों के ATMs के इंटर-कनेक्टेड नेटवर्क द्वारा नागरिकों को किसी भी बैंक के ATM के माध्यम से लेन-देन की सुविधा उपलब्ध कराता है।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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