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जैव विविधता और पर्यावरण

वन गुज्जरों के अधिकार

  • 28 May 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वन अधिकार अधिनियम 2006, अनुच्छेद-21, गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान, वन गुज्जर

मेन्स के लिये:

वन गुज्जरों के अधिकार संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ‘गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान’ से कुछ वन गुज्जर परिवारों को हटाने के लिये राज्य सरकार को फटकार लगाई और कहा कि अधिकारियों द्वारा उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • वन गुज्जर गर्मियों में उत्तराखंड के तराई-भाबर और शिवालिक क्षेत्र से पश्चिमी हिमालय के ऊँचे बुग्याल और सर्दियों में इसके विपरीत मौसमी प्रवास करते हैं। 
    • समुदाय द्वारा अपनाई गई पारगमन की यह घटना कुछ जलवायु अनुकूलित रणनीतियों में से एक है जो सुनिश्चित करती है कि उनकी आजीविका व्यवहार्य में ग्रामीण और टिकाऊ बनी रहे।
  • हालाँकि वन गुज्जरों के पास गर्मियों (गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान) और सर्दियों के घरों के लिये वैध परमिट हैं परंतु उन्हें अधिकारियों द्वारा पार्क में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है।

वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पशुपालकों के अधिकार:

  • इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि चरागाहों के पास भी सामुदायिक वन संसाधन तथा चरागाहों तक पहुँचने का अधिकार हो, जिसके वे पात्र हैं।
    • धारा 2 (ए) एक गाँव की पारंपरिक या प्रथागत सीमाओं के भीतर प्रथागत आम वन भूमि पर देहाती समुदायों के अधिकारों को निर्धारित करती है।
  • यह देहाती समुदायों के मामले में किसी परिदृश्य के मौसमी उपयोग को भी निर्धारित करता है, जिसमें अवर्गीकृत वन, आरक्षित वन, गैर-सीमांकित वन, मानित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं।

उच्च न्यायालय का आदेश:

  • उच्च न्यायालय गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित बुग्याल (हिमालयी अल्पाइन घास के मैदान) में अपने ग्रीष्मकालीन घरों में प्रवास करने के लिये वन गुर्जरों के अधिकार का समर्थन करता है।
  • उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का भी जिक्र किया।

संविधान का अनुच्छेद 21:

  • यह घोषणा करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिये उपलब्ध है।
  • जीवन का अधिकार केवल अस्तित्व या जीवित रहने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार और जीवन के वे सभी पहलू शामिल हैं जो मनुष्य के जीवन को सार्थक, पूर्ण और जीने लायक बनाते हैं।

वन गुज्जर:

  • वन गुज्जर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर जैसे हिमालयी राज्यों की तलहटी के जंगल में रहने वाले खानाबदोश समुदाय हैं।
  • आमतौर पर वे अपनी भैंसों के साथ ऊपरी हिमालय में स्थित बुग्यालों (घास के मैदानों) में चले जाते हैं और केवल मानसून के अंत में तलहटी में अपनी अस्थायी झोपड़ियों (डेरों) में लौटते हैं।
  • वे परंपरागत रूप से भैंस पालन करते हैं। वे आजीविका के लिये भैंस के दूध पर निर्भर हैं, जिसकी उन्हें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बाज़ारों में अच्छी कीमत मिलती है।

गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान:

अवस्थिति:

  • यह उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में गढ़वाल हिमालय के उच्च क्षेत्र में स्थित है।

स्थापना:

  • इस उद्यान को वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था तथा वर्ष 1990 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था।

वनस्पति एवं प्राणीजात:

  • जीवों में हिम तेंदुआ, ब्राउन बीयर, कस्तूरी मृग, पश्चिमी ट्रैगोपैन आदि शामिल हैं।
  • इस अभयारण्य में मौजूद कुछ उल्लेखनीय वृक्षों में देवदार, चीड़ देवदार, चांदी की देवदार, नीली देवदार और कई पर्णपाती प्रजातियाँ शामिल हैं।

अन्य विशेषताएँ:

  • इस उद्यान के भीतर हर-की-दून घाटी है जो ट्रेकिंग के लिये एक प्रसिद्ध स्थान है, जबकि ‘रुइनसारा’ उच्च झील पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है।
  • यह उद्यान टोंस नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का निर्माण करता है।
    • टोंस नदी यमुना नदी की एक महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है और गढ़वाल के ऊपरी हिस्सों तक पहुँचती है।

उत्तराखंड में स्थित अन्य संरक्षित क्षेत्र:

स्रोत-डाउन टू अर्थ

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