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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

CRISPR द्वारा मच्छरों की आबादी पर नियंत्रण

  • 13 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक नियंत्रण प्रणाली, जेनेटिक इंजीनियरिंग, डेंगू, मलेरिया

मेन्स के लिये:

क्‍लस्‍टर्ड रेग्‍युलरली इंटरस्‍पेस्‍ड शॉर्ट पैलिनड्रॉमिक रिपीट्स का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो क्‍लस्‍टर्ड रेग्‍युलरली इंटरस्‍पेस्‍ड शॉर्ट पैलिनड्रॉमिक रिपीट्स (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats- CRISPR) जो कि जेनेटिक इंजीनियरिंग पर आधारित है, का उपयोग कर मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करती है।

हर साल लाखों लोग मच्छर से होने वाली डेंगू और मलेरिया जैसी दुर्लभ बीमारियों से संक्रमित होते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • बाँझ कीट तकनीक (Sterile Insect Technique):
    • SIT मच्छरों की जंगली आबादी (wild populations) को रोकने हेतु पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और प्रमाणित तकनीक है।
    • प्रिसिशन गाइडेड स्टेराइल टेकनीक (precision-guided Sterile Insect Technique- pgSIT) जो कि CRISPR आधारित एक टेकनीक/तकनीक है, इसकी उपयोगिता को और अधिक बढ़ा देती है।

  • pgSIT:
    • यह एक नई स्केलेबल जेनेटिक कंट्रोल सिस्टम/प्रणाली (Scalable Genetic Control System) है जो तैनात मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिये CRISPR आधारित प्रणाली पर कार्य करती है।
      • नर मच्छर बीमारियों को प्रसारित नहीं करते हैं, अत: यह तकनीक अधिक- से-अधिक नर मच्छरों को बाँझ बनाने पर आधारित है।
      • इसमें हानिकारक रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग किये बिना मच्छरों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है।
    • pgSIT तकनीक पुरुष प्रजनन क्षमता से संबंधित जीन को परिवर्तित कर देती है जो बाँझ संतान पैदा करने तथा उड़ने वाली मादा एडीज़ एजिप्टी मच्छर जो कि डेंगू बुखार, चिकनगुनिया और जीका आदि बीमारियों को फैलाने के लिये ज़िम्मेदार मच्छर की एक प्रजाति है।
    • PgSIT यांत्रिक रूप से एक प्रमुख आनुवंशिक तकनीक पर निर्भर करती है जो एक साथ सेक्सिंग (Sexing) और नसबंदी (Sterilization) को सक्षम बनाती है, इससे पर्यावरण में अंडों को छोड़ने की सुविधा मिलती है जिससे केवल बाँझ वयस्क नर मच्छर ही उत्पन्न होते हैं।
      • दो सुरक्षा विशेषताएँ जो इस तकनीक को स्वीकृति प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण हैं, इस प्रकार हैं- पहली यह प्रणाली स्वयं सीमित है और दूसरी इसकी पर्यावरण में बने रहने या फैलने की संभावना नहीं है।
    • pgSIT अंडों को मच्छर जनित बीमारी वाले स्थान पर भेजा जा सकता है या एक साइट पर विकसित किया जा सकता है, इस प्रकार उनका उत्पादन आस-पास के स्थानों पर अंडों को छोड़ने के लिये किया जा सकता है।
    • इन pgSIT अंडों को जंगल में छोड़ दिया जाता है और इनसे बाँझ pgSIT नर मच्छर उत्पन्न होते हैं जो अंततः मादाओं के साथ संभोग कर जंगली आबादी को आवश्यकतानुसार कम करने में मददगार साबित होंगे।
  • CRISPR:
    • यह एक जीन एडिटिंग तकनीक है, जो Cas9 नामक एक विशेष प्रोटीन का उपयोग करके वायरस के हमलों से लड़ने के लिये बैक्टीरिया में प्राकृतिक रक्षा तंत्र की प्रतिकृति का निर्माण करती है।
    • CRISPR-CAS9 तकनीक आनुवंशिक सूचना धारण करने वाले DNA के सिरा (Strands) या कुंडलित धागे को हटाने और चिपकाने (Cut and Paste) की क्रियाविधि की भाँति कार्य करती है। DNA सिरा के जिस विशिष्ट स्थान पर आनुवंशिक कोड को बदलने या एडिट करने की आवश्यकता होती है, सबसे पहले उसकी पहचान की जाती है। इसके पश्चात् CAS-9 के प्रयोग से (CAS-9 कैंची की तरह कार्य करता है) उस विशिष्ट हिस्से को हटाया जाता है। यह कैंची की एक जोड़ी की तरह काम करता है।
    • एक DNA स्ट्रैंड जब टूट जाता है, तो खुद को ठीक करने की उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। वैज्ञानिक इस स्व-मरम्मत प्रक्रिया के दौरान हस्तक्षेप करते हैं, आनुवंशिक कोड के वांछित अनुक्रम की आपूर्ति करते हैं और स्व-विलगित DNA को जोड़ते हैं।
    • CRISPR-Cas9 एक सरल, प्रभावी और अविश्वसनीय रूप से सटीक तकनीक है जिसमें भविष्य में मानव अस्तित्त्व में क्रांति लाने की क्षमता है।
    • फ्राँस के इमैनुएल चारपेंटियर और यूएसए की जेनिफर ए डोडना को CRISPR/Cas9 आनुवंशिक कैंची विकसित करने के लिये रसायन विज्ञान में वर्ष 2020 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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