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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण संबंधी दिशा निर्देशों में संशोधन

  • 05 Sep 2020
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:   

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण, शहरी सहकारी बैंक, आयुष्मान भारत  

मेन्स के लिये:

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने ‘स्टार्ट अप’ (Start Up) और कृषि क्षेत्र सहित कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में पूंजी की उपलब्धता को बेहतर बनाने के लिये प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending- PSL) संबंधी संशोधित दिशा निर्देश जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • RBI द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के दायरे का विस्तार करते हुए इसमें स्टार्टअप के लिये 50 करोड़ रुपए तक का वित्तपोषण और कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा चालित पंप तथा संपीड़ित बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के हेतु ऋण को भी शामिल कर दिया गया है।
  • ‘छोटे और सीमांत किसानों’ (Small and Marginal Farmers) तथा ‘कमज़ोर वर्गों’ के लिये निर्धारित लक्ष्यों को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जा रहा है। 
  • RBI द्वारा PSL प्रावधानों में हालिया संशोधन के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा के लिये ऋण सीमा को बढ़ा कर दोगुना कर दिया गया है।
  • इसके साथ ही RBI द्वारा PSL के तहत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे (आयुष्मान भारत सहित) के लिये ऋण सीमा को भी दोगुना कर दिया गया है।
  • RBI के अनुसार, संशोधित PSL दिशा निर्देश के माध्यम से ऋण उपलब्धता की कमी वाले क्षेत्रों में क्रेडिट पहुँच को बेहतर बनाने में सहायता प्राप्त होगी। 
  • RBI द्वारा PSL दिशा निर्देशों में परिवर्तनों का उद्देश्य  इसे उभरती राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करना और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
  •  इससे पहले  PSL दिशा निर्देशों की समीक्षा अप्रैल 2015 में व्यावसायिक बैंकों और मई 2018 में ‘शहरी सहकारी बैंकों’ (Urban Cooperative Banks- UCBs) के लिये की गई थी।

कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधार:

  • RBI द्वारा ‘किसान उत्पादक संगठनों’ (Farmers Producers Organisations- FPOs) और कृषि क्षेत्र में सक्रिय ‘किसान उत्पादक कंपनियों’ (Farmers Producer Companies- FPCs) के लिये ऊँची ऋण सीमा का निर्धारण किया गया है। 
  • साथ ही FPOs और FPCs के लिये उनकी उपज के पूर्व निर्धारित मूल्य पर विपणन का प्रावधान भी किया गया है।  
  • कृषि क्षेत्र के लिये प्रति इकाई ऋण की सीमा 2 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
  • RBI द्वारा इस सुधारों के तहत छोटे और सीमांत किसानों तथा कमज़ोर वर्गों के लिये निर्धारित लक्ष्यों को बढ़ाया गया है।  
  • RBI के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान गैर-व्यावसायिक किसानों के लिये निर्धारित ऋण वितरण का लक्ष्य के तहत ‘समायोजित निवल बैंक ऋण’ (Adjusted Net Bank Credit-ANBC) या ‘ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र की समतुल्य राशि’ (Credit Equivalent Amount of Off-Balance Sheet Exposure-CEOBE) का 12% (जो भी अधिक हो) लागू होगा।  

छोटे और सीमांत किसानों का निर्धारण:

  • RBI द्वारा 1 हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को सीमांत किसान (Marginal Farmers) तथा 1 हेक्टेयर से अधिक और 2 हेक्टेयर से कम की भूमि वाले किसानों को छोटे किसानों (Small Farmers) के रूप में परिभाषित किया गया है।  

नवीकरणीय ऊर्जा:

  • RBI द्वारा PSL के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र से संबंधित ऋण की सीमा को दोगुना कर दिया गया है।
  • RBI के अनुसार, सौर तथा जैव-ईंधन आधारित ऊर्जा उत्पादन संयंत्र, पवन चक्की (Windmill), सूक्ष्म जल विद्युत संयंत्र, गैर-पारंपरिक ऊर्जा-आधारित सार्वजनिक उपयोगिताओं जैसे- स्ट्रीट लाइट प्रणाली और दूरदराज़ के गांव के विद्युतीकरण आदि से जुड़ी परियोजनाएँ PSL के तहत ऋण प्राप्त करने के लिये पात्र होंगी।
  • इसके तहत ऋण की अधिकतम सीमा 30 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
  • साथ ही व्यक्तिगत परिवारों के लिये अधिकतम ऋण की सीमा 10 लाख रुपए होगी।

स्वास्थ्य क्षेत्र:  

  • RBI ने स्वास्थ्य अवसंरचनाओं में सुधार (आयुष्मान भारत सहित) हेतु ऋण सीमा को दोगुना कर दिया है। 
  • RBI द्वारा PSL प्रावधानों में किये गए हालिया परिवर्तन के पश्चात टीयर II से टीयर VI (Tier II to Tier VI) केंद्रों में स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के निर्माण के लिये ऋण सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है।

क्षेत्रीय असमानता से संबंधित सुधार:

  • RBI द्वारा ऋण वितरण के संदर्भ में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिये संशोधित PSL दिशा निर्देशों के माध्यम से कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए हैं।
  • इसके तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण की उपलब्धता के आधार पर ज़िलों की सूची तैयार की जाएगी।
  • इसके आधार पर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के संदर्भ में कम ऋण प्रवाह वाले ज़िलों के लिये एक प्रोत्साहन फ्रेमवर्क का निर्माण किया जाएगा।
  • इसके तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 से ऐसे चिन्हित ज़िलों जहाँ प्रति व्यक्ति PSL 6000 रुपए से कम होगा उनमें वृद्धिशील प्राथमिकता प्राप्त ऋण पर उच्च भारांश (125%) लागू होगा।
  • साथ ही ऐसे ज़िले जिनमें प्रति व्यक्ति PSL 25000 रुपए से अधिक होगा उनमें वृद्धिशील प्राथमिकता प्राप्त ऋण पर कम भारांश (90%) लागू होगा। 
  • इसके माध्यम से कम ‘प्रति व्यक्ति PSL’ वाले देश के लगभग 184 ज़िलों को लाभ प्राप्त होगा।
  • RBI द्वारा दोनों श्रेणियों के बैंकों की सूची जारी कर दी गई है। यह सूची वित्तीय वर्ष 2023-24 तक वैध रहेगी, जिसके बाद इसकी पुनः समीक्षा की जाएगी। 
  • जो ज़िले इन दोनों सूचियों में नहीं शामिल हैं उन्हें पूर्व की तरह 100% भारांश प्राप्त होता रहेगा। 

  लाभ:  

  • RBI द्वारा PSL में सुधारों की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 23% की गिरावट देखी गई है।
  • PSL के तहत अलग-अलग क्षेत्रों के लिये ब्याज की दर भिन्न होती है परंतु सामान्य ऋण की तुलना में यह अधिक सस्ता और सुलभ माना जाता है। 
  • RBI के अनुसार , इसके माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों तथा कमज़ोर वर्गों के लिये ऋण की उपलब्धता बढ़ेगी, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढांचे के लिये ऋण को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
  • RBI के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • वर्तमान में COVID-19 के दौरान स्वास्थ्य चुनौतियों को देखते हुए स्वास्थ्य अवसंरचना पर ऋण सीमा को बढ़ाए जाने से देश में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूती प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण :

  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र से आशय ऐसे क्षेत्रों से है जिन्हें भारत सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देश की बुनियादी ज़रूरतों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है तथा इसके कारण उन्हें अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
  • RBI द्वारा जारी PSL की सूची में निम्नलिखित 8 क्षेत्र शामिल हैं।
  • कृषि, ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम’, निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास,  सामाजिक अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, अन्य।
  • RBI के प्रावधानों के अनुसार, सभी व्यावसायिक बैंकों (स्थानीय और विदेशी) के लिये अपने कुल ‘समायोजित निवल बैंक ऋण’ (Adjusted Net Bank Credit- ANBC) का 40% PSL के लिये निर्धारित करना अनिवार्य है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और छोटे वित्तीय बैंकों को अपने ANBC का 70% PSL के लिये आवंटित करना अनिवार्य है।

स्रोत: द हिंदू

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